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हर पखवाड़े स्त्रियों का अपना स्तम्भकमला देवी ने बदली परिपाटीसुहागिन थीं, सुहागिन रहींविंग कमांडर (से.नि.) कृष्ण नागपालअपने पति गोकुलदास खण्डेलवाल के साथ श्रीमती कमला देवी (फाइल चित्र)बात गत 15 नवम्बर की है। रात्रि 12.30 बजे उज्जैन में कृष्ण कुंज के 75 वर्षीय श्री गोकुल दास की मृत्यु हृदय रोग के कारण हो गई। उस वक्त उनके साथ उनकी 71 वर्षीया पत्नी श्रीमती कमला देवी मौजूद थीं। चंूकि कमला देवी नि:संतान थीं अतएव प्रश्न था कि अब उनके पति की पार्थिव देह को मुखाग्नि कौन देगा, श्राद्धकर्म कौन करेगा? कमला देवी ने निर्णय लिया कि मुखाग्नि वही देंगी और वह भी सुहागन के रूप में।प्रशंसनीय बात यह है कि श्रीमती कमला देवी के परिजनों ने भी इस निर्णय को अपनी सहमति दी। कमला देवी ने पति की चिता के पास जाकर प्रणाम किया, मुखाग्नि दी और सुहागन के रूप में श्राद्धकर्म भी किया। उज्जैन के सरोवर में अस्थि प्रवाह भी उन्होंने स्वयं ही किया। समाज में प्रचलित मान्यताओं के अनुसार सामान्यत: ये कार्य पुरुष वर्ग द्वारा किए जाते हैं। लेकिन कमला देवी ने ऐसा करके सामाजिक प्रथाओं को समय से जोड़ने का अद्भुत साहस दिखाया।- विंग कमांडर (से.नि.) कृष्ण नागपालNEWS
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