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रंजीत रामनारायण को मिला प्रथम “भारतवंशी गौरव सम्मान”दुनिया में गूंजे हिन्दुत्व का गौरव”जोइन्सान जीवन की दुश्वारियों को चुपचाप सहता हुआ निरन्तर अपने कर्मपथ पर बढ़ता रहता है, सफलता उसी के चरण चूमती है।” दक्षिण अफ्रीका के अप्रवासी भारतीय रंजीत रामनारायण का जीवन भी ऐसे ही संघर्ष की कहानी है। गत 25 अक्तूबर को अन्तरराष्ट्रीय सहयोग न्यास ने नई दिल्ली स्थित “पी.एच.डी. चेम्बर आफ कामर्स एण्ड इण्डस्ट्री” के सभागार में उन्हें प्रथम “भारतवंशी गौरव सम्मान” से अलंकृत किया। मारीशस के प्रधानमंत्री श्री नवीन रामगुलाम ने उन्हें पुरस्कार स्वरूप सम्मान पत्र, स्मृति चिन्ह, एक लाख रुपए की धनराशि और शाल भेंट की। इस अवसर पर मारीशस के प्रधानमंत्री श्री नवीन रामगुलाम ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने किन्हीं कारणों से भले ही अपनी मातृभूमि छोड़ दी, किन्तु अपनी संस्कृति को नहीं छोड़ा। वे अपनी थाती के रूप में रामायण और भगवद्गीता साथ लेकर गए थे। अपने सम्मान स्वीकारोक्ति वक्तव्य में श्री रंजीत रामनारायण ने कहा कि, “संघर्ष के दिनों से लेकर आज तक भारत भूमि और हिन्दू धर्म ही मेरा सबसे बड़ा सम्बल रहा है। दक्षिण अफ्रीका में अपने धर्म, अपनी संस्कृति, विश्वास और प्रथाओं को बचाए रखने में हमने भारी संघर्ष किया, विपदाएं झेली परन्तु ईश्वर की कृपा से हम अपने मूल मार्ग से डिगे नहीं।” सम्मान समारोह का संचालन अन्तरराष्ट्रीय सहयोग न्यास के अध्यक्ष श्री बालेश्वर अग्रवाल ने किया।NEWS
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