पाठकीय
July 12, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

पाठकीय

by
Jun 2, 2005, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 02 Jun 2005 00:00:00

अंक-संदर्भ -9 जनवरी, 2005पञ्चांगसंवत् 2061 वि. वार ई. सन् 2005 माघ कृष्ण(प्रदोष व्रत) 12 रवि 6 फरवरी ,, ,, 13 सोम 7 फरवरी ,, ,, 14 मंगल 8 फरवरी (मौनी अमावस्या) माघ शुक्ल(पञ्चकारम्भ) 1 बुध 9 फरवरी ,, ,, 2 गुरु 10 फरवरी ,, ,, 3 शुक्र 11 फरवरी ,, ,, 4 शनि 12 फरवरी रा. स्व. संघ द्वारा आपदा मेंराहत और धीरजआवरण कथा “सुनामी की विभीषिका” से पता चला कि प्रकृत्ति की मार कितनी भयानक होती है। अन्दर के पृष्ठों पर सुनामी पीड़ितों के चित्र देखे। लोगों ने तो ऐसी आपदा की कभी कल्पना भी नहीं की होगी। अब जब कभी लोग समुद्री द्वीपों पर घूमने जाने का मन बनाएंगे या मछुआरे मछली पकड़ने के लिए समुद्र में जाना चाहेंगे, वे एकबारगी तो सिहर ही उठेंगे।-वीरेन्द्र सिंह जरयाल5809, सुभाष मोहल्ला, गांधीनगर, दिल्लीसुनामी पीड़ितों की सहायता में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का योगदान अनुकरणीय है। मृतकों के शव उठाने में जहां सरकारी एवं अन्य गैर-सरकारी संगठन पीछे रह गए, वहीं संघ के स्वयंसेवकों ने उनका धार्मिक रीति-रिवाज से अन्तिम संस्कार भी कराया। स्वयंसेवकों द्वारा चलाए गए राहत कार्यों से हजारों लोगों की जानें बचीं। अब संघ ने पुनर्वास और पुनर्निर्माण कार्यक्रम चलाया है, इसके लिए साधुवाद!-सुनीता शर्माए-35/1, गुरु रामदासनगर, लक्ष्मीनगर, दिल्लीसुनामी लहरों की विभीषिका ने चार वर्ष पूर्व गुजरात में आए भीषण भूकम्प की याद दिला दी। बड़ा संतोष हुआ कि इस वर्ष दूरदर्शन ने सुनामी पीड़ितों की पीड़ा को देखकर नव वर्ष के अवसर पर कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया। यानी पूरा देश सुनामी पीड़ितों के साथ है, ऐसा सन्देश गया। यही तो भारतीय दर्शन की विशेषता है। दूसरे के सुख में हम भी सुखी हैं और दूसरे के दु:ख में हम भी दु:खी होते हैं।-शक्तिरमण कुमार प्रसादश्रीकृष्ण नगर, पथ सं.-17, पटना (बिहार)मीडिया की संकुचित नजरकुछ दिन पहले शाहरुख खान, रानी मुखर्जी, प्रीति जिन्टा और करन जौहर ने सुनामी पीड़ितों की सहायता हेतु एक करोड़ पन्द्रह लाख रुपए प्रधानमंत्री राहत कोष में दिए। इस समाचार को हर समाचार पत्र और टीवी चैनल ने प्रमुखता के साथ छापा और दिखाया। किन्तु जो स्वयंसेवी संगठन तन, मन, धन से पीड़ितों की मदद कर रहे हैं उनकी कुछ भी जानकारी देना जरूरी नहीं समझा गया। संघ के स्वयंसेवक 26 दिसम्बर, 2004 को दिन के साढ़े दस बजे ही राहत कार्यों में लग गए थे। दक्षिण के एक शहर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने जल संशोधन संयंत्र भी लगाया जो प्रतिदिन 20 हजार लीटर स्वच्छ पेयजल प्रदान करता है। पहले दिन लगभग 26 राहत शिविरों के माध्यम से पीड़ितों को राहत पहुंचाने का कार्य शुरू हुआ। उनमें से 14 शिविर संघ द्वारा संचालित थे। क्या सेकुलर मीडिया को संघ की ओर से चल रहे ये राहत शिविर नहीं दिखे?-प्रदीप कुमार बंद्रवाल4431/55, रैगरपुरा, करोलबाग, नई दिल्लीअच्छी जानकारी”जनकपुर में यूं निकली राम बारात” में अनूठी जानकारी मिली। इस लेख में यदि अयोध्या (फैजाबाद) से जनकपुर तक के “राम बारात” के मार्ग का चित्र और रात्रि पड़ावों के स्थानों के नाम भी होते तो और अच्छा होता।