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इंदिरा गांधी शासन में कांग्रेसी मंत्रियों और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को मिला

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Feb 10, 2005, 12:00 am IST
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दिंनाक: 10 Feb 2005 00:00:00

अश्लील फिल्में फ्लाप, हनुमान सुपरहिटअभी तक सात करोड़ का व्यापार किया- रेवती शिंदेबॉलीवुड के बड़े-बड़े नायकों की फिल्में जहां पिट रही हों वहां पौराणिक कथा रामायण के महत्वपूर्ण चरित्र हनुमान ने बॉक्स ऑफिस पर कमाल कर दिखाया है। सहारा वन, परसेप्ट पिक्चर कंपनी और सिल्वरटून्स द्वारा ढाई करोड़ रुपए में बनाई गई इस एनिमेशन फिल्म ने बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी को अपने वश में कर लिया है। जहां बड़े कलाकारों की फिल्में पहले तीन दिन सफल हो जाएं तो जश्न मनाया जाता है, वहीं सामान्य तरीके से बिना किसी शोर के लगातार चौथे हफ्ते हनुमान ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता की दौड़ जारी रखी है। हनुमान ने अब तक पूरे देश में सात करोड़ रुपए का व्यवसाय कर पहला स्थान प्राप्त किया है। पिछले दिनों बॉलीवुड के चर्चित कलाकार सलमान खान की क्यूंकि और वासु भगनानी की शादी नंबर वन प्रदर्शित हुई थीं, जिसके निर्देशक थे डेविड धवन और उसमें फरदीन, जाएद, संजय दत्त आदि ने कार्य किया था। ये दोनों पहले हफ्ते में ही दम तोड़ गयीं। सिर्फ मुम्बई में ही हनुमान ने अपनी लागत से ज्यादा यानी तीन करोड़ रुपए का व्यवसाय किया। इतना ही नहीं भारत की पहली व्यावसायिक एनिमेटेड फिल्म होने के रूप में लिम्का बुक ऑफ रिकाडर््स 2004 में इस फिल्म को शामिल किया गया है।बॉलीवुड के इतिहास में पहली बार किसी एनिमेशन फिल्म को व्यावसायिक फिल्म की तरह प्रचारित किया गया। पूरे हिन्दुस्थान में इसके 150 पिं्रट रिलीज किए गए। 90 मिनट की इस फिल्म में वह सब कुछ है जो एक व्यावसायिक फिल्म के लिए जरूरी होता है। पहले तीन दिन में ही इस फिल्म ने डेढ़ करोड़ रुपए का व्यवसाय किया। इस फिल्म की सफलता ने बॉलीवुड की इस धारणा को गलत साबित कर दिया है कि सिर्फ सेक्स या बड़े कलाकारों की फिल्में ही चलती हैं। बॉलीवुड में जब कोई फिल्म चल जाती है तो हर दूसरा निर्माता उसी तरह की फिल्म बनाने की योजना बनाता है और फिल्म बनाता भी है। बॉलीवुड में सबसे सुरक्षित सेक्सी फिल्म बनाना माना जाता है।बुरी तरह लुढ़क गईं। इससे यह साबित हुआ कि सिर्फ सेक्स ही नहीं बिकता है। सिर्फ नायिकाओं का शरीर देखने के लिए ही दर्शक आते तो फिल्म उद्योग में असफल फिल्मों की संख्या नहीं बढ़ती। आज हिन्दुस्थान में वार्षिक आठ सौ के आसपास फिल्में बनती हैं, जिनमें सबसे जयादा हिन्दी फिल्में होती हैं, लेकिन सफल फिल्म दो या तीन ही होती हैं।प्रतिक्रियाएंअर्चना पूरण सिंह – हनुमान मेरे बच्चों को बहुत पसंद आई। यह दिमाग के घोड़े दौड़ा देती है। मेरे बच्चों ने फिर एक बार मुझसे चार टिकट खरीदने के लिए कहा और वह अपने दोस्तों के साथ फिल्म देखने गए।अमर उपाध्याय – मैंने प्रीमियर पर यह फिल्म देखी। मेरे बच्चे को ही नहीं बल्कि मुझे खुद भी यह फिल्म काफी पसंद आई। इसमें कई ऐसी बातें थीं जो हम नहीं जानते थे। सबसे अच्छा मुझे बाल हनुमान लगा। मैं चाहता हूं कि इस तरह की और भी फिल्में बनें।