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-आद्र्रा अग्रवालबसंत के आते हीखिल उठे बगिया मेंबड़े-बड़े फूल डहेलिया केसद्यस्नात्,प्रफुल्लितउन फूलों को देखरह जाती हूं मुग्धऔर हैरान भी।करीने से सजी कोमल पंखुड़ियांकुछ दूधिया सफेद,कुछ चटख लालवाह! कैसा है कमाल।कौन घोल गया मिट्टी में ये रंग?किसकी है ये अनुपम च
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