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जरा देखिए, भोजन पर कौन आ रहा है?तरुण विजयजिन लोगों को श्रीनगर के लाल चौक पर सरेआम कड़ी सजा दी जानी चाहिए थी, उन्हें भारत सरकार शांति का योद्धा मान रही है और पाकिस्तान सरकार अपना राजदूत। ये लोग पाकिस्तान के राष्ट्रपति से मिलने से पहले भारत के प्रधानमंत्री से मिलना नामंजूर कर देते हैं। खुलेआम अपने बयानों में भारत से अलग होने की वकालत करते हैं। एक अलग देश, अपना स्वतंत्र राज्य स्थापित करने के लिए खूनी जिहाद को समर्थन देते हैं। ये सीधे-सीधे अर्थों में भारत की दृष्टि में देशद्रोही हैं, गद्दार हैं। इनको कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए थी। लेकिन विडम्बना यह है कि ये लोग भारतीय देशभक्त करदाताओं के पैसे से फल-फूल रहे हैं और भारतीय देशभक्त जवान ही इनकी रक्षा करने के लिए निर्देशित किए गए हैं। भारत का पैसा, भारत के जवानों का रक्त, भारतीय जनता की ओर से मिली हुई छूट, इन सबके बल पर पलते हुए ये लोग भारत को नाक चिढ़ाते हैं और भारत के विरुद्ध षड्यंत्र करते हैं।कोई भी सरकार या राजनीतिक नेता रीढ़ युक्त होते तो अब तक इन सबके विरुद्ध कार्रवाई प्रारंभ की जाती। लेकिन इन्हें बाइज्जत दस्तावेज देकर पाकिस्तानी कब्जे वाले गुलाम कश्मीर में भेजा गया और वहां से जब पाकिस्तानी अधिकारी उन्हें अनधिकृत रूप से इस्लामाबाद ले गए तो उसके संदर्भ में भी एक हल्की फुल्की साधारण सी टिप्पणी हुई मानो ये लोग बिना वैध दस्तावेज के, बिना भारतीय स्वीकृति के इस्लामाबाद गए तो हमें कुछ फर्क नहीं पड़ता। जब ये तथाकथित शांति के मसीहा पाकिस्तानी राष्ट्रपति से बातचीत करने के बाद अमन सेतु से भारत लौटे तो उसी सेतु के पास एक बोर्ड पर संयुक्त राज्य कश्मीर का एक तथाकथित “राष्ट्रीय झंडा” दूरदर्शन तथा अन्य इलेक्ट्रानिक चैनलों पर दिखाया गया। यह झण्डा पूरी तरह से अमरीकी झण्डे की तर्ज पर बनाया गया था। केवल उसके ऊपरी दाहिने कोने पर हरे रंग में चांद सितारा बनाया हुआ था। तो यह है कश्मीर की आजादी का नया झण्डा, जिसको लेकर अब बातें की जा रही हैं। इन्हीं नेताओं में से एक यासीन मलिक ने पाकिस्तान जाकर यह खुलेआम घोषित किया था कि पाकिस्तान के मंत्री शेख रशीद के हम आभारी हैं, क्योंकि उन्होंने पन्द्रह सौ से अधिक उन मुजाहिदीनों को प्रशिक्षण दिया, पनाह दी और हर तरह की मदद प्रदान की। इन्हीं प्रशिक्षित “मुजाहिदीनों” को भारत में आतंकवादी गतिविधियों के लिए भेजा गया। ये “मुजाहिदीन” वास्तविक अर्थों में परले दर्जे के कायर और डरपोक किस्म के लोग होते हैं जो इस्लाम का नाम लेकर छुप कर छोटे बच्चों को मारते हैं, बेबस महिलाओं से बलात्कार करते हैं और सार्वजनिक सम्पत्ति नष्ट करते हैं। इन तथाकथित “मुजाहिदीनों” को प्रशिक्षण देने का अर्थ है भारत के विरुद्ध युद्ध के लिए आतंकवादियों को तैयार करना। इस प्रकार सीधे-सीधे शेख रशीद भारत के विरुद्ध युद्ध को प्रोत्साहित एवं प्रायोजित करने वाले एक अपराधी हुए।शेख रशीद भारत आना चाहते थे परंतु यासीन मलिक की उपरोक्त स्वीकारोक्ति के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने उनको भारत आने का वीजा नहीं दिया। इससे यह साफ है कि भारत सरकार जानती है कि शेख रशीद का भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने में सीधा-सीधा हाथ रहा है। समाचार भी छपा है कि शेख रशीद ने अपने घर में हथियारों का जखीरा भी इकट्ठा किया हुआ था, जिसे वे भारत भेजते थे। अब यह वाकई जांच का विषय है कि शेख रशीद द्वारा प्रशिक्षित एवं प्रोत्साहित किए गए आतंकवादियों में से कितनों ने कितने निर्दोष भारतीयों की जान ली, कितनी सम्पत्तियां नष्ट कीं, कितने बलात्कार किए। लेकिन जब भारत सरकार यह जानती है कि शेख रशीद का इन तमाम वारदातों में सीधा हाथ रहा है तो केवल वीजा रद्द करने से क्या अर्थ निकलता है? क्या इतना मात्र होने से बात पूरी हो जाती है? शेख रशीद भारत की दृष्टि में एक अपराधी हैं और भारत सरकार को यह मांग करनी चाहिए कि पाकिस्तान शेख रशीद को भारत के हवाले करे ताकि भारत में आतंकवादी गतिविधियां चलाने के अपराध में उन पर मुकदमा चलाया जाए और कड़ी से कड़ी सजा दी जाए।