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विकास करेंगे, सबको साथ लेकर चलेंगेजितेन्द्र तिवारीश्री अर्जुन मुण्डापिछले दिनों झारखण्ड के मुख्यमंत्री श्री अर्जुन मुण्डा एवं नवनियुक्त प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डा. यदुनाथ पाण्डे दिल्ली आए थे। उनसे राज्य सरकार, संगठन और कुछ अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर हुई बातचीत के मुख्य अंश यहां प्रस्तुत हैं :-एक ऐतिहासिक घटनाक्रम के बाद झारखण्ड में आपकी सरकार बनी थी। उस पूरे घटनाक्रम का क्या संदेश है?अब उस पूरे घटनाक्रम को दोहराना उचित नहीं है, सम्पूर्ण देश की जनता उसे जानती है। पर इतना जरूर है कि उस समय उन लोगों के मुंह पर करारा तमाचा लगा जो लोकतंत्र को बंधक बनाना चाहते थे, संविधान को अपनी जेब में रखकर देश चलाना चाहते थे। हमने उस चुनौती का प्रतिकार किया, लोगों ने उसे बहुत सराहा। तब केवल झारखण्डवासियों ने ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण देशवासियों ने यह महसूस किया था कि झारखण्ड में जो कुछ भी किया गया वह लोकतंत्र की मर्यादा के अनुकूल नहीं था।उस संघर्ष से जूझने और जीतने के बाद अब क्या चुनौतियां हैं राज्य के समक्ष?हम एक निर्धारित लक्ष्य लेकर कार्य कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य है कि यहां विकास अच्छा हो तथा शांति-व्यवस्था की स्थिति अच्छी हो। ढांचागत सुधार के लिए भी हम प्रयत्नशील हैं। पिछली सरकार में जो निर्णय लिए गए, उन कार्यों को सर्वप्रथम पूर्ण करना हमारी प्राथमिकता है और चुनौती भी।आपका दावा है कि आपने अपने पिछले कार्यकाल में राज्य की बेहतरी के लिए बहुत काम किया, उसके बावजूद भी आपको बहुमत क्यों नहीं मिला?बहुमत हमारे पास पिछली सरकार के समय भी नहीं था, गठबंधन की सरकार थी। उस समय हम 73 सीटों पर चुनाव लड़े थे और 32 पर जीत हासिल हुई थी। इस बार हम 63 सीटों पर चुनाव लड़े और 30 जीतीं। यानी पहले से बेहतर प्रदर्शन रहा। हमें आशा तो और अधिक थी, पर 5-6 क्षेत्र ऐसे रहे जहां बहुत कम अंतर से हमें हार का मुंह देखना पड़ा। इसके बावजूद, हमारी जीत का प्रतिशत तो बढ़ा ही है।पर इस बार जैसे आपने सरकार बनायी, निर्दलियों को मंत्री बनाया और अपने समर्पित विधायकों को किनारे रख दिया। इसका जनता में संदेश ठीक नहीं गया।यह एक राष्ट्रीय मुद्दा है। इस समय देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था में संक्रमण का दौर चल रहा है। केन्द्र सरकार में ही देख लीजिए, परस्पर विरोधी विचारधारा के लोग मिलकर सरकार चला रहे हैं। आलोचना भी कर रहे हैं और यह भी कह रहे हैं कि समर्थन देते रहेंगे।पर “हम कुछ अलग हैं”, यही तो दावा है भाजपा का। फिर आप उनका उदाहरण देकर स्वयं को कैसे पाक-साफ सिद्ध कर सकते हैं?राज्य की जनता ने जैसा भी जनादेश दिया उसका तो आदर करना ही है। क्या आप समझते हैं कि 17 सीटों वाली झामुमो, 9 सीटों वाली कांग्रेस और 7 सीटों वाले राजद को जनता ने बहुमत दिया था? 