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धर्म वही जिससे सबका कल्याण हो-भैरोंसिंह शेखावत, उपराष्ट्रपति”त्रिवर्ग” पुस्तक लोकर्पित करते हुए श्री भैरोंसिंह शेखावत, उनके साथ हैं (बाएं से) श्री रामा जायस, डा. पी.सी. एलेक्जेंडर, श्री अटल बिहारी वाजपेयी, न्यायमूर्ति आर.एस. पाठक एवं डा. लक्ष्मीमल्ल सिंघवीउपराष्ट्रपति निवास में गत 18 जनवरी की शाम राजधानी के वरिष्ठ चिंतक, विचारक और साहित्यप्रेमी एकत्र थे। अवसर था बिहार के पूर्व राज्यपाल न्यायमूर्ति (से.नि.) एम.रामा जायस द्वारा लिखी पुस्तक “त्रिवर्ग” के लोकार्पण का। पुस्तक का लोकार्पण करने के बाद उपराष्ट्रपति श्री भैरोंसिंह शेखावत ने समाज जीवन और राजधर्म की गहन मीमांसा की। उन्होंने कहा, यदि सत्ता और सार्वजनिक जीवन में कार्य करने वाला प्रत्येक व्यक्ति राजधर्म का पालन करे तो भ्रष्टाचार समाप्त होगा तथा देश में सुशासन स्थापित होगा। साथ ही, प्रशासनिक व्यवस्था “सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय” की भावना से कार्य करे। ऐसा हुआ तो देश में आज गरीबी की रेखा के नीचे रह रहे 26 करोड़ लोगों की गरीबी का उन्मूलन होगा, अभाव तथा पिछड़ेपन से मुक्त होकर हमारे समाज के लिए उन्नति का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने कहा कि रामा जायस जी की पुस्तक में धर्म, अर्थ और काम की सरल भाषा में जो व्याख्या की गई है, उससे व्यावहारिक जीवन में नैतिक मूल्यों का अनुसरण करने की प्रेरणा मिलेगी। “त्रिवर्ग” की अवधारणा का विकास हमारी वैदिक संस्कृति में अंतर्निहित “वसुधैव कुटुंबकम्” और “सर्वधर्म समभाव” की प्रतिबद्धता से हुआ है। धर्म की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि जिस कार्य से सभी का कल्याण होता है, किसी को कष्ट न पहुंचता हो, वही धर्म है। काम और अर्थ के संबंध में उन्होंने कहा कि यदि वह धर्म के अनुसार नहीं है तो अनुचित है।गहन अध्ययन और शोध के आधार पर धर्म, अर्थ और काम की अवधारणा की सरल भाषा में व्याख्या करने के लिए उन्होंने न्यायमूर्ति (से.नि.) रामा जायस का अभिनंदन किया। उन्होंने इस पुस्तक का प्रकाशन करने वाले भारतीय विद्या भवन से आग्रह किया कि वह इस पुस्तक का प्रकाशन हिन्दी सहित भारत की सभी क्षेत्रीय भाषाओं में करे।इस अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी, सांसद एवं भारतीय विद्या भवन (अन्तरराष्ट्रीय) के उपाध्यक्ष डा.पी.सी. एलेक्जेंडर, भारतीय विद्या भवन, दिल्ली के अध्यक्ष न्यायमूर्ति (से.नि.) आर.एस.पाठक, पूर्व सांसद डा. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सरदार तरलोचन सिंह भी उपस्थित थे। लोकार्पण समारोह के प्रारंभ में न्यायमूर्ति आर.एस. पाठक ने अतिथियों का स्वागत किया। डा.पी.सी. एलेक्जेंडर ने पुस्तक का परिचय दिया। पुस्तक के लेखक न्यायमूर्ति रामा जायस ने अपनी पुस्तक के बारे में बताते हुए कहा कि पुरातन भारतीय संस्कृति सबके लिए आनन्द और कल्याण की न केवल कामना करती है बल्कि उसे मौलिक अधिकार के रूप में प्रतिपादित करती है। भारतीय विद्या भवन, दिल्ली के निदेशक श्री जे.वीराराघवन ने अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।प्रतिनिधिNEWS
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