|
उत्तराञ्चलतिवारी की मुश्किलेंतिवारीउत्तराञ्चल में मुख्यमंत्री पद को लेकर मचे घमासान को देखते हुए ही कांग्रेस आलाकमान ने राज्य की बागडोर वरिष्ठ नेता श्री नारायण दत्त तिवारी को सौंपी थी। पर पिछले तीन वर्ष के दौरान शायद ही ऐसा कोई दिन बीता हो जब कांग्रेस अन्दरूनी कलह से न जूझी हो। हालांकि, खींचतान रोकने के लिए कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार व प्रदेश अध्यक्ष श्री हरीश रावत को राज्यसभा में भेजा, स्व.हेमवती नंदन बहुगुणा के पुत्र श्री विजय बहुगुणा व श्री सतपाल महाराज को क्रमश: योजना आयोग व बीस सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति का प्रमुख बनाकर “कैबिनेट मंत्री” स्तर का दर्जा दिया। मगर कांग्रेस नेतृत्व के सभी प्रयास विफल रहे। पिछले कुछ माह से तिवारी हटाओ अभियान ने फिर से जोर पकड़ लिया है और कई विधायक बगावत के अंदाज में श्री तिवारी को चुनौती दे रहे हैं। पर कांग्रेस के सामने श्री तिवारी को हटाने की दशा में उत्तराधिकारी का चयन कम टेढ़ी खीर नहीं है। हरीश रावत, सतपाल महाराज, विजय बहुगुणा के अलावा मुख्यमंत्री की कुर्सी की एक प्रमुख दावेदार प्रदेश की लोक निर्माण एवं संसदीय कार्य मंत्री डा. (श्रीमती) इंदिरा हृदयेश भी हैं। माना जाता है कि श्री तिवारी ने यदि पद छोड़ा तो वे श्रीमती इंदिरा हृदयेश के लिए पैरवी कर सकते हैं। बहरहाल, कांग्रेस में मचे घमासान से पार्टी की छिछालेदर हो रही है, साथ ही राज्य का विकास भी प्रभावित हो रहा है। राजनीतिक अस्थिरता के वातावरण के चलते नौकरशाही बेलगाम हो चुकी है। राज्य की आर्थिक स्थिति खस्ताहाल है। शांत प्रकृति की इस देवभूमि में अपराधों का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ रहा है। पर, कांग्रेसियों को गुटबाजी और आपसी टांग खिंचाई से फुर्सत मिले तो इस बारे में सोचें भी।देहरादून से अजेन्द्र अजयNEWS
टिप्पणियाँ