विश्व की हर स्वाभिमानी सरकार अपने देश और जनता की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाती ही है। पाठकों को स्मरण होगा कुछ वर्ष पहले यूगोस्लाविया में चल रहे गृह युद्ध के समय चीन के दूतावास पर अमरीकी विमानों ने, अमरीका के बयान के अनुसार गलती से, बमबारी की। उस बमबारी में चीनी दूतावास के कुछ कर्मचारी मारे गए थे और दूतावास को अधिक क्षति पहुंची थी। चीन सरकार ने लगातार विश्व व्यापी प्रदर्शनों, विरोध ज्ञापन एवं अमरीका के साथ राजनयिक संबंध तोड़ लेने की धमकियों के माध्यम से अमरीका को बाध्य किया कि वह चीन सरकार से क्षमा मांगे। भले ही चीनी दूतावास पर, वाशिंगटन की निगाह में गलती से बम गिरे, लेकिन वह गलती दुबारा न दोहराई जाएगी इसका उसने आश्वासन दिया तथा खेद प्रकट किया।और वाशिंगटन अपने देश और जनता की रक्षा के लिए क्या करता है? क्या-क्या नहीं करता है, यह पूछना चाहिए! कुछ समय पहले पनामा के राष्ट्रपति को अमरीकी सरकार गिरफ्तार करके अपने यहां इसलिए ले गई क्योंकि उन पर नशीले पदार्थों की तस्करी का आरोप लगाया गया था और एक देश के राष्ट्रपति को अमरीका ने अपने यहां आजन्म कारावास की सजा दी।इराक का उदाहरण तो सबसे ताजा है। केवल उन आरोपों के आधार पर, जो अभी तक सिद्ध नहीं किए जा सके हैं, एक देश को अमरीका ने पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया। वहां के राष्ट्रपति को जेल में डालकर उस पर मुकदमा चलाया गया। और अब बगदाद में एक ऐसी “मित्रतापूर्ण” सरकार स्थापित की गई है जो कभी भी अमरीका के विरुद्ध किसी भी तरह की बात तक नहीं सोचेगी।भारत क्या करता है? भारत के विरुद्ध आतंकवादी कार्रवाईयां होती हैं। हमारे देशभक्त नागरिकों को अपने घर और सम्पत्ति छोड़ कर फटे हुए तम्बुओं में रहने पर मजबूर होना पड़ता है, लेकिन भारत की सरकार, चाहे वह किसी भी पार्टी की हो, अभी तक यह बताने की स्थिति में नहीं आई है कि वे देशभक्त भारतीय नागरिक कब अपने ही देश में, अपने ही घरों में लौट पाएंगे? अभी दो हफ्ते पहले पुलवामा में 22 छोटे-छोटे बच्चों को इस्लामी जिहादियों ने बर्बरता से मार डाला, लेकिन हम पाकिस्तान के साथ मोहब्बत की हवा में इस कदर बह गए हैं कि किसी भी राजनीतिक दल सहित भारत सरकार ने भी इस संबंध में उस कड़े विरोध तथा प्रतिरोध का परिचय नहीं दिया जो किसी भी स्वाभिमानी दल तथा सरकार से अपेक्षित है। यहां तक कि पाकिस्तान की ओर किसी ने अंगुली तक नहीं उठाई और इसकी कहीं भी विश्व व्यापी भत्र्सना का प्रयास नहीं किया गया। कैसे करते? क्योंकि पाकिस्तान के साथ तो मोहब्बत की बातें की जा रही हैं। जिस देश के साथ आप मोहब्बत की बात कर रहे हैं उसी देश पर आप इस प्रकार के घोर आतंकवादी हमले का आरोप कैसे लगा सकते हैं? हर रोज घुसपैठिये आ रहे हैं, हर रोज हमारे जवानों पर घातक हमले हो रहे हैं। पिछले हफ्ते ही राजौरी के पास पाकिस्तानी घुसपैठियों के एक दल को भारतीय जवानों ने मार गिराया। लेकिन जब एक दल को मार गिराया तो इसका अर्थ है दो-तीन दूसरे घुसपैठिये दल भारत में प्रवेश करने में सफल हुए होंगे। यदि इन सब कार्रवाइयों की जिम्मेदारी पाकिस्तान पर नहीं है तो किस पर है?इस समय जो स्थिति है, उसे देखते हुए शेख रशीद की भारत आने की तमन्ना जरूर पूरी करनी चाहिए। लेकिन जब वह भारत आएं तो भारत का एक अपराधी बनकर और उन पर भारत सरकार पूरी कड़ाई के साथ भारतीय नागरिकों की हत्याओं के आरोप में मुकदमा चलाए। शेख रशीद के भारत आने की प्रार्थना इसी बिन्दु पर एक तार्किक परिणति तक पहुंच सकती है।कई बार “दिल्ली के सुल्तान” शहीद जवानों के परिवारजन को भी भोजन पर आमंत्रित करते हैं। अगली बार ऐसे किसी राजसी भोज का आमंत्रण मिले तो उन भारत-द्रोहियों को भी भोजन की उसी मेज पर आप बैठे पा सकते हैं जो हमारे जवानों पर हमला प्रायोजित करवाते हैं। यह सब शान्ति की खातिर करना होता है। यह ध्यान रखिएगा।NEWS
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