|
सुनो कहानीपराश्रितएक घने जंगल में लोमड़ी, गीदड़ और खरगोश रहते थे। मौका पाकर गीदड़ किसी न किसी खरगोश को खा जाता था, इससे खरगोश बहुत परेशान थे। वे इस असमंजस में थे कि अपनी मदद के लिए शेर के पास जाएं तो वह उन्हें खा जाएगा, हाथी के पास जाएं तो वह पैरों तले कुचल देगा। अंत में उन्होंने लोमड़ी के पास जाने का निर्णय लिया। लोमड़ी को अपनी दर्दभरी कहानी सुनाने के बाद खरगोशों ने कहा कि हमें गीदड़ों से बचाने के लिए अब आपका ही सहारा है। इस विपत्ति से यदि हमें नहीं बचाया गया तो हमारा वंश ही समाप्त हो जाएगा।लोमड़ी चालाक थी। उसने खरगोशों को बचाने का आश्वासन दिया और अगले दिन फिर आने के लिए कहा। उन खरगोशों ने सभी खरगोशों को संदेश भेज दिया कि कल लोमड़ी के पास जाना है। इसी प्रकार लोमड़ी ने भी सब लोमड़ियों को संदेश दे दिया। अगले दिन खरगोश एकत्र होकर लोमड़ी के पास आए और लोमड़ियों की भीड़ देखकर मन ही मन प्रसन्न हुए कि अब तो हमारी रक्षा हो ही जाएगी। लेकिन परिणाम विपरीत ही हुआ। लोमड़ियों ने खरगोशों के आते ही उन्हें दबोच लिया और सबको खा गर्इं। यह सच है कि जो आदमी, जाति या देश दूसरों पर भरोसा करते हैं, वे ऐसे ही धोखा खाते हैं।मानस त्रिपाठीबूझो तो जानेंप्यारे बच्चों! हमें पता है कि तुम होशियार हो, लेकिन कितने? तुम्हारे भरत भैया यह जानना चाहते हैं। तो फिर देरी कैसी?झटपट इस पहेली का उत्तर तो दो। भरत भैया हर सप्ताह ऐसी ही एक रोचक पहेली पूछते रहेंगे। इस सप्ताह की पहेली है-राजा दशरथ के यहां, प्रकटे भाई चार, जिस-जिस ने भी यह सुना, हुर्षित हुआ अपार।माता-पिता के थे वह चारों राजदुलारे, नाम बताओ अवधपुरी के थे जो प्यारे।।(उत्तर : राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न)NEWS
टिप्पणियाँ