-इन्द्रप्रकाश उपाध्यायदशनाम संन्यास आश्रम, हरीश्वरपुरी, भूपतिवाला, हरिद्वार (उत्तराञ्चल)अंक संदर्भ -2 जनवरी, 2005अच्छा लेखा-जोखाआवरण कथा के अन्तर्गत श्री तरुण विजय का लेख “प्रतिशोधी आघात का वर्ष” पढ़कर पता लगा कि हिन्दुओं को हिन्दुओं के हाथों ही हाशिए पर लाने का प्रयास हो रहा है। वास्तव में इस समय भारतीय मूल्यों और श्रद्धा-केन्द्रों पर जितने प्रहार किए जा रहे हैं, उतने कभी नहीं हुए। देश के सेकुलर नाजी कहावत के अनुसार एक झूठ को सौ बार कहकर सत्य सिद्ध करना चाहते हैं। 2004 का लेखा-जोखा “उफ- पिछले बारह महीने” अच्छा लगा। पूर्व प्रधानमंत्री पामुलपर्ति वेंकट नरसिंह राव को दी गई श्रद्धांजलि “उन्होंने मौन की शक्ति को पहचाना” मार्मिक लगी।-विष्णु प्रकाश जिंदल4141, चौकड़ी मोहल्ला, नसीराबाद (राजस्थान)झूठ को सम्मनराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, हरियाणा प्रान्त के संघचालक श्री दर्शनलाल जैन धन्यवाद के पात्र हैं। उन्होंने केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री अर्जुन सिंह की गलतबयानी पर न्यायालय से उन्हें सम्मन भिजवाया है, यह वास्तव में एक देशभक्तिपूर्ण कार्य है। संघ पर गलत आरोप लगाने से पहले श्री अर्जुन सिंह को अपने पद की गरिमा का ध्यान रखना चाहिए था।-य.दा. बेडेकरडी-1865, सुदामा नगर, इन्दौर (म.प्र.)प्रसन्नता की बातश्री देवेन्द्र स्वरूप की चार पुस्तकों का लोकर्पण हुआ। बहुत प्रसन्नता की बात है। इन पुस्तकों से रा.स्व.संघ के प्रति लोगों में पैठीं गलत धारणाएं दूर होंगी।-हरिसिंह महतानी89/7 पूर्वी पंजाबी बाग, नई दिल्लीभगवान ही मालिककल्याणी की रपट “कौन बचाएगा बिहार?” ने बिहार की कानून-व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी है। जिस राज्य में चाय वाले से लेकर राजनेता तक अपराधियों को हफ्ता देकर अपनी जान की खैर मना रहे हैं, उसका भगवान ही मालिक है। अन्य राज्यों की अपेक्षा बिहार में हत्या, अपहरण, फिरौती आदि की घटनाएं कुछ ज्यादा ही होती हैं। वास्तव में यह बिहार की बड़ी दु:खद स्थिति है।-रजत कुमार278, भूड़, बरेली (उ.प्र.)काश! ऐसा होताविनाशकारी सुनामी लहरों ने पूरी मानवता को हिला कर रख दिया। यह घोर चिन्ता का विषय होना चाहिए कि भारतीय वैज्ञानिक अभी तक ऐसी प्राकृतिक आपदाओं की पूर्व सूचना दे पाने में अक्षम सिद्ध हुए हैं। आपदा नियंत्रण उपायों के तहत चेतावनी तंत्र की जानकारी भारत को न होना, अंतरराष्ट्रीय सुनामी सतर्कता प्रणाली की सदस्यता भारत के पास न होना तथा अमरीका और जापान को इस प्रणाली की जानकारी होते हुए भी उनके द्वारा उसे शेष विश्व को न देना, ऐसे कुछ प्रश्न “वसुधैव कुटुम्बकम्” जैसे सिद्धान्तों की धज्जियां उड़ाते हैं। यदि यह सच है कि भूचाल का पूर्वानुमान लगा पाना विज्ञान के दायरे से बाहर है तो भारतीय मौसम विज्ञान विभाग हैदराबाद का भू-भौतिकी शोध संस्थान, वाडिया इंस्टीटूट आफ हिमालयन जियोंलोजी जैसे संस्थान तथा कई विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर देशभर में भूकम्प पर नजर रखने वाले 70 केन्द्रों के अधिकारियों और कर्मचारियों को भारी वेतन देकर रखने का क्या औचित्य है? जिन देशों के पास सुनामी सतर्कता प्रणाली थी, यदि वे इंसानियत के नाते विश्व के सभी देशों को उस प्रणाली की जानकारी दे देते और सुनामी प्रभावित लोगों को कम से कम 3 घंटे पूर्व चेतावनी मिल जाती तो दक्षिण-पूर्व एशिया में जन-धन की ऐसी हानि न होती।