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सेकुलर जिन्ना के पाकिस्तान मेंदहशत में जी रहे हिन्दू-तरुण विजयभीतर मूर्तियां नहीं हैं, फ्रेम किए हुए फोटो हैं। पुजारी ने डर के मारे फोटो खिंचवाने से मना कर दिया।ऐसा दिखता है बाहर से मंदिर।बंद दरवाजे को खटखटाते हुए अजमल भाईकिशन नगर में अपने मेजबानों के साथ तरुण विजयरावी नदी-दिल्ली की यमुना की तरह गंदा नाला भर रह गयी हैकिशन नगर ढूंढना एक बहुत बड़ा काम बन गया। हम लोग शाम साढ़े चार बजे निकले थे। अजमल भाई ने गाड़ी की और गली-चौराहे-कूचे पर पूछते-पूछते हम आगे बढ़ते गए। पर सुबह का एक वाकया दिमाग में गहरे तौर पर छाया हुआ था। सुबह-सुबह हम निकले थे रावी पार शाहदरा के लिए, जहां एक पुराना हिन्दू मन्दिर था, ऐसा सुनने में आया था। हम तीन दिन से लाहौर में थे और तीन दिन लाहौर के विभिन्न वर्गों के नामी-गिरामी व्यक्तियों से मुलाकातें हुईं। हमें एक भी पत्रकार, सम्पादक, नेता, दुकानदार, रेड़ी वाला, खोमचे वाला, माली का काम करने वाला या पान की दुकान में पान बेचने वाला, ऐसा नहीं मिला जो कह सके कि वह हिन्दू है। हम अपने दोस्तों से पूछते तो थोड़ा आएं-बाएं देखकर कहते, “जनाब लाहौर में काफी हिन्दू रहते हैं, पर वह थोड़ा रावी पार हैं।” फिर एक भाई ने कहा, “जनाब आप उनसे मिलकर क्या करेंगे? वे तो चूड़े (सफाई कर्मचारी) हैं।” पंजाबी में उन्हें चूड़े कहा जाता है। मन परेशान सा हो रहा था। परेशान इसलिए हो रहा था कि हम दोस्ती की बात करने गए थे। हम यहां पर अपने भाई की मोहब्बत को देख रहे थे। हम देख रहे थे कि यहां गली-कूचों में हमें कितने प्यार से बात करने वाले लोग मिलते हैं। हम यह भी पहचान रहे थे कि भई ये दिलो-जान से हमसे प्यार करना चाहते हैं। हम चारों तरफ जब इस माहौल को देख रहे थे तब एक सवाल बार-बार जहन में कौंधता था कि जब इनके मन में ऐसा प्यार और मोहब्बत का समन्दर हिलौरे ले रहा है तो कोई हिन्दू क्यों नहीं दिखता? लाहौर तो हिन्दुओं का जद्दी शहर था। यहां का व्यापार, यहां के शिक्षा-संस्थान, यहां की उच्च धनाढ वर्ग की तमाम बस्तियां, वहां हिन्दुओं की ही रिहाइश थी। कोई तो मिले, कहीं तो मिले और कोई ऐसी जगह मिले, जहां हम कह सकें कि भाईजान जब परवेज मुशर्रफ दिल्ली आते हैं तो निजामुद्दीन चिश्ती की दरगाह जाते हैं। फिर अजमेर जाते हैं तो वहां ख्वाजा की दरगाह में चादर चढ़ाते हैं। हम जब लाहौर आते हैं तो कम से कम किसी को कह सकें कि हम यहां भी कहीं मत्था टेकने आए थे। अजमल ने कहा, “भाईजान, आप परेशान न हों, हम आपको शाम को दयाल आश्रम लेकर चलेंगे, वहां मन्दिर है।” थोड़ा-सा होटल से बाहर निकले तो एक भाई के साथ हम रावी पार के लिए निकल पड़े। बड़े खुशनुमा मिजाज के थे। रास्ते भर हमें लाहौर की बहुत सारी बातें बताते रहे, जिसमें बादशाही मस्जिद और लाहौर की हीरा मण्डी में कुक्कू का रेस्टोरेंट एवं वहां के किस्से। बहरहाल, रावी तक पहुंचे तो सड़ांध और बदबू से दिमाग फट गया। नीचे देखा तो रावी क्या थी, एक गन्दा नाला जैसी