|
सच्ची आजादी उसके भाग्य में नहीं, जो अपनी रक्षा खुशामद और सेवा से करता है। अपने आपको गंवाकर ही सच्ची स्वतंत्रता नसीब होती है।-सरदार पूर्णसिंह (“कन्यादान” निबंध)जिहाद जारी हैविचारधारा की शक्ति से ही भारत शत्रुओं की पराजय होगीअभी श्रमजीवी एक्सप्रेस में आतंकवादियों द्वारा किए गए बम विस्फोट में मारे गए 12 यात्रियों और 100 घायलों की खबर पढ़ी ही जा रही थी कि जम्मू के राजौरी जिले में पांच हिन्दुओं को आतंकवादियों द्वारा मार दिए जाने की खबर आ गयी है। वृहस्पतिवार, 22 जुलाई की रात को हुई इस निर्मम घटना की सूचना पुलिस को शुक्रवार की सुबह मिली। जब से पाकिस्तान से “मोहब्बतों” का सिलसिला शुरू हुआ है, लाहौर से लेकर मुजफ्फराबाद तक की बसें चली हैं, हर रोज पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा निर्दोष भारतीयों की लाशें हम तक “वापसी उपहार” के रूप में पहुंचाई जा रही हैं। न केवल कारगिल और सियाचिन के क्षेत्र में बमबारी और गोलियां चल रही हैं, बल्कि आतंकवादी अब देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी कार्रवाइयां कर रहे हैं। अयोध्या विस्फोट के बाद उम्मीद की जाती थी कि सरकार कुछ हरकत में आएगी और अपराधियों को पकड़ेगी, पर इसके उलट आतंकवादियों के प्रति नरम सरकार देशभक्तों पर बाबरी मामले का मुकदमा चलाने और पाठक्रमों में भारतीय महापुरुषों का मजाक उड़ाने वाले अध्याय जोड़ने में अपनी शक्ति लगा रही है।भारत इस समय घायल और लहूलुहान है। हिन्दुत्व विरोधी शक्तियों ने अपने अन्धविरोध में भारत विरोधी शक्तियों को एक प्रकार से अभयदान दे दिया है। दूसरी ओर विचारधारा से कटी व्यक्तिवादी राजनीति केवल अपने व्यक्तिगत हितों के दायरे में सिमटी हुई है। राजनीति, शासन-प्रशासन और मीडिया से लेकर न्यायतंत्र तक हिन्दू छाए हैं, इसके बावजूद हिन्दुओं पर निरन्तर हमले जारी हैं और उनकी वेदना, वेदना नहीं मानी जाती, बल्कि उन्हें चुप रहने की सलाह दी जाती है। यही परिस्थिति एक बड़े सामाजिक परिवर्तन द्वारा बदलने के लिए डा. हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माध्यम से अभिमानी, असमझौतावादी और प्रखर शक्ति के साथ भारत-शत्रुओं को परास्त करने की विचारधारा सामने रखी थी। इस भारत भक्ति के अधिष्ठान पर टिकी हिन्दुत्व की विचारधारा ही वह ब्राह्मास्त्र है जिसके माध्यम से हम शक्तिशाली और सुरक्षित भारत के ऐसे नवोदय का स्वप्न साकार कर सकते हैं, जो न स्वजनों से विमुख होगा, न शत्रुओं के आगे मिमियाएगा। आज की परिस्थिति बदलने के लिए इसी विचारधारा की शक्ति का प्रबल-प्रतापी स्वरूप दिखाना होगा।बर्बर पुलिस और कम्युनिस्टों का दोमुंहापनगुजरात दंगों के समय जिन कम्युनिस्टों ने पुलिस की आलोचना करते हुए नरेन्द्र मोदी का वहशियाना पीछा किया, उन्होंने ही अब अपनी क्षुद्र राजनीति के लिए गुड़गांव के होण्डा कम्पनी के कर्मचारियों को अपनी राजनीति का चारा बनाया और गुड़गांव पुलिस की बर्बरता को संरक्षण देने वाली कांग्रेस सरकार के तलवे चाटे। गुड़गांव में कर्मचारियों पर पुलिस दरिन्दगी ब्रिटिश जमाने की याद दिलाती है। लेकिन जो सरकार व पार्टी उसके लिए जिम्मेदार है, उससे समर्थन वापस लेने की तो बात ही दूर, कम्युनिस्ट उनके साथ दोस्ती निभा रहे हैं और पिट चुके, बेघर हुए गिरफ्तार मजदूरों को मूर्ख बना रहे हैं। इस प्रकरण पर माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच भी खाई भी सामने आई है। माकपा ने भाकपा को अकेले विलाप के लिए छोड़ दिया है। कम्युनिस्टों ने जिस प्रकार प. बंगाल को उद्योग विहीन कर मजदूरों को बर्बादी के कगार पर ला पहुंचाया था, अब वही वे कांग्रेस के साथ मिलकर गुड़गांव के प्रति कर रहे हैं। मजदूरों के प्रति उन्हें कोई सहानुभूति नहीं है और पुलिस दरिन्दगी के विरुद्ध भी अंतत: कुछ नहीं होगा, आप देखते रहिए।NEWS
टिप्पणियाँ