|
कुप्.सी. सुदर्शन, सरसंघचालक, रा.स्व.संघहमारे नेतृत्व का आदर्श शिवाजीशिवाजी के चित्र के समक्ष पुष्पार्चन करते हुए श्री सुदर्शनगत 19 जून को लखनऊ के लक्ष्मण मेला मैदान में प्रथम व द्वितीय वर्ष संघ शिक्षा वर्ग का समापन समारोह सम्पन्न हुआ। इसी समारोह के अंतर्गत हिन्दू साम्राज्य दिनोत्सव भी मनाया गया। रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री कुप्.सी. सुदर्शन ने मंच के सामने लगे शिवाजी के विशाल चित्र के समक्ष पुष्प अर्पित किए, उनका स्मरण किया। कायक्र्रम में स्वयंसेवकों के अतिरिक्त बड़ी संख्या में लखनऊ के नागरिक उपस्थित थे। उन्हें सम्बोधित करते हुए श्री सुदर्शन ने जहां आजादी के बाद से देश के राजनेताओं के चाल-चलन और नीति-निर्धारण की चर्चा की तो वहीं जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में राष्ट्रवादी चिंतन भी प्रस्तुत किया। हिन्दवी स्वराज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी के शौर्य और राष्ट्रनिष्ठ व्यवहार की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि शिवाजी जैसा व्यक्तित्व ही देश को, समाज को योग्य नेतृत्व दे सकता है। ऐसा व्यक्ति कठिन परिस्थितियों में भी इतिहास की धारा को अपने परिश्रम से मोड़ देता है। वह न किसी के सामने झुकता है, न डरता है। नेता की ये सभी विशिष्टताएं शिवाजी में समाहित थीं। यहां प्रस्तुत है श्री सुदर्शन के उसी उद्बोधन के संपादित अंश। सं.वर्तमान राजनेता कश्मीर के पाकिस्तानी कब्जे वाले भाग को छोड़ देने तथा दोनों देशों के बीच नई अन्तरराष्ट्रीय सीमा स्वीकार करने की योजना पर काम कर रहे हैं। संसद ने दो बार सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित करके कहा है कि पूरा कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। अत: इस प्रस्ताव के विरुद्ध आचरण करना किसी भी सरकार के लिए संभव नहीं होना चाहिए। यदि भारत ने कश्मीर के पाकिस्तानी कब्जे वाले क्षेत्र पर कोई समझौता किया तो फिर लद्दाख तथा अरुणाचल प्रदेश के उन क्षेत्रों को भी छोड़ने का संकट उत्पन्न हो जाएगा जिन पर चीन दावा करता है।आजादी मिलने के बाद भी आज देश में कश्मीर, तिब्बत, चीन, आर्थिक-अव्यवस्था आदि जितनी भी समस्याएं हैं, उन सभी की जड़ में पं. जवाहरलाल नेहरू की गलत नीतियां ही हैं। इन्दिरा गांधी में दृढ़ता तो थी परन्तु इसका प्रयोग वे खुद को सत्ता में बनाए रखने के लिए विशेष रूप से करती रहीं, इसीलिए उन्होंने आपातकाल तक लगाया।पाकिस्तान का हमला होने पर उसे दो हिस्सों में बांटने में भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उस समय पूर्वी बंगाल का पर्वतीय चटगांव क्षेत्र, जो हिन्दूबहुल था, को भारत में मिलाया जा सकता था, लेकिन दूरदर्शी नीति के अभाव में भारत उस स्थिति का कोई लाभ नहीं उठा सका। आज हिन्दू साम्राज्य दिवस का उत्सव मनाया जा रहा है। शिवाजी के राज्याभिषेक उत्सव का यही संदेश है कि अगर नेतृत्व योग्य हो तो अत्यन्त विपरीत और कठिन परिस्थितियों में भी इतिहास की धारा को अपने परिश्रम और प्रयत्नों से मोड़ा जा सकता है। जो समय के दबाव में झुक जाए, दब जाए, डर जाए, वह नेता कैसे हो सकता है? नेता तो वही हो सकता है जो विपरीत परिस्थिति में समय की धारा मोड़ दे, जैसे शिवाजी ने किया। उनके द्वारा स्थापित हिन्दवी स्वराज्य हिन्दुत्व का आदर्श है। बाल गंगाधर तिलक ने उन्हीं का आदर्श अपनाकर गणेशोत्सव तथा शिव साम्राज्य दिवसोत्सव आयोजन शुरू करके समाज जागरण का कार्य किया था। शिवाजी के आदर्श की स्थापना तभी संभव होगी जब हिन्दू समाज सुसंगठित होगा। संघ इसी काम में लगा है। समाज का हर व्यक्ति हिन्दू समाज को सशक्त बनाने के लिए संघ-कार्य में अपना सहयोग दे।NEWS
टिप्पणियाँ