|
पत्रकारिता के मर्मज्ञ और हिन्दू संगठन के पुरोधासंगोष्ठी के मंच पर हैं (बाएं से)-श्री कुलदीप चन्द अग्निहोत्री, श्री नन्द किशोर त्रिखा,श्री श्रीकान्त जोशी, श्री जे.पी. माथुर, श्री के.एम. गुप्ता और श्री सदानन्द काकड़ेदादा साहब आपटेस्वतंत्र भारत में भाषायी पत्रकारिता के विकास में दादा साहब आपटे का अमूल्य योगदान रहा है। आज नई पीढ़ी के पत्रकार भले ही न जानते हों लेकिन पचास के दशक में जब देवनागरी लिपि में टेली-प्रिन्टर का प्रयोग देश में प्रारम्भ हुआ था तब इसके पीछे दादा साहब आपटे की महती भूमिका थी। सन् 1948 में भारतीय भाषाओं में समाचार देने वाली प्रथम संवाद एजेंसी, हिन्दुस्थान समाचार की शुरुआत दादा साहब ने ही की थी। दादा साहब स्वतंत्र भारत में मूल्य आधारित एवं ध्येयनिष्ठ पत्रकारिता के प्रसार के लिए सदैव प्रयत्नरत रहे।गत 18 जून को नई दिल्ली स्थित कांस्टीट्यूशन क्लब में दादा साहब आपटे जन्मशताब्दी समारोह समिति के तत्वावधान में “दादा साहब आपटे की भारतीय पत्रकारिता एवं चिंतन को देन” विषयक विचार गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने उपरोक्त विचार प्रकट किए। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में राष्ट्रीय स्वयंसेवक के वरिष्ठ प्रचारक श्री श्रीकान्त जोशी ने कहा कि दादा साहब ने समाज के प्रबोधन व जागरण में मीडिया की भूमिका को समझकर संवाद समिति “हिन्दुस्थान समाचार” की स्थापना की। उनके मौलिक चिंतन को परख कर श्री गुरुजी ने विश्व हिन्दू परिषद के गठन का दायित्व उन पर डाला था।दादा साहब की जीवनी2005 दादा साहब का जन्मशताब्दी वर्ष है। नई पीढ़ी का दादा साहब के जीवन व कार्यों से परिचय हो सके, इस दृष्टि से देश भर में संगोष्ठी आयोजित की जाएंगी तथा स्मारिका और साहित्य का प्रकाशन किया जाएगा। राष्ट्रीय पत्रकारिता कल्याण न्यास शीघ्र ही हिन्दी, अंग्रेजी और मराठी में दादा साहब की जीवनी का प्रकाशन करेगा। यह जानकारी संगोष्ठी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं राष्ट्रीय पत्रकारिता कल्याण न्यास के न्यासी श्री श्रीकान्त जोशी ने दी।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ भाजपा नेता श्री जगदीश प्रसाद माथुर ने कहा कि दादा साहब आधुनिक सोच के व्यक्ति थे लेकिन उनका स्वभाव वस्तुत: संत के समान था। विश्व हिन्दू परिषद के वरिष्ठ नेता श्री सदानंद काकड़े ने कहा कि विदेशों में रहने वाले हिन्दुओं को अपने मूल संस्कार से जोड़े रखने का दादा साहब का आग्रह रहता था और इस हेतु उन्होंने विदेशों में हिन्दू संगठन के कार्य को गति प्रदान की। संगोष्ठी में डा. रवीन्द्र अग्रवाल तथा डा. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने दादा साहब के चिंतन और पत्रकार के रूप में उनके योगदान की चर्चा की।NEWS
टिप्पणियाँ