थी। हमें लगा कि हम इनसे कौन बेहतर हैं। हमने भी दिल्ली में अपनी यमुना जी को रावी जैसा ही नाला बनाया हुआ है, तो इनकी क्या शिकायत करें हम। रावी पार करके गली-मोहल्लों से होते हुए हम एक जगह गए। हमारे साथ के भाई बार-बार पूछते रहे, “भाईजान! सलामवालेकुम, यहां एक हिन्दुओं का मन्दिर है, आपने कहीं देखा है?” दूसरा भाई या तो कह देता पता नहीं या फिर कहता आगे बढ़ जाओ। बढ़ते-बढ़ते एक पीला मकान दिखा। मैं पिछली बार भी यहां आया था इसलिए तुरन्त पहचान गया। उसमें एक जंगला था और लोहे के मोटे-मोटे सरियों से दरवाजा बन्द था और ऐसा लगता था कि यहां कोई रहता नहीं है। हमारे साथी मुस्लिम भाई ने दरवाजा खटखटाया, खटखटाया। लगभग 20 मिनट तक खटखटाते रहे। उसके बाद ऊपर से किसी के सीढ़ियां उतरने की आवाज आई। कोई सज्जन सीढ़ियां उतरे और जंगले वाले दरवाजे की छोटी-सी खिड़की से दो आंखें झांकीं। उन्होंने पूछा कौन है? तो मेरे साथ के भाई ने कहा, “भाईजान, ये दिल्ली से आए हैं। हिन्दू हैं, इनको मन्दिर देखना है।” तो भीतर की आंखें थोड़ी-सी बन्द हुईं, फिर खुलीं और उन्होंने कहा, “दिल्ली से आए हैं, तो इनका पासपोर्ट होगा, पासपोर्ट दिखाइए।” मेरे लिए यह बड़ा अचंभित करने वाला वाकया था। मैंने तुरन्त जेब से पासपोर्ट निकाला। भीतर पकड़ाते हुए भी डर लग रहा था कि पता नहीं कौन है, पासपोर्ट लेकर कहीं चल न दे। लेकिन मैंने सोचा, जो भी हो मन्दिर में मत्था टेककर ही जाना है। उन्होंने पासपोर्ट लिया पासपोर्ट में मेरा नाम देखा, फोटो से मेरी शकल मिलायी और कहा, “रुकिए, अभी खोलते हैं। फिर ऊपर गया, चाबी लेने। इसके बाद उसने दरवाजा खोला। वह पुजारी बलूचिस्तान का था। उसकी उम्र 20-22 साल थी। मेरे साथ के भाई को उसने सलामवालेकुम किया। इसके बाद भीतर मन्दिर ले गया। मन्दिर में घुसते ही दिल गले तक हो आया। वहां कहीं जूते उतारने की जगह नहीं थी। एक लम्बी बेंच थी, उस पर तौलिए रखे हुए थे। उसके ऊपर शेल्फ थी, जिस पर कुछ बर्तन- कटोरियां रखी हुई थीं। नीचे नाली थी, जो गुसलखाने से होकर आ रही थी। बगल में एक नलका लगा हुआ था और ऊपर पुजारी का रहने का कमरा था। उसने हमारे बिना पूछे ही कहना शुरू कर दिया, “यहां पाकिस्तानी हुकूमत से हमें बड़ी मदद मिलती है, हमको तनख्वाह भी पाकिस्तानी हुकूमत से मिलती है, यहां का रख-रखाव भी पाकिस्तानी हुकूमत की तरफ से होता है। यहां होली और दीवाली में हमें पाकिस्तानी हुकूमत से पैसे मिलते हैं, ताकि हम अपने त्योहार मना सकें। जनाब हम लोगों को कोई परेशानी नहीं है।” मैं उसकी आंखों में देख रहा था। वे आंखें डर से जल-बुझ रही थीं। वह मेरे साथ के मुस्लिम भाई को देखकर थोड़ा-सा अंदेशे में था। वह इस तरह से सब चीजें बयान कर रहा था मानो उससे कोई गलती न हो जाए। हमने कहा, “मन्दिर में मत्था टेकना है। अन्दर कैसे जाएं?” उसने कहा, जाइए। हमने बाहर जूते उतारे और मेरे साथ के मुस्लिम भाई ने तो जूता भी नहीं उतारा और मेरे साथ ही गर्भगृह में आ गया। मैंने वहां कुछ पैसे चढ़ाए, मत्था टेका और बुझे हुए मन से बाहर आ गया। मन कह रहा था कि हे मातारानी, हे प्रभु रामचन्द्र, इन पुजारियों की रक्षा करना। होटल तक आते हुए मुंह से कुछ बोला नहीं गया।