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हां, दूर होगा समाज से अंधकारसमारोह के मंच पर हैं (बाएं से) श्रीमती वन्दना व्यास, डा. उषा जैन, श्रीमती सुमित्रा पारीक, श्रीमती प्रमिला ताई मेढे व श्रीमती वेणी शर्मासूर्य नमस्कार करती हुई सेविकाएंभारतीय संस्कृति में मां का स्थान सर्वोच्च माना गया है। समाज में फैले अन्धकार को मां ही सुसंस्कारों से दूर कर सकती है। सम्पूर्ण विश्व मेरा घर है तथा सारा समाज मेरा परिवार है, यह विचार भारतीय संस्कृति ने हमें दिया है, यही है भारत मां का विशाल मातृत्व भाव। ये विचार राष्ट्र सेविका समिति की सह संचालिका श्रीमती प्रमिला ताई मेढे ने जयपुर में राष्ट्र सेविका समिति के प्रशिक्षण वर्ग के समापन समारोह में व्यक्त किए।श्रीमती मेढे ने आह्वान किया कि महिलाएं इस बात पर गम्भीरता से विचार करें कि आज के युग में उनकी वास्तविक भूमिका क्या है। यदि मातृ शक्ति कल्याणकारी रूप लेकर समाज के सामने खड़ी होती है तो सम्पूर्ण समाज सुखमय बन जाएगा। आज देश के सामने कई प्रकार के संकट हैं जैसे जनसंख्या असन्तुलन, अलगाववाद, भाषा, जाति और प्रान्तवाद, जो हमको तोड़ते हैं, इन संकटों से मुकाबला करने के लिए नई पीढ़ी को संस्कारित करना होगा। नई पीढ़ी के निर्माण में माताओं का महत्वपूर्ण योगदान होता है। प्रमिला ताई ने चरित्र निर्माण पर जोर देते हुए कहा कि हम अपने घरों में देशभक्त, सच्चरित्र और ईमानदारी से ओत-प्रोत पीढ़ी के निर्माण पर ध्यान केन्द्रित करें।उन्होंने समिति की संस्थापिका वं. लक्ष्मीबाई केलकर का स्मरण करते हुए कहा कि वं. मौसी ने मातृशक्ति को संगठित करने के लिए 1936 में राष्ट्र सेविका समिति की स्थापना की थी। आज सेविका समिति का कार्य भारत सहित 22 अन्य देशों में भी चल रहा है। सेविकाओं को इस कार्य को गंगा के समान पवित्र मानकर निरन्तर प्रवाहमान रखने की आवश्यकता है। इस प्रशिक्षण वर्ग में सम्मिलित सेविकाओं ने नित्य प्रात: 4.30 बजे से रात्रि 10 बजे तक की कठिन दिनचर्या का पालन करते हुए व्यायाम, योग, नियुद्ध एवं दण्ड का प्रशिक्षण तो लिया ही, साथ ही बौद्धिक एवं चर्चा सत्रों द्वारा समिति के कार्य एवं हिन्दुत्व के सन्दर्भ में वैचारिक स्पष्टता भी प्राप्त की।इस अवसर पर कार्यक्रम की मुख्य अतिथि श्रीमती सुमित्रा पारीक ने कहा कि अनुशासित और संस्कारित महिलाएं समाज को नई दिशा प्रदान करती हैं। विशिष्ट अतिथि डा. उषा जैन ने सेविका समिति के कार्यों की प्रशंसा की।NEWS
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