|
नम आंखों में तिर गई उनकी स्मृतिप्रतिनिधिआचार्य विष्णुकान्त शास्त्री को अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए डा. मुरली मनोहर जोशी, साथ में हैं श्री नरेन्द्र कोहली”आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री के निधन से यूं लगा मानो प्रकाश फैलाने वाली दीपशिखा बुझ गई, साहित्य के सूर्य का अस्त हो गया, संस्कृति की गंगा लुप्त हो गई। हम सबने उनके व्यक्तित्व से बहुत कुछ सीखा है। सज्जनता, सौम्यता, सुसंस्कार जैसे गुण उनमें कूट-कूट कर भरे थे।” ये भावोद्गार हैं पूर्व केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डा. मुरली मनोहर जोशी के। डा. जोशी गत 24 अप्रैल को कोलकाता में श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय तथा अन्य सामाजिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्थाओं की ओर से आयोजित आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री की श्रद्धाञ्जलि सभा में बोल रहे थे।कोलकाता की सभा में स्व. आचार्य शास्त्री को 200 से अधिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने कतारबद्ध होकर अपनी भावभीनी श्रद्धाञ्जलि दी। ये सभी अपने पुष्पहार साथ लेकर आए थे।डा. जोशी ने कहा कि सिद्धांतों के प्रति उनकी अटूट निष्ठा थी, देश और समाज के लिए उनका विनम्र एवं समर्पित भाव अद्भुत था। निष्ठा और आदर्श के प्रति उनकी तेजस्विता, ओजस्विता और निर्भयता सराहनीय थी।मुख्य वक्ता प्रख्यात कथाकार डा. नरेन्द्र कोहली ने विह्वल कंठ से शास्त्री जी की विराट हृदयता के कई प्रसंग सुनाए।प्रख्यात आर्य समाजी चिन्तक श्री उमाकांत उपाध्याय ने उन्हें सच्चे अर्थों में शास्त्रैरपि शरैरपि के गुणों का धारक बताते हुए उन्हें विद्वत्ता, विनम्रता एवं आर्ष मनीषा का अद्भुत विद्वान बताया। पत्रकार विश्वम्भर नेवर ने कहा कि शास्त्री जी हमारी पीढ़ी के अद्भुत गरिमा सम्पन्न व्यक्ति थे। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री तथागत राय ने उन्हें राजनीति में अपना गुरु तथा भारतीय जनता पार्टी के पितृ पुरुष के रूप में याद किया। रंगकर्मी डा. प्रतिभा अग्रवाल ने उनकी दृढ़ता और विवेकशीलता की चर्चा करते हुए अनामिका में उनके साथ बिताए हुए सुखद दिनों की चर्चा की। विधायक श्री सत्यनारायण बजाज ने कहा कि उनका व्यक्तित्व प्रेरक और अनुकरणीय था।स्वामी युक्तानन्दजी ने शास्त्री जी को हिन्दू धर्म, समाज एवं संस्कृति का यथार्थ पुजारी बताते हुए कहा कि उनकी पुण्यात्मा पुन: नर देह धारण कर हमारे बीच आए एवं हमारा मार्गदर्शन करे यही मेरी ईश्वर से प्रार्थना है।कोलकाता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष डा. अमरनाथ शर्मा ने आचार्य शास्त्री को इन्सानियत का सच्चा साधक बताते हुए उनके निधन को मनुष्यता का अकाल बताया। सुप्रसिद्ध समालोचक श्रीनिवास शर्मा ने कहा कि शास्त्री जी का जाना परंपरा, जीवनमूल्यों एवं उन सिद्धांतों का उठ जाना है जिनके लिए उन्होंने आजीवन संघर्ष किया। आज की मूल्यहीन राजनीति के दौर में आचार्य शास्त्री ने अपने निष्कलुष आचरण से समाज के सम्मुख अनुपम दृष्टांत रखा।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दक्षिण बंगाल के प्रांत कार्यवाह श्री रणेन्द्र नाथ बंद्योपाध्याय ने कहा कि वैदिक ऋषियों जैसे व्यक्तित्व सम्पन्न शास्त्री जी भारतीय संस्कृति के कुशल व्याख्याता रहे हैं। सरस्वती के वरद् पुत्र शास्त्री जी के सम्मोहक व्याख्यानों की अनुगूंज बनी रहती थी।नई दिल्ली में सम्पन्न शोक सभा में अपनी श्रद्धाञ्जलि अर्पित करते हुए श्री कमल किशोर गोयनका। मंचासीन हैं (बाएं से) डा. रमानाथ त्रिपाठी, श्री जगदीश प्रसाद माथुर और श्रीमती मृदुला सिन्हापुस्तकालय के अध्यक्ष डा. प्रेमशंकर त्रिपाठी ने राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, विविध राज्यों के राज्यपाल, पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व उप प्रधानमंत्री श्री लालकृष्ण आडवाणी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन, विश्व हिन्दू परिषद् के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष श्री अशोक सिंहल, गायत्री परिवार के प्रमुख डा. प्रणव पंडा, साध्वी ऋतम्भरा, प्रोफेसर कल्याणमल लोढ़ा, वरिष्ठ साहित्यकार डा. प्रतापचन्द्र चन्दर, भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक डा. प्रभाकर श्रोत्रिय, साहित्यकार डा. कमल किशोर गोयनका एवं कई प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के शोक-संदेशों के कुछ अंशों का पाठ किया।मंच पर आचार्य शास्त्री का भव्य चित्र लगा था। वहां उपस्थित विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने उनके प्रति श्रद्धासुमन अर्पित किए। पुस्तकालय की ओर से श्री जुगलकिशोर जैथलिया ने घोषित किया कि शास्त्री जी की स्मृति को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए पुस्तकालय संकल्पबद्ध है। उनका अप्रकाशित साहित्य प्रकाशित हो, इसकी चेष्टा भी की जाएगी।24 अप्रैल को ही एक अन्य श्रद्धाञ्जलि सभा इन्द्रप्रस्थ साहित्य भारती ने नई दिल्ली में आयोजित की। केशवकंुज, झण्डेवाला में आयोजित इस शोक सभा की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य रमानाथ त्रिपाठी ने की। इस अवसर पर वरिष्ठ भाजपा नेता श्री जगदीश प्रसाद माथुर, केन्द्रीय समाज कल्याण बोर्ड की पूर्व अध्यक्षा श्रीमती मृदुला सिन्हा, पूर्व सांसद श्री अश्वनी कुमार, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री रामकृपाल सिन्हा, हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष श्री महेश चन्द्र शर्मा, इन्द्रप्रस्थ साहित्य भारती के अध्यक्ष डा. देवेन्द्र आर्य, महामंत्री श्री प्रवीण आर्य, प्रसिद्ध कवि श्री जीत सिंह “जीत”, सारस्वत मोहन मनीषी, श्री आनन्द आदीश सहित अनेक लोगों ने आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री को अपनी श्रद्धाञ्जलि अर्पित की। सभा का संचालन सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री कमल किशोर गोयनका ने किया।प्रतिनिधिNEWS
टिप्पणियाँ