शाम को किशन नगर की ओर जब हम बढ़े तो लाहौर की पुरानी मोहब्बतों के साथ लोग हमें आगे का रास्ता बताते थे। मैं लगभग 10 लोगों से मिला होऊंगा। बिना किसी वजह के मुझसे चाय-पानी, ठण्डा-शर्बत पीने का आग्रह किया। हम एक पेस्ट्री की दुकान में गए तो उन्होंने कहा कि हम आपको घर का पता बता सकते हैं, बशर्ते हमारे यहां आपको पेस्ट्री खानी पड़ेगी। मैं समझ नहीं पा रहा था कि सुबह के घटनाक्रम को शाम के घटनाक्रम से कैसे जोड़ूं। मुझे लग रहा था चलो, अब हम यहां हैं नहीं, कोई हिन्दू यहां बचा ही नहीं है तो अब इनको नफरत का कोई प्रतीक भी नहीं मिलता है। तो अब ये कह सकते हैं कि हम आपसे बहुत मोहब्बत करते हैं, अब ये कह सकते हैं कि आप हमारे भाई हैं। हम अपने मकान के पड़ोस में पहुंचे। शाम का अंधेरा हो चुका था। लोग अपने घरों में खाना-पीना खा रहे थे, तभी मौलाना किस्म के एक आदमी बाहर निकले और उन्होंने कहा, “आप हमारे घर से बिना चाय पीए जा नहीं सकते हैं।” और वे हमें अपने घर ले गए और दिल्ली की बहुत सारी बातें बताते रहे।पर मन में तड़प उठती रही। हम मान लेते हैं यह किशन नगर, किशन नगर है, रामनगर, रामनगर है। यहां हमारा पुराना मकान भी होगा। उसकाखण्डहर भी बचा होगा। पर अब हम यहां नहीं हैं, लेकिन मोहब्बतें अब भी इतनी हैं। ये मोहब्बते पहले रही होतीं तो हम अलग ही क्यों होते?अजमल भाई इस बात पर टिके हुए थे कि किशन नगर में दयाल आश्रम जरूर दिखाएंगे। वे हमें एक अंधेरे मकान की तरफ ले गए। वहां एक महिला मिली। उन्होंने आधा दरवाजा खोलकर कहा, “घर में कोई नहीं है, अभी आप अन्दर कैसे आएंगे।” अजमल भाई ने कहा, “इन्हें अन्दर का मन्दिर देखना है।” तो उस महिला ने कहा, अब वहां कुछ नहीं है देखने के लिए और यह कह कर दरवाजा बन्द कर दिया। अजमल भाई बड़े उदास हो गए। वे बड़े शौक से मुझे मन्दिर दिखाने ला रहे थे, पर वहां कुछ बचा नहीं था। हम होटल आ गए। मैं सोचने लगा, मोहब्बत के इस सैलाब में बहते-बहते खुद को कहां ढूंढू?नई वर्ष 58, अंक 40 फाल्गुन कृष्ण 11, 2061 वि. (युगाब्द 5106) 6 मार्च, 2005गुजरात मोदी सरकार के दो साल मोदी का सिक्काहर आघात के बावजूद आगे बढ़े। गुजरात सरकार देश में सर्वाधिक प्रगतिशील सरकार के रूप में उभरी-बुद्धदेव भट्टाचार्य, मुख्यमंत्री, प. बंगाल कम्युनिस्टों ने भी माना- जारी है “वृहत् बंगलादेश” का षड्यंत्र आई.एस.आई. की शह पर उत्तरी बंगाल और पूर्वोत्तर में कट्टरवादियों की मुहिमपड़ोसी देश नेपाल के साथ भारत की नीति या अनीति?नेपाल को सैन्य आपूर्ति रोकने का भारत सरकार का फैसला विशेषज्ञों की राय- भीतर पढ़ेंउत्तराञ्चल रा.स्व.संघ केसरसंघचालक श्री कुप्.सी.