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नागालैण्ड में श्री एन.सी. जेलियांग एक निष्ठावान सामाजिक व राजनीतिक नेता के रूप में जाने जाते रहे हैं। ऐसे महान नेता के असामयिक निधन से नागा समाज की भारी क्षति हुई है।श्री जेलियांग का जन्म 23 मार्च, 1934 को न्तुमा गांव में एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिताजी का नाम श्री दावपिंग और माताजी का नाम श्रीमती दाथुलगुई था। एक होनहार छात्र के रूप में उन्होंने बी.काम. की परीक्षा 1956 में दिल्ली विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण की। युवावस्था से ही अच्छे खिलाड़ी, कवि, छात्र नेता के रूप में एन.सी. जेलियांग उभरे। उन्होंने सन् 1962-77 तक नागालैण्ड राज्य सरकार के प्रचार-प्रसार विभाग में काम किया। सन् 1977 में राजनीति में सक्रिय रूप काम करते हुए प्रथम बार विधायक के रूप में तेनिंग क्षेत्र से चुने गये। “90 के दशक में उन्होंने प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। दो बार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रहे तथा राष्ट्रीय कार्यकारी समिति में भी सक्रिय रहे। उन्होंने आपातकाल के समय संघ पर प्रतिबंध का विरोध किया था। वे धर्म स्वातंत्र्य विधेयक के पक्ष में अडिग रहे और रामजन्म भूमि आंदोलन में भी उनकी सक्रिय भूमिका रही। पद्मभूषण रानी गाइदिन्ल्यू के सम्पर्क में आने के पश्चात वे ईसाइयत को छोड़कर जेलियांगरांग हेराका आन्दोलन में सक्रिय हुए। सन् 1974 में हेराका एसोसिएशन के अध्यक्ष बने और तीन दशक तक इसका मार्गदर्शन करते रहे। वनवासी कल्याण आश्रम के सम्पर्क में आने के पश्चात वे सन् 1981 में दिल्ली में आयोजित प्रथम वनवासी सम्मेलन के मुख्य अतिथि बने, जहां उनका व्यापक भारतीय वनवासी बंधुओं से परिचय हुआ। वनवासी धर्म-संस्कृति की सुरक्षा व संवर्धन हेतु उन्होंने उत्तर-पूर्वांचल में विविध जनजातीय समाजों को संगठित किया था।NEWS
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