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कांग्रेस के भीतर घात-प्रतिघात!जम्मू-कश्मीरगुलाम नबी आजादमंगतराम शर्माकौन बनेगा अगला मुख्यमंत्री?आजकल जम्मू-कश्मीर की जनता की जुबान पर एक ही सवाल है, “मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद और उपमुख्यमंत्री मंगतराम शर्मा के बीच मतभेद सच में हैं या यह दिखावा है?आजकल जम्मू-कश्मीर की जनता की जुबान पर एक ही सवाल है, “मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद और उपमुख्यमंत्री मंगतराम शर्मा के बीच मतभेद सच में हैं या यह दिखावा है?” इसकी चर्चा तब शुरू हुई जब पिछले दिनों कुछ नियुक्तियों और स्थानान्तरण के मुद्दे पर मंगतराम शर्मा ने राज्य मंत्रिमण्डल की बैठक का बहिष्कार कर दिया। कैबिनेट की बैठक के बीच से बाहर आने के तुरंत बाद श्री शर्मा “मैडम” के दरबार में हाजिरी लगाने सीधे दिल्ली चले गए, यहां यह भी उल्लेखनीय है कि श्री शर्मा ने जम्मू क्षेत्र के साथ न्याय किए जाने के मुद्दे को लेकर बैठक का बहिष्कार किया, पर उनके साथ कांग्रेस का कोई और मंत्री बाहर नहीं आया। इतना ही नहीं, इसके तीन दिन बाद हुई कैबिनेट की बैठक की कार्यवाही बहुत आराम से सम्पन्न हुई और कहीं कोई विरोध नहीं दिखा। यानी मंगतराम शर्मा का बहिष्कार खोखला साबित हुआ। कहा जा रहा है कि केन्द्र सरकार ने हस्तक्षेप करते हुए कांग्रेसियों से शान्त रहने को कहा था। पर सचाई जानने वाले बताते हैं कि इसके पीछे गुलाम नबी आजाद का हाथ है। उन्होंने मंगतराम शर्मा के ऊंची उड़ान भरने से पहले ही पर कतर दिए।राज्य कांग्रेस के अनेक नेताओं ने पहले ही श्रीमती सोनिया गांधी से मिलकर यह शिकायत दर्ज करा रखी है कि मंगतराम मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के “यस मैन” बन गए हैं। इसीलिए 1 वर्ष पहले कांग्रेस आलाकमान ने शर्मा से कहा था कि वे सरकार में अपनी प्रभावी भूमिका निभाएं ताकि कांग्रेस का कुछ असर दिखाई दे। खासकर जम्मू क्षेत्र के लोगों की आवाज बनें, जो राज्य में कांग्रेस का आधार हैं। पर तब तो मंगतराम शर्मा ने कुछ किया नहीं। अब एकाएक उन्हें जम्मूवासियों की याद आ गई और बैठक का बहिष्कार कर उन्होंने यह जताने की कोशिश की कि उनकी भी कुछ “हैसियत” है। दरअसल इस पूरे “ड्रामे” का सच यह है कि राज्य सरकार में मंगतराम शर्मा के दिन गिने-चुने बचे हैं। जिस समझौते के तहत जम्मू-कश्मीर की सरकार बनी उसमें पहले 3 साल के लिए मुख्यमंत्री पी.डी.पी. का होना था और उपमुख्यमंत्री कांग्रेस का। वह कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। अगले 3 साल के लिए मुख्यमंत्री कांग्रेस का होगा और उपमुख्यमंत्री पी.डी.पी. का। जम्मू-कश्मीर के इतिहास में अब तक कोई हिन्दू मुख्यमंत्री नहीं बना, और आगे भी शायद ही बने। इसी कारण मंगतराम परेशान हैं कि उपमुख्यमंत्री का पद जाने के बाद उनकी राज्य में क्या भूमिका होगी। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे हैं कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद। और उपमुख्यमंत्री बनेंगी पी.डी.पी. की महबूबा मुफ्ती या पी.डी.पी. के ही वर्तमान वित्तमंत्री मुजफ्फर हुसैन बेग। तब शर्मा क्या बनेंगे? वे बनना चाहते हैं किसी प्रदेश के राज्यपाल। इसीलिए अपने कार्यकाल के अंतिम दौर में अपनी आवाज ऊंची करके सोनिया दरबार तक वे अपना संदेश पहुंचाना चाहते हैं। और गुलाम नबी आजाद भी यही चाहते हैं कि उप मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद मंगतराम राज्य से कहीं बाहर ही रहें, ताकि उनके लिए सरदर्द न पैदा करें।जम्मू से विशेष प्रतिनिधिNEWS
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