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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अ.भा. कार्यकारी मंडल ने कहा –

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Jun 11, 2005, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 11 Jun 2005 00:00:00

सरकार सुरक्षा के प्रति लापरवाहपूर्वोत्तर भारत में चर्च प्रेरित उग्रवाद पर लगे लगामअल्पसंख्यकवाद समाप्त करने के न्यायालय के दिशा-निर्देशों का सम्मान करे सरकार!!गत 21 से 23 अक्तूबर तक चित्रकूट में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में देश की वर्तमान परिस्थिति से जुड़े चार प्रस्ताव भी पारित हुए। पहला प्रस्ताव जातीय वैमनस्यता के विरुद्ध हिन्दू समाज में परस्पर आत्मीयता के संवद्र्धन से जुड़ा है; दूसरे, तीसरे व चौथे प्रस्तावों में क्रमश: कश्मीर, पूर्वोत्तर भारत में आतंकवाद तथा अल्पसंख्यकवाद के खतरों से देश व सरकारों को आगाह किया गया है। पाञ्चजन्य के पिछले अंक (30 अक्तूबर, 2005) में चित्रकूट बैठक और पहले प्रस्ताव के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई थी। यहां प्रस्तुत हैं अन्य तीन प्रस्तावों के सम्पादित अंश -प्रस्ताव क्रमांक – 2कश्मीर पर सरकार का रुख आत्मघातीअखिल भारतीय कार्यकारी मंडल भारत सरकार को कश्मीर पहल पर सतर्कता, प्रतिबद्धता तथा संयम बरतने का आवाहन करता है। हम इस तथ्य को आंखों से ओझल नहीं कर सकते कि स्वाधीनता के पिछले 6 दशकों में हमारी सीमाएं क्रमश: संकुचित हुई हैं। हमारे पड़ोसियों ने हमारे एक लाख वर्ग कि.मी. से अधिक भू-भाग पर कब्जा जमाया हुआ है।अ.भा. कार्यकारी मंडल जनता को यह स्मरण कराना चाहता है कि शांति-प्रक्रिया चलते रहने के बावजूद जम्मू-कश्मीर में जारी आतंकवादी हिंसा और सीमा पार से अबाध घुसपैठ पाकिस्तान के प्रयत्नों की प्रामाणिकता पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करती है। भूकम्प जैसी भयानक आपदा के समय भी इन आतंकवादी गतिविधियों का जारी रहना सीमा पार के आतंकवादियों की क्रूरता एवं दुष्टता को ही दर्शाता है।कार्यकारी मंडल सियाचिन क्षेत्र से अपनी सेनाओं की वापसी के निर्णय को अविवेकी व अवांछनीय मानता है। यह सभी जानते हैं कि सियाचिन पर नियंत्रण रखना हमारी महत्वपूर्ण सामरिक आवश्यकता है।कश्मीर पहल के नाम पर सुने जा रहे विभिन्न प्रस्तावों के प्रति अ.भा. कार्यकारी मंडल चिन्ता व्यक्त करता है। इस प्रकार की आशंकाएं हैं कि सियाचिन के बाद भारत को कश्मीर घाटी के बारामूला तथा कुपवाड़ा जिलों से भी सेनाएं हटाने को कहा जाएगा। बृहत्तर स्वायत्तता की चर्चा है तथा सीमाओं को खोलने व सांझे प्रशासन के भी प्रस्ताव किए जा रहे हैं। हम इन सभी प्रस्तावों को देश के हितों एवं अखण्डता के विरुद्ध मानते हैं। सरकार द्वारा हुर्रियत नेताओं को पाकिस्तान जाने की अनुमति देने से उन्हें पाकिस्तानी नेताओं से बातचीत का अवसर मिला, कार्यकारी मंडल इस अनुमति की जोरदार निंदा करता है। सरकार की यह अविवेकी कार्रवाई भारतीय अधिकार क्षेत्र के इस मुद्दे पर पाकिस्तान के अधिकार को स्वीकार कर लेने के समान है। इस प्रकार की दुर्भाग्यपूर्ण कार्रवाइयों के कारण भारत सरकार के द्वारा बहुप्रचारित कश्मीर पहल का केन्द्रबिंदु पाक अधिकृत कश्मीर से हटकर भारतीय राज्य के जम्मू-कश्मीर वाले हिस्से की ओर स्थानांतरित हो गया है।