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सरोकार

by
Sep 1, 2005, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 01 Sep 2005 00:00:00

मेनका गांधी, सांसद, लोकसभाकौन कहता है मछलीसेहत के लिए अच्छी होती है?क्या मछली एक स्वास्थ्यवर्धक भोजन है?-एस.सी. पाण्डे, शिवालिक नगर, बी.एच.ई.एल., हरिद्वार (उत्तराञ्चल)जो व्यक्ति “स्वास्थ्य” कारणों से मछली खाता है, उसे फिर से सोचना चाहिए। मछली के मांस में, जिस पानी में वह रहती है उसमें जमे हुए विषाणुओं के कारण 90 लाख गुना अधिक विष हो सकता है और झींगा तथा घोंघा जैसे कुछ समुद्री जीवों के मांस में गो-मांस से ज्यादा कोलेस्ट्रोल होता है। मछलियों में मरकरी का जहर आम है। फार्म में भी मछलियों को “एंटीबायटिक” खिलाए जाते हैं जो मानव शरीर में भी प्रवेश कर जाते हैं, जिससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को क्षति पहुंचती है। “सेन्टर फार डीसींज कन्ट्रोल एण्ड प्रीवेन्शन” के अनुसार प्रदूषित मछली तथा अन्य समुद्री जीवों को खाने से प्रतिवर्ष 3,25,000 लोग बीमार होते हैं, जिनमें से अधिकांश की मृत्यु हो जाती है।मुझे एक ऐसे व्यक्ति के बारे में पता है जिसके घर में गैर कानूनी रूप से बाघ की खालें रखी हैं। मुझे क्या करना चाहिए?-विवेक जैन, गांधी चौक, कोठी बाजार, बैतूल (मध्य प्रदेश)किसी भी संरक्षित प्रजाति के जानवर के शरीर के किसी भी भाग अथवा खाल को रखना गैर-कानूनी है। कुछ लोगों के पास उन्हें रखने का लाइसेंस हो सकता है, क्योंकि वे दावा करते हैं कि वे खालें उनकी पुश्तैनी संपत्ति हैं। यदि इस व्यक्ति के पास लाइसेंस नहीं है तो उसे वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के अंतर्गत 7 वर्ष की कैद हो सकती है। आपको स्थानीय जिला वन अधिकारी तथा पुलिस से संपर्क करना चाहिए। यह सुनिश्चित करें कि आप उसे बिना बताए ऐसा करें, क्योंकि सूचना मिल गई तो वे खालें गायब की जा सकती हैं।हम चूहों की गणेश जी के साथ उनके वाहन के रूप में पूजा करते हैं। जब वे फसलों को नष्ट करते हैं तो क्या उन्हें मारना पाप है?-विनोद कुमार शर्मा, भूरा, मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश)हां, यह पाप है। पशु अपने आप में महत्वपूर्ण हैं और पारिस्थितिकीय तंत्र का एक आवश्यक भाग हैं। किसी पशु को मारना समस्या का हल नहीं है। चूहे खेत में इस कारण से होते हैं कि वहां भोजन उपलब्ध होता है। किसान ने सांप, मोर, नेवलों तथा चीलों को मार दिया है, जो उन पर नियंत्रण रखते हैं। प्रकृति के नियंत्रण के अपने तरीके हैं और यदि उनसे छेड़छाड़ की जाए तो कोई एक पशु गैर-आनुपातिक दर से बढ़ता है।चूहे की समस्या का कोई हल नहीं है, क्योंकि एक जोड़ा एक वर्ष में 16,000 चूहे तक पैदा कर सकता है। इसका एकमात्र हल यह है कि अपनी भूमि की रक्षा के लिए चूहे खाने वाले उपरोक्त पशुओं को बढ़ने दीजिए।थ्लिपस्टिक तथा दंत मंजन के उपयोग से मांसाहार तथा पशुओं के वध को बढ़ावा मिलता है। इनको प्रयोग किए जाने के दुष्परिणाम क्या हैं?-प्रकाश कुमार, खीवाड़ा, जिला-पाली (राजस्थान)लिपिस्टिक तथा दंत मंजन दोनों पशु उत्पाद का प्रयोग करते हैं। इनको लाखों की संख्या में बेचा जाता है। पशुओं को इनके लिए विशेषकर मारा जाता है। लिपिस्टिक में ग्लीसरीन, जो गो अथवा सुअर के मांस पर आधारित होती है; मछली के शरीर के पल्क, जो चमक देते हैं; बीटल (कीड़े), जो लाल रंग देते हैं, मधुमक्खियों का शहद, जो उन्हें मारने तथा छत्ते से मोम निकालने से आता है, व्हेल की चर्बी, मवेशी की कोशिकाएं आदि अवयव होते हैं। दंत मंजन में चूरा की गई हड्डियां होती हैं। निर्माता बाजार में ऐसे कास्मेटिक उत्पाद लाते हैं जिनका क्रूरतापूर्वक अनावश्यक रूप से पशुओं पर परीक्षण किया गया होता है। प्रतिदिन इन उत्पादों के परीक्षण के दौरान हजारों पशु मरते हैं।लिपिस्टिक के नियमित उपयोग से होठ काले पड़ जाते हैं। लिपिस्टिक तथा दंत मंजन दोनों के घटकों की शरीर पर भिन्न प्रतिक्रिया होती है।पशु कल्याण आंदोलन में भाग लेने के इच्छुक पाठक श्रीमती मेनका गांधी से 14, अशोक रोड, नई दिल्ली-110001 के पते पर सम्पर्क कर सकते हैं।श्रीमती मेनका गांधी”सरोकार” स्तम्भद्वारा, सम्पादक, पाञ्चजन्यसंस्कृति भवन, देशबन्धु गुप्ता मार्ग, झण्डेवाला, नई दिल्ली-110055इस स्तम्भ में हर पखवाड़े प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और शाकाहार कीे समर्पित प्रसारक श्रीमती मेनका गांधी शाकाहार, पशु-पक्षी प्रेम तथा प्रकृति से सम्बंधित पाठकों के प्रश्नों का उत्तर देती हैं। अपना प्रश्न भेजते समय कृपया निम्नलिखित चौखाने का प्रयोग करें।NEWS

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