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…. जो सब कुछ बदल गया!तमाम विरोधों के बावजूद राजूने किया शिवमंदिर बनाने का प्रणतिरुअनंंतपुरम से प्रदीप कुमारशिव मंदिर के भग्नावशेष और (प्रकोष्ठ में)ईसाई युवक राजूकेरल के मावेल्लीकारा जिले के गांव इरानिकुन्नु का एक ईसाई युवक राजू लोगों की उत्सुकता का केन्द्र बना हुआ है। इसका कारण क्या है? कारण यह है कि चर्च और अपने समुदाय के घोर विरोध के बावजूद राजू स्थानीय शिव मंदिर के पुनर्निर्माण में पूरी तत्परता से जुटा है। कहते हैं कि 600 वर्ष पहले इरानिकुन्नु गांव में नदी के किनारे एक भव्य शिव मन्दिर हुआ करता था। कालान्तर में अपराधी तत्वों ने मन्दिर को तहस-नहस करके वहां की सम्पत्ति लूट ली थी। यहां तक कि मंदिर के भग्नावशेष भी नहीं बचे और धीरे-धीरे उसे भुला दिया गया। करीब 4 वर्ष पूर्व एक निष्ठावान ईसाई सी.एन.मथाई और श्रीमती कुंजम्मा के पुत्र राजू को शिवरात्रि के दिन स्वप्न आया। उसने सपने में देखा कि उसके घर के पास एक निर्जन स्थान पर “दैवीय शक्ति” का वास है। वह रात के अंधेरे में ही उस स्थान पर जा पहुंचा। वहां उसे जमीन में पड़ा एक शिवलिंग आधा दबा दिखा। उसने तुरन्त शिवलिंग को उचित प्रकार स्थापित किया और परम्परागत दीप स्तम्भ लगाया।राजू को हिन्दू धर्म और परम्पराओं की कोई जानकारी नहीं थी, वह चर्च में प्रतिदिन प्रार्थना के लिए जाता था। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से अगली सुबह उसने शिवलिंग के चारों ओर का स्थान साफ किया और दैनिक पूजा करने लगा। जब स्थानीय लोगों को यह बात पता चली तो वे वहां आए और राजू के प्रयासों को देखकर गद्गद् हो गए। कुछ समय बाद जब आस-पास की जमीन में उगी घास, कीचड़, रेत हटाई गई तो एक बड़े मंदिर की इमारत के अवशेष दिखने लगे!राजू ने उस स्थान पर 434 दिन तक लगातार पूजा-प्रार्थना की तो पहले से ही बौखलाए ईसाई पादरी और भड़क गए। जब पादरियों और स्थानीय ईसाइयों ने राजू को इस सब से दूर रहने को कहा तो राजू ने साफ कह दिया कि ईश्वर एक है, लोग उसे अलग-अलग रूपों में देखते हैं, वह अपनी शिव-अर्चना नहीं रोकेगा। यह सुनकर स्थानीय ईसाइयों ने चर्च के वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत कर दी। इस बीच ईसाई गुटों ने उस मन्दिर के स्थान की एक एकड़ भूमि पर कब्जा करने की कोशिशें शुरू कर दीं। कुछ नेताओं के साथ मिलकर उन्होंने उस जमीन के नकली कागज दिखाकर उसे हड़पने की चाल चली। राजू ने अकेले दम पर ही इन सब कोशिशों का प्रतिकार किया। इतना ही नहीं, राजू ने कई हिन्दू मठों, संस्थानों से उस स्थान को अधिगृहीत कर लेने का अनुरोध किया। लेकिन झंझट की आशंका देखते हुए कोई सामने नहीं आया। इधर कई ईसाई नेता उन मठों तक पहुंच गए और कहा कि उनकी कोई भी कार्रवाई साम्प्रदायिक दुराव पैदा करेगी। आखिरकार रा.स्व.संघ से संबद्ध केरल क्षेत्र संरक्षण समिति ने चुनौती स्वीकार की। राजू की मदद से समिति ने एक विशाल मन्दिर बनाने की योजना को अंतिम रूप दिया। स्थानीय ग्रामीणों ने मिलकर एक समिति का गठन किया और उसकी कार्यकारिणी में राजू को भी शामिल किया गया। उस समिति की देखरेख में मन्दिर में दैनिक पूजा चल रही है और मन्दिर के जीर्णोद्धार के लिए निधि संग्रह भी हो रहा है।NEWS
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