अ.भा. कार्यकारी मंडल सरकार को संसद के 1994 के उस सर्वसम्मत व सुस्पष्ट प्रस्ताव का स्मरण कराना चाहता है, जिसमें कहा गया था कि भारत और पाकिस्तान के बीच केवल एक मुद्दा ही बचा है और वह है लम्बे समय से पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के भाग को कब और कैसे खाली कराया जाए।प्रस्ताव क्रमांक – 3पूर्वोत्तर में चर्च का घिनौना चेहरा उजागरअखिल भारतीय कार्यकारी मंडल “बृहत्तर नागालैण्ड” (या नागालिम) के नाम पर पूर्वोत्तर में चलने वाली पृथकतावादी एवं हिंसक गतिविधियों के प्रति अपनी गहरी चिंता व्यक्त करता है।मणिपुर के कुछ जिलों को नागालैण्ड में मिलाने की मांग पहले से ही छोटे क्षेत्रफल वाले मणिपुर के अस्तित्व को ही खतरे में डाल देगी। मणिपुर की जनता इस मांग का स्वाभाविक एवं औचित्यपूर्ण विरोध कर रही है। पृथकतावादियों द्वारा गत जुलाई-अगस्त में 52 दिनों तक मणिपुर जाने वाले सभी रास्तों को अवरुद्ध कर इसकी आर्थिक नाकेबंदी का निन्दनीय कुकृत्य किया गया। यह दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य है कि शासन इस आर्थिक नाकेबंदी के प्रति उदासीन बना रहा, परिणामत: हिंसाचारी पृथकतावादियों का हौंसला बढ़ता जा रहा है।असम के कार्बी-आंग्लांग एवं एन.सी.हिल्स (उत्तर काछार पर्वतीय जिला) नामक हिन्दूबहुल जिलों को भी बृहत्तर नागालैण्ड में मिलाने की मांग की जा रही है। इन जिलों की सदैव से मिल-जुल कर रहने वाली कार्बी एवं दिमासा जनजातियां भी इस मांग के विरुद्ध हैं। इन जनजातियों को आपस में लड़वाकर पृथकतावादी अपनी षडंत्रकारी योजना को सफल करना चाहते हैं। वर्तमान में कार्बी-दिमासा जनजातियों के बीच चल रहे इस प्रायोजित संघर्ष में हिंसा के शिकार होकर सैकड़ों जनजातीय बंधु अपने प्राण खो चुके हैं, व्यापक आगजनी के कारण कई गांव भस्म हो गए हैं तथा 70 हजार से अधिक लोग बेघरबार हो गए हैं। हिन्दू जनजातियों में कलह उत्पन्न करने के चर्च के इन प्रयत्नों के विरुद्ध देशभर के हिन्दू समाज को सन्नद्ध होना चाहिए तथा अपने पीड़ित एवं विस्थापित बंधुओं की समुचित सहायता करनी चाहिए।अरुणाचल का भी विभाजन कर तिरप तथा चांगलांग जिलों को प्रस्तावित बृहत्तर नागालैण्ड में मिलाने की मांग को कार्यान्वित करने के लिए इन दोनों जिलों में व्यापक ईसाई मतान्तरण का अभियान चल रहा है। भोले-भाले जनजातीय लोगों को लुभाने एवं आतंकित करने के निन्दनीय उपक्रम चल रहे हैं। इन्हें तत्काल रोका जाना चाहिए। पूर्वोत्तर के तीन प्रदेशों को विभाजित कर बृहत्तर नागालैण्ड बनाने की मांग के आवरण में छिपा चर्च प्रेरित द्वि-राष्ट्रवाद का घिनौना चेहरा अब उजागर हो गया है।अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल विभाजनकारी ताकतों एवं उनके विदेशी समर्थकों के खिलाफ समाज को एकजुट होने का आह्वान करता है।प्रस्ताव क्रमांक – 4अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण के लिए संप्रग सरकार कर रही है न्यायालय की अवमाननाअखिल भारतीय कार्यकारी मंडल वर्तमान संप्रग सरकार के माध्यम से अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के दानव की वापसी की निन्दा करता है।