मास्टर लव (दस साल) – फिल्म प्रदर्शित होने के पहले ही मैंने अपने माता-पिता से फिल्म के टिकट लाने के लिए कहा था। यह बहुत अच्छी फिल्म है। बाल हनुमान बहुत ही “क्यूट” हैं।बॉलीवुड के व्यापार विश्लेषक तरन आदर्श ने हनुमान की सफलता के बारे में जानकारी देते हुए बताया, “मैंने प्रीमियर पर यह फिल्म देखी। फिल्म देखते वक्त मुझमें छुपा छोटा बच्चा बाहर आया और उसने फिल्म का आनंद लिया। छोटे बच्चों को तो हनुमान ने आकर्षित किया है, मेरी तरह बड़े लोगों को भी आकर्षित किया।हनुमान के बारे में हम जानते हैं, लेकिन इस फिल्म में वह सब कुछ था जो हम नहीं जानते और मेरी नजर में फिल्म की सफलता का राज यही है। हम सुपरमैन, स्पाइडरमैन और बैटमैन के पीछे क्यों भागते हैं? अपनी पुरानी कहानियों में कई सुपर हीरो हैं जिनमें से हनुमान एक हैं।तरन आदर्श ने फिल्म के व्यवसाय के बारे में जानकारी देते हुए बताया, सलमान खान की “क्यूंकि” ने सिर्फ 20 फीसदी व्यवसाय किया, तो शादी नंबर वन 30 से 40 प्रतिशत तक पहुंच पायी। वहीं हनुमान ने सिर्फ रिकवरी ही नहीं की, बल्कि दुगुना व्यवसाय किया।हनुमान की सफलता के बारे में जानकारी देते हुए सहारा वन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शंतनु आदित्य ने बताया, अपने यहां ऐसा मानना है कि ऐनिमेशन फिल्में केवल बच्चों के लिए ही होती हैं, लेकिन हनुमान ने इसे गलत साबित कर दिया है। फिल्म में हमने गाने, कहानी का प्रस्तुतिकरण और साथ ही अच्छा एनिमेशन देने की वजह से बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी को पसंद आई। कई बच्चों ने दो-दो, तीन-तीन बार यह फिल्म देखी। युवाओं ने भी इस फिल्म को पसंद किया है। इस फिल्म का चोरी की नकल वाला वीसीडी बाजार में न आने की वजह से भी व्यवसाय अच्छा हुआ।120 कलाकार, 2 लाख चित्र और कई समस्याओं से जूझ कर बनी फिल्महनुमान जी ने मेरे कान में आकर बोला था कि फिल्म बनाओ हिट होगी।- निर्देशक वी.जी. सामंतहिन्दुस्थान की पहली एनिमेशन फिल्म हनुमान बनाने के लिए दो साल का समय, 120 कलाकारों की मेहनत और कई दरवाजों की ठोकरें खानी पड़ीं। इस फिल्म का निर्देशन हिन्दुस्थान के एनिमेशन गुरु वी.जी. सामंत ने किया है।वी.जी. सामंत ने हनुमान को रुपहले परदे तक लाने के सफर के बारे में पाञ्चजन्य को जानकारी देते हुए बताया, ढाई साल पहले मैंने हनुमान पर काम करना शुरू किया। 160 कलाकार जिनमें 120 चित्रकार और 40 डिजिटल कलाकारों का समावेश है, की मदद से हमने हनुमान का काम शुरू किया। कहानी के हिसाब से हमने दो लाख चित्र बनाए। हमने पहले ही तय किया था कि बच्चों को हनुमान का रूप पसंद आना चाहिए इसलिए बाल हनुमान पर हमने ज्यादा ध्यान दिया।फिल्म बनाने में आई दिक्कतों के बारे में जानकारी देते हुए जब हमने फिल्म की योजना बनाई और कई निर्माताओं के पास गए, तब किसी ने हमें प्रोत्साहन नहीं दिया। सभी कहते थे कि आज के जमाने में हनुमान पर बनी एनिमेशन फिल्म कौन देखेगा? मेरी पूरी यूनिट निराश हो गई थी, लेकिन हमें हनुमान जी पर पूरा भरोसा था क्योंकि हनुमान जी ने मेरे कान में आकर बोला था कि फिल्म बनाओ हिट होगी। मैंने सारे कलाकारों को यही बात बताई और उन्होंने भी मेरी बात पर भरोसा कर काम जारी रखा। कोई निर्माता नहीं था फिर भी हमने काम शुरू रखा। ऐसे में सहारा वन और परसेप्ट पिक्चर कंपनी ने हम पर भरोसा रखा और उन्होंने फिल्म के निर्माण के लिए मदद की। वी.जी. सामंत हिन्दुस्थान के सबसे पुराने एनिमेशन कलाकार हैं। उन्हें हिन्दुस्थान में एनिमेशन गुरु के रूप में जाना जाता है। मूलत: चित्रकार वी.