सुदर्शन ने कहा- हिन्दुओं की घटतीजनसंख्या चिंताजनक जहां हिन्दू कम हुए, वह स्थान भारत से कटा -हल्द्वानी से दिनेशराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन ने देश में हिन्दुओं की घटती जनसंख्या पर चिंता जताते हुए कहा कि अगर हिन्दुओं की आबादी इसी तरह घटती गई तो सन् 2060 तक देश में हिन्दू अल्पसंख्यक हो जाएंगे। विस्तार…एक सपना …. जो सब कुछ बदल गया! तमाम विरोधों के बावजूद राजू ने किया शिवमंदिर बनाने का प्रण -तिरुअनंंतपुरम से प्रदीप कुमारकेरल के मावेल्लीकारा जिले के गांव इरानिकुन्नु का एक ईसाई युवक राजू लोगों की उत्सुकता का केन्द्र बना हुआ है। इसका कारण क्या है? कारण यह है कि चर्च और अपने समुदाय के घोर विरोध के बावजूद राजू स्थानीय शिव मंदिर के पुनर्निर्माण में पूरी तत्परता से जुटा है। विस्तार…3,500 मतान्तरितों की घरवापसी -प्रतिनिधिगत दिनों उत्तर प्रदेश के एटा जिले में 17 पादरियों समेत 3,500 से अधिक लोगों ने घरवापसी की। विस्तार…पं. विद्यानिवास मिश्र – जयप्रकाश भारती – प्रो. सत्यभूषण वर्मा श्रीविद्या के तीन साधकों का पुण्य स्मरण इं.वि.सं.के.गत 20 फरवरी को नई दिल्ली में स्व. विद्यानिवास मिश्र की स्मृति में एक श्रद्धाञ्जलि सभा का आयोजन हुआ। दीनदयाल शोध संस्थान में अखिल भारतीय साहित्य परिषद के तत्वावधान में आयोजित इस सभा में वरिष्ठ भाजपा नेता डा. मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि स्व. मिश्र श्रीविद्या की साधना में अग्रणी थे। विस्तार…कोई राजनीतिक दल जिम्मेदार नहीं -शाहिद सिद्दीकी, सांसद एवं, राष्ट्रीय महामंत्री, समाजवादी पार्टीसमाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री एवं सांसद, साप्ताहिक नई दुनिया (उर्दू) तथा आवाम (उर्दू दैनिक) के सम्पादक श्री शाहिद सिद्दीकी से पाञ्चजन्य ने लखनऊ में हुए शिया-सुन्नी दंगों पर बातचीत की। विस्तार…यह पूर्व नियोजित था -प्रस्तुति: जितेन्द्र तिवारीआल इंडिया मुस्लिम पसर्नल ला बोर्ड के सदस्य, लखनऊ के इमामे जुमा तथा वरिष्ठ शिया नेता मौलाना कल्बे जवाद ने पाञ्चजन्य से बात करते हुए शिया-सुन्नी दंगे पर कहा- विस्तार…उत्तर प्रदेश लखनऊ में मुहर्रम के दिन तनाव शिया और सुन्नी समुदायों में संघर्ष और आगजनी -लखनऊ प्रतिनिधिउत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव के राज में विधायक की हत्या, थानों में सपा कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी, इटावा से लेकर चित्रकूट तक के बीहड़ों में रोज-रोज के अपहरणों की जघन्य घटनाओं के बीच शिया-सुन्नी संघर्ष से लखनऊ शहर दहल उठा। विस्तार…कौन लगाम लगाएगा इस कबाइली संस्कृति पर? प्रजातंत्र का अर्थ मनमानी नहीं -न्यायमूर्ति आर.एस. गर्गबिहार में पिछले दिनों लाउडस्पीकर से अजान देने के मामले पर जिस तरह न्यायपालिका की खुलकर अवमानना हुई और न्यायमूर्ति के लिए अशोभनीय टिप्पणियां की गईं उसके संदर्भ में समाज के आचरण-व्यवहार पर एक दृष्टिकोण प्रस्तुत कर रहे हैं बी.जी. चतुर्वेदी। -सं. विस्तार…सुभाष जयन्ती पर राष्ट्रीय जागरण मंच ने किया शक्ति का सम्मान -प्रतिनिधिगत दिनों राष्ट्रीय जागरण मंच, मीरजापुर ने नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की जयन्ती मनाई। समारोह का उद्घाटन नारघाट के अपर पुलिस अधीक्षक श्री डी.