82 में से 7 और 9 सीट पाने वाले कहें कि 30 सीट वाले को जनादेश नहीं मिला तो इसका क्या अर्थ है।यानी आपने समर्थन देने वाले निर्दलियों को मंत्री बनाकर उन्हें उनके समर्थन का मूल्य दे दिया?गठबंधन सरकार में समर्थन देने वालों की बहुत-सी बातों को ध्यान में रखा जाता है। सरकार में उनका प्रतिनिधित्व होना चाहिए।संगठन में अनुशासन की खामी जैसी दिखती है। कोई कुछ भी बयान दाग देता है, कहीं भी, कुछ भी बोल देता है।जब गिलास भरा होता है तो एक-दो बूंदें छलक ही जाती हैं। इसका यह मतलब नहीं कि पूरे गिलास को ही उड़ेल दिया जाए। बड़ा परिवार होने से कुछ बातें सामने आती हैं, परिवार में सबका स्वभाव भिन्न होता है। यदि परिवार का कोई सदस्य अपना विचार भिन्न रखता है तो परिवार का मुखिया यह नहीं कह देता कि यह हमारा बेटा नहीं है।पर लगता है कि संगठन में गुटबाजी बढ़ी है?मैं ऐसा नहीं मानता हूं। हां, कुछ-कुछ चीजें ऐसी जरूर दिख रही हैं जिसको लेकर पार्टी गंभीर है।हाल ही में झारखण्ड के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद को लेकर प्रदेश के वरिष्ठ नेता श्री बाबूलाल मरांडी खासे नाराज दिखे, पार्टी छोड़ने तक की बात कही थी, क्यों?उन्होंने पार्टी छोड़ने की बात नहीं कही थी। यह कहा था कि किसी भी हद तक जाऊंगा। जहां प्रेम होता है वहीं तो क्रोध प्रकट किया जा सकता है। जहां प्रेम होता है, उससे अपेक्षा होती है, जब उसके अनुरूप कार्य नहीं होता तो स्वाभाविक रूप से कुछ क्षोभ और नाराजगी उत्पन्न होती है।प्रदेश अध्यक्ष बनाने की सारी औपचारिकताओं को केन्द्रीय नेतृत्व ने पूरा किया है, इसलिए हम इस पर चर्चा नहीं करेंगे। हमें तो सीमेंट की भूमिका में होना चाहिए, जिससे पलस्तर करें और घर मजबूत हो जाए।जब भाजपा सत्ता में आने के लिए प्रयत्न करती है तो अपनी अलग पहचान, आदर्श, नैतिकता की बातें करती है, पर जब सत्ता में आ जाती है तो वह कांग्रेसी सरकारों के समान ही व्यवहार करती है। ऐसा कोई काम क्यों नहीं करते जिससे आपकी अलग पहचान बने।हमारी पूर्ण बहुमत की सरकार ही कब बनी? न ही केन्द्र में और न ही हमारे राज्य में। हम जो दावा करते हैं, उस पर लोगों को आज भी भरोसा है कि जब भी इन्हें पूर्ण बहुमत मिलेगा, ये इसे पूरा करेंगे। इसके बावजूद जहां तक संभव हुआ, घटक दलों को विश्वास में लेकर हम अपने एजेंडे पर काम कर रहे हैं।भाजपा का धर्म-संस्कृति के प्रति बहुत आग्रह रहता है। आपने अपने राज्य में इसके संरक्षण-संवर्धन की क्या योजना बनायी? कैलास-मानसरोवर जाने वाले दिल्ली के प्रत्येक यात्री को दिल्ली की कांग्रेसी सरकार भी 5000 रुपए अनुदान देती है, क्या आपकी सरकार ने कभी इस बारे में विचार किया?कैलास-मानसरोवर यात्रा के बारे में हम लोगों ने वैसी कोई योजना नहीं बनाई लेकिन हमारे यहां तो बाबा नगरी ही है। देवघर में हम बहुत अच्छी व्यवस्थाएं कर रहे हैं। हमने घोषणा की है कि हम देवघर को पवित्र नगरी के रूप में विकसित करेंगे। कैलास-मानसरोवर के यात्री हमारे यहां से कम संख्या में जाते हैं।NEWS
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