-डा. बलराम मिश्र8बी/6428-29, आर्य समाज रोड,देवनगर, करोलबाग, नई दिल्लीकर्मयोग शास्त्रमंथन स्तम्भ में श्री देवेन्द्र स्वरूप ने गीता का सम्यक् विवेचन किया है। बीसवीं सदी का जागरण एवं संघर्ष, दोनों गीता दर्शन पर आधारित रहे। इस सदी में भी यह अपेक्षित है। वेदव्यास ने “जय” नामक काव्य की रचना की थी। ऋषि वैशम्पायन ने “जय” को विकसित कर “भारत” काव्य को प्रस्तुत किया। बाद में “जय” का तीसरा विकास “महाभारत” महाकाव्य में हुआ। इसी प्रकार भगवान श्रीकृष्ण के कर्मयोगपरक चिंतन का क्रमिक विकास हुआ होगा। सांख्य का क्रमश: विकास वैष्णव भक्तिदर्शन में हुआ। जन्मना वर्णव्यवस्था भी गुण एवं कर्म पर आधारित हुई- गीता के समाजशास्त्र में। आशावाद से पूर्ण अवतार सिद्धान्त संपुष्ट हुआ। सांख्यदर्शन औपनिषदिक ब्राह्मचिंतन में आगे बढ़ा और फिर भक्तिपरक वैष्णव दर्शन में। इसीलिए गीता में वैदिक कर्मकांड की जटिलता एवं इहलौकिकता की आलोचना हुई है।ऐसा लगता है कि श्रीकृष्ण के कर्मप्रधान मूल चिंतन को अर्जुन के बाद लोकमान्य तिलक ने ही समझा था। स्वतंत्रता संघर्ष के कर्मक्षेत्र से “न दैन्यं न पलायनम्” का उद्घोष किया था। फल की चिन्ता न करते हुए कर्म करने को ही महात्मा गांधी ने अनासक्ति योग कहा। नि:सन्देह कर्मयोग की विचार भूमि अनासक्ति दृष्टि है- ऋग्वैदिक चिंतन के बाद। पर यह भी सत्य है कि ऋग्वेद के ऋषियों ने सृष्टि में व्याप्त एक ब्राह्म की अनुभूति कर ली थी। सृष्टि के भौतिक तथा अभौतिक रहस्य को समझ लिया था और फिर सौ वर्षों तक कर्म करते हुए जीने की आकांक्षा की थी। जीवन को क्षणभंगुर मानकर मोक्ष पर विचार परवर्ती है। यह श्रमणचिंतन के निकट है। इसीलिए मोक्ष, कैवल्य और निर्वाण की चर्चा महत्व पा सकी है।सप्तसिन्धु के वैदिक ऋषि ने आरंभ में वैदिक जनसमुदाय में कर्मणा वर्णव्यवस्था या श्रमविभाजन करने का प्रयत्न किया। तीन ही वर्ण रखे गए। वैश्य को भी उपवीत, यज्ञ एवं अध्ययन का अधिकार मिला था। बाद में चार वर्ण आए। पुरुष सूक्त के प्रतीक कथन द्वारा दैवी जन्मना वर्णव्यवस्था का प्रतिपादन हुआ। बड़े-छोटे का स्थायी सोपानवत् क्रम परवर्ती आग्रह है। इसे स्वामी दयानन्द सरस्वती तथा स्वामी विवेकानन्द ने अस्वीकार कर दिया है। आज दलित साहित्य इसे सरोष अस्वीकार कर रहा है। सप्तसिन्धु के ऋषि संपूर्ण देश में भ्रमण द्वारा वैदिक संस्कृति तथा विभिन्न जनसमूहों की संस्कृति को समन्वित करते हुए एक विराट संस्कृति तथा विशाल समाज जीवन की रचना में समर्पित हो गए थे, यह सत्य है। इन अवैदिक जनसमूहों में एक समूह पणि-पणिक-वणिक का रहा है। ऋग्वेद में पणि और इन्द्रदूती सरमा का विवाद द्रष्टव्य है। श्री अविनाश चन्द्र दास लिखित “ऋग्वेदिक इंडिया” के अनुसार सिन्धुनद क्षेत्र तथा सप्तसिन्धु क्षेत्र में भूकम्प और जलप्लावन के कारण उधर पणियों का नगर नष्ट हो गया तो इधर सप्तसिन्धु के आर्यों को कुरुपांचाल क्षेत्र में आना पड़ा। उन्हीं पणि-पणिकों ने भारत से बाहर जाकर फिनिशिया को बसाया।भारत में वैदिक ऋषि ने सम्पर्क और समन्वयन के द्वारा सभी जनसमूहों को वर्णव्यवस्था में सम्मिलित किया। पणि-पणिक-वणिक वैश्य वर्ण में सम्मिलित हुए। संभवत: इसी समय से वैश्य सवर्ण हैं और जब-तब शूद्र के निकटस्थ। उद्यम, उद्योग, व्यापार, शिल्प और कृषि को हीन समझना समुचित नहीं माना जाएगा। परन्तु गीता के 9वें अध्याय में स्त्री, वैश्य और शूद्र यानी समाज के अस्सी प्रतिशत जन को पापजन्मा व हीन घोषित करना परवर्ती आरोपण है। भगवान श्रीकृष्ण ने ऐसा नहीं कहा होगा।-शत्रुघ्न प्रसादराजेन्द्र नगर, पथ-13 ए, पटना (बिहार)नेताजीनेताजीचुनाव मेंबहू-बेटियों तक कोटिकट दे देते हैंऔर जनता सेलोकतंत्र कायम रखने कीबात करते हैं।-कुमुद कुमारए-5, आदर्श नगर,नजीबाबाद, बिजनौर (उ.प्र.)हिन्दू का दुश्मनचला गोधरा पर पुन:, राजनीति का दौरलालू जी कुछ कह रहे, सच है लेकिन और।सच है लेकिन और, अजब षड्यंत्र चला थाहिन्दू देश में हिन्दू स्वाभिमान जला था।कह “प्रशांत” यह भारत का दुर्भाग्य बड़ा हैहिन्दू ही हिन्दू का दुश्मन बना खड़ा है।।प्रशान्तNEWS