के. राय ने किया। विस्तार…प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति वर्ग के सम्मेलन उत्तराञ्चल भाजपा की अभिनव पहल -देहरादून से अजेंद्र अजयअनुसूचित समाज को भारतीय जनता पार्टी से जोड़ने के लिए उत्तराञ्चल इकाई ने अभिनव पहल की है। भाजपा प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में अनुसूचित जाति वर्ग के सम्मेलन आयोजित कर उन्हें संगठित करके समाज के सर्वांगीण विकास के लिए प्रेरित कर रही है। विस्तार…जया जेटली की शिल्प यात्रा परम्पराओं में सिमटी संस्कृति, संस्कृति में खिले शिल्प-संस्कार -विनीता गुप्तादस्तकारी एक नदी की तरह है, जो हजारों-हजार साल से बहती आ रही है। भारतीय दस्तकारी की यात्रा को नदी की संज्ञा देते हुए श्रीमती जया जेटली कहती हैं, यह यात्रा नदी की तरह न जाने कितने पथरीले रास्तों से गुजरी, लेकिन रुकी नहीं, निरंतर चलती रही और आगे इसका पाट और भी विस्तृत होगा। विस्तार…अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) पर विशेष मुक्ति की चाह में… -शाहिद रहीम”महिला मुक्ति आन्दोलन” अपनी 211 वर्ष की लंबी यात्रा के बाद अब उन महिलाओं की कड़ी आलोचना के कारण “मौत” के कगार पर पहुंच गया है, जिन्होंने इसे बढ़ाया था। विस्तार…कोलकाता विजय दिवस पर पूर्व सैनिक सेवा परिषद ने की भारत विरोधी षड्यंत्रों की चर्चा -वासुदेव पालगत दिनों कोलकाता में पूर्व सैनिक सेवा परिषद् एवं फोरम फार इण्टीग्रेटिड नेशनल सिक्योरिटी (एफ.आई.एन.एस.) के संयुक्त तत्वावधान में विजय दिवस मनाया गया। विस्तार…राष्ट्रधर्म गौरव सम्मान प्रविष्टियां आमंत्रित “राष्ट्रधर्म” मासिक द्वारा संचालित “राष्ट्रधर्म गौरव सम्मान” के अन्तर्गत वर्ष 2005 के लिए ललित निबन्धकारों तथा नाटक लेखकों से प्रविष्टियां आमन्त्रित की गयी हैं। विस्तार…गवाक्ष डा. रामकुमार वर्मा- पंडित सोहनलाल द्विवेदी- महादेवी वर्मा साहित्यिक प्रभविष्णुता की शताब्दी-संज्ञाएं -शिव ओम अम्बरहिन्दी एकांकी क्षेत्र के युगपुरुष डा. रामकुमार वर्मा की जन्म-शताब्दी हम मना रहे हैं, इसी वर्ष गांधीवादी विचारधारा को काव्य-काया देने वाले पंडित सोहनलाल द्विवेदी का शताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है और अगले वर्ष महीयसी महादेवी वर्मा का जन्म-शती वर्ष प्रारंभ होगा। विस्तार…हरियाणा सूरजकुण्ड हस्तशिल्प मेले में झलकी छत्तीसगढ़ की पंडवानी कला-संस्कृति -आर.के.गोयलगत दिनों फरीदाबाद में हरियाणा एवं केन्द्र सरकार के पर्यटन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में 19वें सूरजकुण्ड हस्तशिल्प मेले का आयोजन किया गया। 20 दिवसीय इस मेले का उद्घाटन हरियाणा के राज्यपाल श्री ए.आर.किदवई ने किया। विस्तार…सिक्किम में हिन्दू-बौद्ध एकता की अनूठी मिसाल बना विश्व शांति महायज्ञ -शक्ति अधिकारीचीन की सीमा के निकट झूजाशेन (रोंगली), सिक्किम में हाल ही में एक ऐतिहासिक अनुष्ठान का आयोजन किया गया। बौद्ध भिक्षुओं एवं पंडितों ने मिलकर सिक्किम में पहली बार विश्व शान्ति एवं समरसता के लिए विश्व शान्ति महायज्ञ किया। विस्तार…कोलकाता में रा.