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झलकियांदिल्ली प्रदेश भाजपा के पास आपातकाल में बन्दी बनाए गए लगभग 500 कार्यकर्ताओं की सूची थी, जिसमें से करीब 400 कार्यकर्ताओं को समारोह में न्यौता जा सका। मावलंकर हाल की आगे की 9 पंक्तियां इन सेनानियों के लिए आरक्षित रखी गयी थीं। दिल्ली प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने उनके स्थान पर जाकर उन्हें अंगवस्त्र और सम्मान पत्र दिए।नीचेकुर्सियों पर बैठे कार्यकर्ताओं को सम्मानित करते समय मावलंकर हाल में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। अंगवस्त्र और अभिनंदन पत्र लगभग भागते-दौड़ते दिए जा रहे थे मानो बला टाली जा रही हो। इससे शोरगुल और अव्यवस्था फैल गई। श्री आडवाणी को व्यवस्था संभालने के लिए खुद माइक पर आना पड़ा। उन्होंने लोगों से शान्त रहने और बैठने की अपील की तब कहीं जाकर स्थिति ठीक हुई। समारोह के उपरांत अल्पाहार के समय भी भारी अव्यवस्था का माहौल बन गया।* * * *केदारनाथ साहनी की पीड़ाश्रीकेदारनाथ साहनी ने अपने भाषण में यह कहकर लोगों को सकते में डाल दिया कि उन्हें कार्यक्रम में आपातकाल के बन्दियों को सम्मानित किए जाने की जानकारी होती तो सम्भवत: वे यहां आते ही नहीं। क्योंकि आपातकाल के समय वे जेल में नहीं, विदेश में थे। श्री साहनी ने कहा कि सम्मान तो कैदियों के परिजनों का होना चाहिए था न कि इन कार्यकर्ताओं का, क्योंकि एक तो किसी सम्मान की लालसा में ये कार्यकर्ता जेल नहीं गए थे, दूसरे उन्हें जेल में रहने की ताकत उनके परिवारों ने दी, जिन्होंने बाहर रहकर अपरिमित कष्ट सहे। जेल जाने वाले लोगों का जीवन उनकी तुलना में सुखद था क्योंकि खाने-पीने का अच्छा इंतजाम वहां था। पर बाहर परिवारों के समक्ष तो दो वक्त की रोटी के लाले पड़ गए थे। परिवार के वरिष्ठ व्यक्ति या मुखिया के जेल में होने के कारण निकट रिश्तेदारों ने कन्नी काट ली थी। सामाजिक अवमानना की जो पीड़ा झेली सो अलग।* * * *कांग्रेसी भी आपातकाल के विरोध में थेदिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना ने इस अवसर पर बताया कि आपातकाल में उन्हें भूमिगत रहते हुए इलाहाबाद के प्रसिद्ध कांग्रेसी नेता सालिग्राम जायसवाल के घर में शरण मिली। वह कांग्रेस सरकार में मंत्री थी। उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट था। जब उन्होंने कहा कि “आप मुझे अपने घर पर न रखें, मैं कहीं और चला जाता हूं, क्योंकि यदि किसी को पता लग गया तो आपका मंत्रीपद छिन जाएगा।” तब उन्होंने कहा, “इसीलिए तो तुम्हें अपने यहां रख रहा हूं ताकि दुनिया को पता तो चले कि इन्दिरा गांधी के इस व्यवहार के विरुद्ध उनके अपने दल में भी विरोध है।”NEWS
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