जी. सामंत ने पहले फिल्म डिवीजन में काम करना शुरू किया। तीस साल में उन्होंने 120 से ज्यादा एनिमेशन फिल्में बनाई हैं जिनमें से कई फिल्मों को राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। उन्होंने 1986 में लाइव एनिमेशन की शुरुआत की थी। वी.जी. सामंत की चर्चित एनिमेशन फिल्मों में ट्री ऑफ यूनिटी और पंचतंत्र की कहानी पर आधारित “लायन एंड रैबिट” आदि शामिल हैं। हनुमान के बाद अब सामंत एक और पौराणिक कहानी पर बच्चों के लिए एनिमेशन फिल्म बनाने की योजना बना रहे हैं।वर्ष 59, अंक 18, आश्विन कृष्ण 14, 2062 वि. (युगाब्द 5107) 2 अक्तूबर, 2005इंदिरा गांधी शासन में कांग्रेसी मंत्रियों और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को मिला -के.जी.बी. का पैसाबेबुनियाद आरोपों की जांच कैसी – अभिषेक सिंघवी, प्रवक्ता, कांग्रेसइस तरह हुइ सत्ता-अधिष्ठान में रूसी गुप्तचरों की घुसपैठ – आलोक गोस्वामीउजागर हुई “कांग्रेस – कम्युनिस्ट” – दोस्ती की असलियतज्योति बसु ने कहा – हां, कांग्रेस और इंदिरा गांधी को अमरीका से धन पहुंचाया जाता था – कोलकाता से विशेष संवाददाताआरोपों से बच नहीं सकती कांग्रेस – अरुण जेटली, महासचिव एवं प्रवक्ता, भाजपाकोलकाता पुलिस के गजट में छपीं रिश्वत की दरें – बासुदेव पालसऊदी अरब में पैगम्बर मोहम्मद से जुड़ी यादें नेस्तनाबूद चुप क्यों हैं इस्लाम के पैरोकार? – मुजफ्फर हुसैन का विशेष आलेखदिल्ली और आस पास बढ़ते बंगलादेशी और उधर अदालत के आदेश पर कार्रवाई नहीं – अरुण कुमार सिंहसम्पादकीय रूस के सूत्रआखिरकार तमाम सरकारी अड़चनों, अवरोधों को दूर करते हुए नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ीं गुत्थियां सुलझाने के लिए न्यायमूर्ति एम.के. मुखर्जी 20 सितम्बर को रूस पहुंचे। विस्तार…पाठकीय विधायिका और न्यायपालिकादेखा जाता है कि न्यायपालिका के कुछ निर्णय विधायिका को बिल्कुल पसन्द नहीं आते हैं। इस कारण इन दोनों में टकराव की स्थिति पैदा होती है।विस्तार…विचार-गंगाभारत में जन्म लेना सौभाग्य की बात श्री गुरुजीचर्चा सत्र समय की परतों में छुपा सचटी.वी.आर. शेनायमंथन हिन्दू नेतृत्व के सामने यक्ष-प्रश्न देवेन्द्र स्वरूपसंस्कार गाय की महिमा – 4 शिवकुमार गोयलपंजाब की चिट्ठी कैप्टन का “कोहराम राज” राकेश सैनपाचजन्य पचास वर्ष पहले मुसलमानों द्वारा भयंकर उत्पातगवाक्ष कविता के दर्पण में गांधी जी और गांधीवादी शिव ओम अम्बरहिन्दूभूमि न्याय दर्शन सुरेश सोनीपुस्तक समीक्षा यह कैसे देश निर्माता?गहरे पानी पैठ बुद्धदेव पर बिफरे मुस्लिम संगठनतेजस्विनी मेरी सास, मेरी मां, मेरी बहू, मेरी बेटीस्त्री बनी-ठनी मंगलम, शुभ मंगलममामल्लपुरम में फिर मिले 2000 वर्ष पुराने मन्दिर के भग्नावशेषचेन्नै में भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक – प्रतिनिधिचर्च ने कहा – ब्रिटेन की जनता माफी मांगेमुख्यमंत्री की नीति के विरुद्ध ममता बनर्जी ने कहा – किसानों की जमीन नहीं देंगेभारत-नेपाल सम्बंधों पर चीन की नजर का खतरा भारत के कूटनीतिज्ञों के लिए चिन्तन का समय – बालेश्वर अग्रवालवीर सावरकर युवा संगठन का समारोह देश-समाजहित में युवा आगे आएं – रामप्रताप मिश्रगजब का विद्यालयटेलीविजन धारावाहिकों का हाल संस्कार मुक्त, परिवार संयुक्त – अनुपमा श्रीवास्तवकोलकाता में प्रसिद्ध राजस्थानी साहित्यकार कन्हैयालाल सेठिया का 87 वां जन्मदिवस समारोह सेठिया जी की कलम बनी पिछड़ों की आवाज – प्रतिनिधिछत्तीसगढ़ की पहल पर नक्सली हिंसा के विरुद्ध सभी राज्य एकजुट – प्रतिनिधिजहां पूरब की ओर खुलती है खिड़की – 2सिंगापुर तेज भागती कारें और दौड़ता जीवन – विनोद कुमार अग्रवालमामल्लपुरम पहुंची वसुंधरा बांटा सुनामी पीड़ितों का दर्द – प्रतिनिधिकौन है दुनिया में परमाणु हथियारों के प्रसार का दोषी? 