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छेनी – हथौड़े से शान्ति की खोजशिल्पकार अद्वैत गणनायक आजकल व्यस्त हैं। वे अपने सहयोगी शिष्यों के साथ अब तक की सबसे बड़ी गांधी जी की प्रतिमा को तराशने में लगे हुए हैं। दो वर्ष के गहन अध्ययन के बाद 25 फुट लंबी, 11 फुट ऊंचीे और 9 फुट चौड़ी इस प्रतिमा को बनाने का ख्याल गणनायक के दिमाग में आया। 41 वर्षीय अद्वैत की कलाकृतियों को सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सहेज कर रखा गया है। श्रीलंका व जापान में भी उनकी कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है। उन्हें कामनवेल्थ फैलोशिप व राष्ट्रीय पुरस्कार भी दिए जा चुके हैं। अद्वैत के अनुसार कला उनका जुनून है। एक बार तो उन्होंने एक-एक पैसा जोड़कर खरीदी अपनी कार को राजनीति पर कटाक्ष करती एक अनूठी कलाकृति में परिवर्तित कर दिया। विभिन्न भाषाओं में लिखे राजनीतिक नारों से पटी यह कार अरसे तक ललित कला अकादमी के अहाते में लोगों का ध्यान खींचती रही थी।अद्वैत की पत्नी निवेदिता मिश्रा भी मिट्टी से मूर्ति गढ़ने के फन में माहिर हैं। मूर्तिशिल्प अध्ययन के लिए इंग्लैण्ड स्थित स्लेड स्कूल से उच्च शिक्षा प्राप्त अद्वैत ने लंदन स्थित ब्रिस्टल आर्ट कालेज में अध्यापन का कार्य भी किया है। लेकिन मातृभूमि की पुकार उन्हें खींचकर स्वदेश ले आई। गांधी जी को शांति का प्रतीक मानने वाले अद्वैत ने शांति के प्रतीकों पर ही अपना व्यावहारिक शोध शुरू किया है। उनका अगला लक्ष्य बहुत ही विशाल होगा। अब वे पूरे पहाड़ को तराशकर तालिबान द्वारा ध्वस्त बामियान के बुद्ध से भी बड़ी बुद्ध प्रतिमा का निर्माण करने वाले हैं। इसके लिए उन्होंने हमीरपुर जिले की पहाड़ी को चुना है। उन्होंने राजधानी दिल्ली के निकट विश्वकर्मा वाटिका स्थापित की है। यहां गुरुजन विद्यार्थियों को शिल्प कला सिखाते हैं और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय से उन्हें प्रमाणपत्र मिलता है।(स्रोत: इंडिया टुडे, 17 जनवरी, 05)NEWS
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