स्व.संघ के कार्यकर्ता सम्मेलन में बौद्धिक प्रमुख रंगाहरि ने कहा- सिमट रहे हैं माक्र्सवादी – वासुदेव पालहाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, दक्षिण बंगाल प्रान्त का तीन दिवसीय कार्यकर्ता सम्मेलन कोलकाता में सम्पन्न हुआ। विस्तार…कलाकुंज के स्तम्भ एवं वरिष्ठ छायाकार सत्यनारायण गोयल सम्मानित -शिवकुमार गोयलपिछले दिनों देश के अग्रणी छायाकार, कलाकार तथा समाजसेवी आगरा निवासी श्री सत्यनारायण गोयल को हापुड़ (गाजियाबाद) में संस्कार भारती द्वारा आयोजित ललित कला उत्सव एवं भारत-माता पूजन समारोह में “बनारसीदास वर्मा स्मृति सम्मान” से अलंकृत किया गया। विस्तार…सभ्यताओं के बीच संघर्ष नहीं, संवाद जरूरी -आलोक गोस्वामी1965-67 में जर्मन संसद के सदस्य, 1967-76 में रीनेलैण्ड-पेलाटिनेट राज्य के शिक्षा-संस्कृति मंत्री रहे प्रो. बर्नहार्ड वोगल 1972 से 1976 के बीच जर्मनी के कैथोलिकों की केन्द्रीय समिति के अध्यक्ष रहे। विस्तार…कटक उड़िया साप्ताहिक राष्ट्रदीप ने मनाया बसन्त मिलन उत्सव पाखंडी कम्युनिस्ट लोकतंत्र के पैरोकार कब से हुए? -शिवनारायण सिंहगत 14 फरवरी को कटक (उड़ीसा) में प्रसिद्ध उड़िया साप्ताहिक राष्ट्रदीप ने 13वां बसंत मिलन उत्सव मनाया। इस अवसर पर एक विचार गोष्ठी आयोजित की गई जिसके मुख्य वक्ता थे वरिष्ठ स्तंभकार एवं राज्यसभा सांसद श्री बलबीर पुंज। विस्तार…ऐसी भाषा-कैसी भाषा कृपालु पाठक इस स्तम्भ हेतु हिन्दी की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में अंग्रेजी के अस्वीकार्य प्रयोग के उदाहरण हमें भेजें। भेजने का तरीका यह है कि जिस लेख, सम्पादकीय, समाचार आदि में अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग खटकने वाला और अनावश्यक प्रतीत हो, उसकी एक कतरन अथवा मूल अंश की छायाप्रति हमें भेज दें। विस्तार…चर्चा सत्र गोवा में जो हुआ -मा.गो.वैद्यगत 2 फरवरी को गोवा के राज्यपाल एस.सी.जमीर ने मनोहर पर्रीकर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को बहुमत प्राप्त करने के बाद भी बर्खास्त कर प्रताप सिंह राणे के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनवा दी थी। राज्यपाल के इस कदम को पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर पर्रीकर ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर करके चुनौती दी। विस्तार…सम्पादकीय -धर्मवीर भारतीहमारे सम्बंध देश-विदेश में कितने ही नये ज्ञान-विज्ञान से जुड़े हैं, लेकिन परेशानी की बात यह है कि अन्दर-अन्दर हमारा सम्बंध अपने पास वाले मानव समाज से, अपने पास-पड़ोस, गांव-मुहल्ले से टूटता जा रहा है। विस्तार…टी.वी.