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

दिल्ली-एनसीआर में 3.7 तीव्रता का भूकंप, झज्जर था केंद्र

उत्तराखंड : डीजीपी सेठ ने गंगा पूजन कर की निर्विघ्न कांवड़ यात्रा की कामना, ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के लिए दिए निर्देश

काशी में सावन माह की भव्य शुरुआत : मंगला आरती के हुए बाबा विश्वनाथ के दर्शन, पुष्प वर्षा से हुआ श्रद्धालुओं का स्वागत

वाराणसी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पर FIR, सड़क जाम के आरोप में 10 नामजद और 50 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज

Udaipur Files की रोक पर बोला कन्हैयालाल का बेटा- ‘3 साल से नहीं मिला न्याय, 3 दिन में फिल्म पर लग गई रोक’

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

दिल्ली-एनसीआर में 3.7 तीव्रता का भूकंप, झज्जर था केंद्र

उत्तराखंड : डीजीपी सेठ ने गंगा पूजन कर की निर्विघ्न कांवड़ यात्रा की कामना, ‘ऑपरेशन कालनेमि’ के लिए दिए निर्देश

काशी में सावन माह की भव्य शुरुआत : मंगला आरती के हुए बाबा विश्वनाथ के दर्शन, पुष्प वर्षा से हुआ श्रद्धालुओं का स्वागत

वाराणसी में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय पर FIR, सड़क जाम के आरोप में 10 नामजद और 50 अज्ञात पर मुकदमा दर्ज

Udaipur Files की रोक पर बोला कन्हैयालाल का बेटा- ‘3 साल से नहीं मिला न्याय, 3 दिन में फिल्म पर लग गई रोक’

कन्वर्जन की जड़ें गहरी, साजिश बड़ी : ये है छांगुर जलालुद्दीन का काला सच, पाञ्चजन्य ने 2022 में ही कर दिया था खुलासा

मतदाता सूची मामला: कुछ संगठन और याचिकाकर्ता कर रहे हैं भ्रमित और लोकतंत्र की जड़ों को खोखला

लव जिहाद : राजू नहीं था, निकला वसीम, सऊदी से बलरामपुर तक की कहानी

सऊदी में छांगुर ने खेला कन्वर्जन का खेल, बनवा दिया गंदा वीडियो : खुलासा करने पर हिन्दू युवती को दी जा रहीं धमकियां

स्वामी दीपांकर

भिक्षा यात्रा 1 करोड़ हिंदुओं को कर चुकी है एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने का संकल्प

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies