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अब नहीं कोई भेद-प्रकाश सोनकर, विधायक एवं अध्यक्ष,म.प्र. खटीक संघप्रकाश सोनकर, विधायक एवं अध्यक्ष,म.प्र. खटीक संघइंदौर (म.प्र.) जिले के सांवेर विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक चुने गए श्री प्रकाश सोनकर म.प्र. खटीक संघ के अध्यक्ष भी हैं। भाजपा अनुसूचित मोर्चे के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे श्री सोनकर इंदौर से “खटीक जागरण” (मासिक) पत्र का भी प्रकाशन करते हैं। यहां प्रस्तुत हैं उनके साथ जितेन्द्र तिवारी की बातचीत के मुख्य अंश-खटीक समाज का इतिहास क्या है?आज जिसे “अछूत” समाज समझा जाता है वह खटीक समाज कभी व्यापारी वर्ग ही था। औरंगजेब के शासन में जब जबरन मतान्तरण किया जा रहा था, मुसलमान बनाया जा रहा था, तब भी हम लोगों ने अपना धर्म नहीं छोड़ा बल्कि नीच समझा जाने वाला कार्य करना स्वीकार किया। नालों की सफाई, सुअर पालन, मछली पालन, साग-सब्जी बोने आदि का काम किया, नालों के किनारे बस्ती बनाकर रहे, पर अपना धर्म नहीं छोड़ा। यही वजह है कि अब भी जहां कहीं भी हिन्दू समाज पर हमला होता है, खटीक समाज के लोग रक्षा के लिए सबसे आगे होते हैं।सामाजिक भेदभाव, छुआछूत आदि दूर करने में खटीक संघ क्या योगदान दे रहा है?बहुत पहले से ऐसा होता रहा है कि अनुसूचित जाति के लोगों को समाज के अन्य वर्ग अच्छी नजर से नहीं देखते। पर पिछले 40-50 वर्षों में, जबसे हम रा.स्व.संघ के सम्पर्क में आए, हमने पाया कि छुआछूत और भेदभाव की भावना काफी कम हुई है। संघ में सबसे बड़ी बात यह देखने को मिली कि वहां कभी किसी से उसकी जाति नहीं पूछी जाती। कभी किसी को मिश्रा जी, गुप्ता जी आदि-आदि जातिसूचक शब्द से नहीं बुलाया जाता है। न वहां भेदभाव किया जाता है और न ही वहां इसको लेकर किसी भी शाखा में किसी भी प्रकार का मतभेद है। हमारे समाज के लोगों ने भी जब यह देखा कि संघ के लोगों का उनके समाज के प्रति अच्छा रवैया है, उन्हें सम्मान मिल रहा है तो वे इससे जुड़ने लगे, उनमें भी बदलाव आया।रा.स्व.संघ से मेरा पहला परिचय आपातकाल के दौरान जेल में हुआ था। वहां लगने वाली शाखा में जब गया तो मुझमें बहुत बदलाव आया। उसके बाद संघ ने भी मुझे आगे बढ़ने के बहुत अवसर दिए।इस समरसता के भाव से क्या बदलाव आया है खटीक समाज में?बहुत, हमारे समाज के लोगों में उन्नति की भावना अत्यन्त तीव्र हो गई है। अब हमारे समाज के लोग पढ़ने-लिखने और नौकरी पाने के साथ ही व्यवसाय में अधिक ध्यान दे रहे हैं। यह जाति निश्चित रूप से काफी विकास करने वाली है।क्या आज भी कहीं छुआछूत देखने में आती है?शहरों में तो छुआछूत की भावना लगभग समाप्त हो गई है, पर दूर-दराज के गांवों में कहीं-कहीं छुआछूत देखने में आती है। और भी कुछ लोग हैं, विशेषकर राजनीतिज्ञ-और उनमें भी कांग्रेसी, जो ऊंच-नीच की भावना को बनाए रखना चाहते हैं ताकि इस भेदभाव के बूते चुनाव जीत सकें।एक समय था जब हमारा 99 प्रतिशत समाज कांग्रेस से जुड़ा था। पर संघ का आचार-विचार-व्यवहार देखकर मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि भविष्य में हमारा शत-प्रतिशत समाज संघ से जुड़ा होगा। जब इंदौर में मैं संघ से जुड़ा तो वहां मेरे समाज का एक भी व्यक्ति नहीं था, पर मुझे महसूस ही नहीं हुआ। फिर जहां से मैं चुनाव लड़ा (सांवेर), वहां भी मेरी जाति के वोट अधिक नहीं थे और मैं स्वयं भी वहां का रहने वाला नहीं हूं। पर ऐसा वातावरण बना कि मैं चुनाव जीत गया। ऐसे ही अनेक लोगों को सम्मान मिला। आज म.प्र. में खटीक समाज के 6 विधायक हैं, एक मंत्री है, एक लोकसभा सदस्य है। राजनीतिक रूप से हमें जो प्रतिष्ठा मिली उसका श्रेय भी संघ को ही जाता है। हाल ही में दिल्ली में आयोजित एक समारोह में हमारे खटीक समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री रामगोपाल सूर्यवंशी से जब श्री गुरुजी की पुस्तकों का लोकार्पण कराया गया तो खुशी से उनकी आंखें छलछला आईं। ये हमारे समाज के लिए गौरव की बात है। इतना सम्मान संघ के लोग ही दे सकते हैं, दूसरे नहीं। श्रीराम जन्मभूमि पर बनने वाले मंदिर की नींव की पहली ईंट अनुसूचित जाति के एक व्यक्ति से ही रखवायी गई। समाज में यह सोच, यह बदलाव रा.स्व.संघ के कार्यकर्ता, विश्व हिन्दू परिषद् या भाजपा के लोग ही ला सकते हैं।NEWS
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