आर. शेनाय नेपाल को सैन्य सहायता से भारत का इनकारकहीं महंगी न पड़े यह ठसकहमारे सत्ता अधिष्ठान के बाबुओं की क्या कहिए, एक बुरी परिस्थिति को बदतर बनाने में उनका कोई सानी नहीं है! जब नेपाल नरेश ज्ञानेन्द्र ने 1 फरवरी, 2005 को सरकार बर्खास्त करके आपातकाल लगाया था तो भारत अच्छी तरह जानता था कि अब उसके सामने संकट की स्थिति उपजने वाली है। विस्तार…संस्कार विपिन बिहारी पाराशरहमारा प्रयास रहता है कि “संस्कृति सत्य” स्तम्भ के पाठकों को निर्बाध रूप से इस स्तम्भ का आस्वादन प्राप्त होता रहे, परन्तु कभी-कभी हमें सांस्कृतिक और सामाजिक विभूतियों तथा घटनाक्रमों अथवा रोचक विषयों पर अन्य लेखकों के लेख भी प्राप्त होते हैं। विस्तार…पाञ्चजन्य पचास वर्ष पहले स्वतंत्र नागा-प्रदेश की घोषणा? विद्रोहियों द्वारा दो ओवरसियरों पर मुकदमा, पर्वतीय प्रदेश में पुन: प्रवेश न करने का आदेश -निज प्रतिनिधि द्वाराशिलांग: असम रेजीमेंट से भागे हुए नागा सैनिक नागा विद्रोहियों को शस्त्रास्त्रों का प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं, इस प्रकार का रहस्योद्घाटन असम सरकार के दो ओवरसियरों ने किया है। इन ओवरसियरों को विद्रोही नागाओं द्वारा बन्दी बनाकर 15 दिन तक अपने कब्जे में रखा गया था। विस्तार…स्त्रीहर पखवाड़े स्त्रियों का अपना स्तम्भमेरी सास, मेरी मां, मेरी बहू, मेरी बेटीमंगलम्, शुभ मंगलम्आख्यान संसार और ईश्वर -नरेन्द्र कोहलीमहेन्द्र गुप्त प्रात: काफी जल्दी आ गए। उन्होंने झांककर ठाकुर के कमरे में देखा, ठाकुर शायद नाम-जाप कर रहे थे। नरेन्द्र (स्वामी विवेकानन्द का बचपन का नाम) भी आंखें बंद किए हुए एक ओर बैठा था। महेन्द्र ने हाथ जोड़कर ठाकुर को प्रणाम किया और नरेन्द्र को बाहर आने का संकेत किया। विस्तार…पाठकीय बिहार कब तक रहेगा अभिशप्त?आवरण कथा “सोनिया की लालू सरकार” के अन्तर्गत संजीव कुमार, कुमार हर्ष और कल्याणी की रपटों से बिहार विधानसभा चुनावों के सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी मिली। अपने स्तम्भ में श्री टी.वी.आर. शेनाय ने सही लिखा कि “दस साल में जिन पत्रकारों ने माना था कि सबसे खराब प्रशासन बिहार में है, आज वे मानते हैं कि वहां किसी भी प्रकार का प्रशासन नहीं है।” विस्तार…कही-अनकही बस सेवा का देशहित -दीनानाथ मिश्रजब से अपने विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह मुजफ्फराबाद और श्रीनगर बस चालू करने का तोहफा ले-दे के आए हैं, तब से मैं कन्फ्यूजिया गया हूं। इस बस यात्रा पर आने-जाने वालों को पासपोर्ट और वीसा की जरूरत नहीं पड़ेगी। विस्तार…माटी का मन कैसे बढ़े रोजगार? -डा.रवीन्द्र अग्रवालइस समय देश के सामने सबसे बड़ी समस्या नए रोजगार सृजित करना है। परन्तु क्या देश रोजगार सृजन के रास्ते पर चल रहा है? पिछले कुछ वर्षों से उदारीकरण के नाम पर अपनायी जा रही आर्थिक नीतियों के परिणाम तो दूसरी ही कहानी कहते हैं। विस्तार…बाल जगत सुनो कहानी बूझो तो जानेंगहरे पानी पैठ फ्रेड स्टेला की चिंताहाल ही में एक अमरीकी विद्वान फ्रेड स्टेला भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों के दौरे पर थे। वहां उन्होंने पर्वतीय क्षेत्रों का जायजा लेने के बाद कहा था कि ईसाई मिशनरियां वहां बड़े पैमाने पर जनजातीय समाज का मतान्तरण कर रही हैं। विस्तार…मंथन “भाजपा रोको” ही उनका माक्र्सवाद -देवेन्द्र स्वरूपइस 3 फरवरी को बंगाल के उत्तरी चौबीस परगना जिले के कुमारहाटी नामक स्थान पर माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की राज्य इकाई की कांग्रेस में 90 वर्षीय हरकिशन सिंह सुरजीत ने घोषणा कर दी कि अब हमारी पार्टी चीन का अनुकरण नहीं करेगी। विस्तार…दलित ईसाई मुक्ति संगठन के अध्यक्ष आर.एल. फ्रांसिस का कहना है- चर्च कर रहा है मतान्तरितों के साथ भेदभाव -प्रतिनिधिदलित ईसाई मुक्ति संगठन के अध्यक्ष आर.एल. फ्रांसिस ने चर्च नेतृत्व की कार्यप्रणाली की आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि आज भी मतान्तरित ईसाइयों के साथ चर्च भेदभाव कर रहा है। विस्तार…छत्तीसगढ मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने किया “संगत संसार” विशेषांक का लोकार्पण-अमरपालगत 16 फरवरी को रायपुर में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने राष्ट्रीय सिख संगत की मासिक पत्रिका “संगत संसार” के छत्तीसगढ़ गणतंत्र विशेषांक का लोकार्पण किया। विस्तार…NEWSरा.स्व.संघ केसरसंघचालक श्री कुप्.सी.सुदर्शन ने कहा-हिन्दुओं की घटतीजनसंख्या चिंताजनकजहां हिन्दू कम हुए, वह स्थान भारत से कटासभा को सम्बोधित करते हुएश्री कुप्. सी.सुदर्शनराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन ने देश में हिन्दुओं की घटती जनसंख्या पर चिंता जताते हुए कहा कि अगर हिन्दुओं की आबादी इसी तरह घटती गई तो सन् 2060 तक देश में हिन्दू अल्पसंख्यक हो जाएंगे। श्री सुदर्शन पिछले दिनों उत्तरांचल के हल्द्वानी नगर में एक सार्वजनिक सभा को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अखण्ड भारत के जिस हिस्से में हिन्दू अल्पसंख्यक हुए, वह हिस्सा भारत से कट गया। पाकिस्तान और बंगलादेश का बनना इसका उदाहरण है। आज कश्मीर और पूर्वोत्तर में ऐसे षडंत्र चल रहे हैं।सरसंघचालक ने अपने सम्बोधन में पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते दुष्प्रभाव पर चिंता जताई और लोगों से अंग्रेजी भाषा का मोह त्यागने को कहा। लेनिनवाद- माक्र्सवाद की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि इस विचारधारा ने अनगिनत लोगों की जान ली। अब नेपाल भी माओवाद की आग में झुलस चुका है। वहां भी हजारों लोग मारे जा रहे हैं। उत्तराञ्चल में माओवादी घुसपैठ कर रहे हैं। श्री सुदर्शन ने कहा कि हिन्दुत्व की अवधारणा देश की अखण्डता, पंथनिरपेक्षता और लोकतंत्र सुनिश्चित करती है। इस अवसर पर क्षेत्र प्रचारक श्री रामलाल, प्रान्त प्रचारक श्री शिव कुमार, उत्तराञ्चल के संघचालक श्री चन्द्रपाल सिंह नेगी, जिला संघचालक श्री कामेश्वर काला, नगर संघचालक श्री वेद प्रकाश आदि उपस्थित थे। इससे पूर्व सरसंघचालक ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के समापन सत्र में भी भाग लिया।हल्द्वानी से दिनेशNEWS
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