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संघ का लक्ष्य है, अपनी परम्परा, धर्म व संस्कृति की रक्षा करते हुए मातृभूमि के लिए उत्कट देशभक्ति के दृढ़ संस्कार पैदा करना और जीवन की बाजी लगाकर उसकी रक्षा करना। शासन को हम अपना मानते हैं; शासन को चलाने वाले नेताओं को हम अपना नेता मानते हैं। थोड़े-बहुत मतभेद हमारे हो सकते हैं, परन्तु यह तो महत्व की बात नहीं। अत: हमारे बड़े लोग यदि शत्रु–मित्र की ठीक पहचान नहीं करते हैं तो हमारे मन में बहुत दु:ख होता है। क्योंकि इस गलती से, विध्वंसात्मक कम्युनिस्टों द्वारा बहुत हानि हो सकती है। चीन से भाईचारा करने का नतीजा तो आज सामने आ चुका है। इसी प्रकार से चीन का पक्ष लेकर विद्रोह करने वाले कम्युनिस्टों से भाईचारा करने का, उन्हें कांग्रेस में, प्रशासन में, रक्षा समितियों में और युद्ध प्रयत्नों में आज घुसने देने का परिणाम, कल कितना खतरनाक हो सकता है? एक धड़ाके से सारी कांग्रेस को हड़प कर शासन यंत्र को अंदर से भग्न कर, तोड़-फोड़ के द्वारा देश को रक्तरंजित करके, अपनी क्रूर तानाशाही सत्ता स्थापित करने की, इन कम्युनिस्टों की षड्यंत्रपूर्ण कार्यवाही हो सकती है। आज की संकटपूर्ण स्थिति में, इनसे भाईचारा करना, एक नवीन और बड़े खतरे को निमंत्रण देना है।(श्री गुरुजी समग्र दर्शन, खण्ड-4, पृ.- 112)NEWS
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