सरकार द्वारा पहले मुसलमानों को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 50 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय तथा अब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक दर्जे के संदर्भ में उच्च न्यायालय के निर्णय के खिलाफ याचिका प्रस्तुत करने के प्रयत्न तुष्टीकरण नीति के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ने मुसलमानों को लुभाने के लिए सार्वजनिक रूप से उन्हें मुख्यमंत्री पद देने की घोषणा करते हुए अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की सभी सीमाएं पार कर दी हैं। यह लोकतांत्रिक मर्यादा और संविधान की भावना के विरुद्ध है। इसके बावजूद वे संप्रग मंत्रिमंडल में अभी भी सम्माननीय मंत्री हैं। मुस्लिमों को आरक्षण देने के लिए आंध्र प्रदेश सरकार का अनुकरण करने हेतु कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को दिया गया कथित निर्देश भी निन्दनीय है।अल्पसंख्यक शिक्षा आयोग का गठन, मुस्लिम छात्रों को संघ लोक सेवा आयोग तथा अन्य परीक्षाओं की तैयारी हेतु विशेष राजकीय सहायता, सभी मतांतरित अनुसूचित जातियों को आरक्षण दिए जाने का मार्ग निकालने हेतु आयोग का निर्माण आदि कार्य इस सरकार पर अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण के आरोप को बल प्रदान करते हैं। ऐसे समाचार हैं कि सरकार अल्पसंख्यक कल्याण हेतु एक मंत्रालय का गठन करने, सेना में मुसलमानों की भर्ती का विशेष अभियान चलाने, इस्लामीक बैंकिग व्यवस्था लागू करने आदि के बारे में सक्रियतापूर्वक विचार कर रही है।कार्यकारी मंडल का मानना है कि कुछ अपवादों को छोड़कर सभी राजनीतिक दलों में अल्पसंख्यकों को विविध प्रकार से तुष्ट करने की होड़ लगी हुई है।मऊ में, जहां स्थानीय मुस्लिम विधायक के कथित आदेश पर मुस्लिम गुंडों द्वारा हिन्दुओं का कत्लेआम किया गया, उत्तर प्रदेश सरकार की निष्क्रियता के पीछे यही प्रतिस्पर्धी अल्पसंख्यकवाद मूल कारण है। हिन्दुओं के जान-माल की रक्षा के प्रति उत्तर प्रदेश सरकार की उदासीन प्रवृत्ति की कार्यकारी मंडल घोर निंदा करता है। हिंसा के कारण खोजने, उसके लिए उत्तरदायी तत्वों की पहचान और उन्हें दंडित करने हेतु किसी भी उचित जांच का गठन न किया जाना क्षोभजनक है।न्यायपालिका ने तो समय-समय पर अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के खतरों के प्रति सरकार को आगाह करने का प्रयास किया है, किन्तु अ.भा.का.मंडल यह देखकर दु:ख प्रकट करता है कि अल्पसंख्यकवाद के सौदागर न्यायपालिका के ऐसे आकलनों तथा सुझावों को दरकिनार करने वाले अन्यान्य रास्ते खोजने में व्यस्त हैं।अ.भा.का. मंडल सरकार को चेतावनी देता है कि अल्पसंख्यकवाद को प्रोत्साहन देने की प्रतिक्रिया समाज में अशांति को ही जन्म देगी। हम सरकार का आह्वान करते हैं कि वह इस संदर्भ में न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णयों का सम्मान करे। ऐसा न करना देश की एकता और अखंडता के लिए खतरनाक सिद्ध होगा।NEWS

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