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चुनाव ने दिलाईआम आदमी की याद-राकेश सैनअपने साढ़े तीन साल के कार्यकाल में लगभग निष्क्रिय रही पंजाब की कांग्रेसी सरकार को अब किसानों, व्यापारियों सहित आम आदमी की चिंता सताने लगी है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह सहित हर कांग्रेसी किसानों, व्यापारियों की चिंता में दु:खी नजर आ रहा है। मुख्यमंत्री ने किसानों को मुफ्त बिजली और व्यापारियों को खुश करने के लिए चुंगी व्यवस्था समाप्त करने की संभावना जतायी है। संभवत: चुनाव से कुछ दिन पूर्व सरकार इनकी घोषणा कर सकती है ताकि राजनीतिक फायदा उठाया जा सके। दूसरी तरफ मुख्य विपक्षी दल अकाली दल बादल ने सरकार की नाकामियों के विरुद्ध जिलास्तर पर अभियान शुरू कर दिया है।राज्य में वर्तमान विधानसभा की अवधि मार्च, 2007 में समाप्त होने वाली है और संभावना है कि दिसम्बर, 2006 या जनवरी, 2007 तक नई विधानसभा के चुनाव करवा लिए जाएंगे। इस हिसाब से राज्य में चुनाव को मात्र डेढ़ वर्ष का समय रह गया है और इसके चलते सत्ता पक्ष और विपक्ष ने अपने राजनीतिक हथियारों पर धार चढ़ाना शुरू कर दिया है। सत्ताधारी पार्टी ने लोक-लुभावन योजनाओं की पिटारी तैयार कर ली है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सात एकड़ तक की जमीन वाले किसानों के लिए मुफ्त बिजली देने और राज्य में चुंगी समाप्त करने की बात कही है। कौन नहीं जानता कि पूर्ववर्ती अकाली दल (बादल) और भाजपा की गठबंधन सरकार ने किसानों को न केवल मुफ्त बिजली बल्कि मुफ्त पानी की सुविधा भी प्रदान की थी। इतना ही नहीं, राज्य में चुंगी को भी समाप्त किया जा चुका था। कांग्रेस पार्टी ने सत्ता संभालते ही आर्थिक तंगी का बहाना बनाकर किसानों से यह दोनों सुविधाएं वापस ले लीं। कांग्रेस सरकार ने पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय में चुंगी को लेकर चल रहे मामले की सही नीयत से पैरवी नहीं की जिसके चलते न्यायालय के आदेश से राज्य में दोबारा चुंगी लागू हो गई। मुख्यमंत्री ने चुंगी सम्बंधी उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में यह कहकर याचिका दायर नहीं की कि चुंगी समाप्त होने से राज्य की नगर पालिकाएं और नगर निगम भयंकर वित्तीय घाटे में आ जाएंगे। अब मुख्यमंत्री पुन: जनता को उन सुविधाओं को देने की बात कर रहे हैं जो खुद उन्होंने छीनी थीं।कैप्टन अमरिन्दर सिंह के शासनकाल में अब तक राज्य सरकार की उपलब्धियां नगण्य ही रही हैं। राज्य में राजमार्गों से लेकर ग्रामीण संपर्क मार्गों और यहां तक कि नगरों की सड़कों की स्थिति बदतर हो चली है। किसानों को मुफ्त बिजली तो दूर, उद्योगों तथा आम उपभोक्ताओं को पूरे समय तक भी बिजली नहीं मिल पा रही है। गर्मी शुरू होते ही शहरों में विद्युत आपूर्ति पर चार से छह घंटे, उद्योगों में चार घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में बारह-बारह घंटों तक बिजली गुल रहती है। सरकार की गलत नीतियों के चलते पंजाब के उद्योग पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश की ओर रुख करने को विवश है। लुधियाना का हौजरी और साईकिल उद्योग और जालंधर का खेलों के सामान का उद्योग मंदी की मार झेल रहा है। बेरोजगारी बेतहाशा बढ़ी है। गन्ना उत्पादकों, धान व कपास पैदा करने वाले किसानों की मांगें काफी समय से लंबित चली आ रही हैं। दूसरी ओर कांग्रेस का गुटीय संघर्ष चरम पर है। कभी कैप्टन गुट तो कभी राजिंदर कौर भट्ठल व पूर्व सांसद जगमीत बराड़ खुलेआम एक दूसरे के खिलाफ तलवारें भांज कर पार्टी हाईकमान को परेशानी में डालते रहे हैं। सरकार अब भ्रष्टाचार के आरोपों में भी घिरती दिखाई दे रही है। कैप्टन अमरिंदर सिंह के पुत्र पर लगे हवाला कांड के आरोपों, पंजाब ट्रैक्टर निगम के विनिवेश में हुई धांधलियों और शराब के ठेकों की नीलामी को लेकर उठे विवादों से सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। ऐसी स्थिति में कांग्रेस पार्टी के पास आम जनता को सब्जबाग दिखाने के अतिरिक्त और रास्ता भी क्या बचा हैNEWS
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