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हर पखवाड़े स्त्रियों का अपना स्तम्भ”स्त्री” स्तम्भ के लिए सामग्री, टिप्पणियां इस पते पर भेजें-“स्त्री” स्तम्भद्वारा, सम्पादक, पाञ्चजन्य, संस्कृति भवन, देशबन्धु गुप्ता मार्ग, झण्डेवाला, नई दिल्ली-55मंगलम्, शुभ मंगलम्इस स्तम्भ में दम्पत्ति अपने विवाह की वर्षगांठ पर 50 शब्दों में परस्पर बधाई संदेश दे सकते हैं। इसके साथ 200 शब्दों में विवाह से सम्बंधित कोई गुदगुदाने वाला प्रसंग भी लिखकर भेज सकते हैं। प्रकाशनार्थ स्वीकृत प्रसंग पर 200 रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा।यूं ही मधुर रहे ये सफऱप्रकृति के साथ तन्मयता -पति श्री हंसराज गर्ग के साथ श्रीमती बिमला गर्गप्रिय हंसराज जी,हमारी शादी को 42 वर्ष हो गए हैं। खेलने-कूदने की उम्र में मेरी शादी कर दी गई थी। आप बहुत पढ़े-लिखे और उच्च सरकारी कर्मचारी की हैसियत से कार्यरत थे। उस समय मेरे मन में एक शंका थी कि क्या आप मेरे साथ सामन्जस्य बिठा पाएंगे, लेकिन आपके सहज और सरल स्वभाव के कारण जीवन की हर मुश्किल अपने आप सुलझती गई। सहयोग के कारण मैं अपनी पांच बेटियों और एक बेटे को अच्छा इंसान बना सकी। जीवन के इस पड़ाव पर अपनी सारी जिम्मेदारियों से निवृत्त होकर, आपके साथ एक जीवन और जीने को जी चाहता है। युवावस्था में जहां शरीर में जोश था वहीं एक संदेह-सा भी रहता था कि आने वाला कल कैसा होगा? अब वह संदेह मन से निकल गया। तीन साल पहले की एक घटना मैं चाहकर भी नहीं भुला पाती। मैं अकेली किसी काम से निकली थी। दो लड़कों ने मुझे बातों में फुसलाकर मेरे सारे जेवर उतरवा लिए। घर लौटकर मेरा दिल दहल गया। आपका सामना करने की हिम्मत मुझमें नहीं थी। मेरे हाथों-कानों की तरफ देखकर आपने गहनों के बारे में पूछा, तब मैंने पूरी व्यथा रोते-रोते कह दी। आपने उस समय जो कहा वह मेरे मन पर हमेशा के लिए अंकित हुआ। आपने कहा, “तुम बिल्कुल ठीक हो। तुम ठीक हो, मेरे लिए यह क्या कम है। मेरा असली गहना तो तुम हो।” आपकी बात सुनकर मुझे लगा कि समस्या प्यार को बढ़ाती है। आपके चेहरे पर आई उम्र की एक-एक लकीर मुझे जीवन का एक-एक-तजुर्बा दिखाई देती है। भगवान से यही प्रार्थना है कि हमारा साथ यूं ही मधुर बना रहे।आपकी अपनीबिमला गर्ग215/5 गांधी नगर, जींद (हरियाणा)NEWS
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