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यानी इस देश के कांग्रेसी व वामपंथी नेता केवल के.जी.बी. से नहीं बल्कि अन्य अनेक स्रोतों से पैसा लेते रहे हैं।इसी क्रम में एक और महत्वपूर्ण पुस्तक है “ओपन सीक्रेट्स-इंडियाज इंटेलीजेंस अनवेल्ड।” इस पुस्तक के लेखक हैं मलय कृष्ण धर, जो खुफिया विभाग (आई.बी.) के पूर्व संयुक्त आयुक्त हैं। आई.बी. में सोवियत संघ खुफिया रोधी विभाग भी था। आई.बी. ने श्री धर को इस काम में लगा दिया। उस समय सोवियत संघ के खुफिया विभाग की भारत में दखल की गहन जांच कर श्री धर इस नतीजे पर पहुंचे थे कि तत्कालीन 4 केन्द्रीय मंत्रियों और 2 दर्जन से अधिक सांसदों को के.जी.बी. से नियमित पैसा मिलता था। सन् 2005 में आई इस पुस्तक में उन्होंने कहा है कि उनमें से कुछ अभी भी सत्ता के गलियारे में हैं। इस पुस्तक के एक अनुच्छेद को पढ़कर ही आप समझ जाएंगे कि के.जी.बी. किन-किन मंत्रालयों में कितने गहरे पैठी थी। अर्थात् एक सोवियत संघ का पूर्व के.जी.बी. एजेंट, एक सोवियत संघ का पूर्व राजदूत, एक अमरीका का पूर्व राजदूत और एक पूर्व भारतीय खुफिया अधिकारी-चारों ने एक ही बात कही है कि भारत की कांग्रेस सरकारें विशेषकर श्रीमती इंदिरा गांधी और उनके मंत्री विदेशी खुफिया एजेंसियों से पैसा लेते रहे हैं। इतने खुलासे के बावजूद कांग्रेसी निर्लज्जता से कह रहे हैं कि उन आरोपों के कोई ठोस सबूत नहीं हैं। ये बेहद शर्म की बात है कि एक समय में कांग्रेस के कुछ मंत्री सिर्फ पैसे के लिए देश के कुछ अति महत्वपूर्ण गोपनीय दस्तावेज के.जी.बी. को देने के लिए तैयार थे।यह सोचना गलत है कि चूंकि वही कांग्रेस-कम्युनिस्ट गठजोड़ सत्ता पर काबिज है, ऐसे में किसी जांच से कुछ नहीं निकलने वाला। यह जरूरी नहीं कि जांच केवल सरकारी संस्था या एजेंसी ही करे। इस देश के नागरिकों के पास भी जांच करने की शक्ति है। मित्रोखिन के दस्तावेजों से भ्रष्टाचार के सबूत भी तो ब्रिटेन के एक प्रोफेसर ने निकाले हैं। इस देश की मीडिया में बहुत ताकत है, उसे इसकी जांच करनी चाहिए और जो लोग पिछले 40-50 सालों से देश के साथ गद्दारी कर रहे हैं, उनकी सचाई जनता के सामने लानी चाहिए। ये बातें अब तक इसलिए दबी हुई थीं क्योंकि वामपंथियों की पूरे तंत्र पर पकड़ थी। सोवियत संघ के विघटन के बाद अब यह सच्चाई सबके सामने आ रही है। भले ही बोफर्स के मामले में केन्द्रीय एजेंसी द्वारा की गई जांच में कुछ न निकला हो और न्यायालय से किसी को सजा न मिली हो, पर मीडिया ने उसकी सच्चाई आम जनता तक पहुंचा दी और सब लोगों को मालूम है कि बोफर्स मामले में सोनिया गांधी के करीबी क्वात्रोकी को 7 करोड़ डालर की घूस दी गई थी। इसलिए सरकारी समिति की जांच से भले ही कुछ न निकला, लोग सच्चाई जानते हैं। जब हम अपने देश के जवानों के लिए तोप खरीद रहे थे तब सोनिया गांधी के करीबी दोस्त को दलाली देना क्या देश के साथ गद्दारी नहीं है? कांग्रेस का सोवियत संघ के साथ क्या रिश्ता था और उस समय क्या-क्या हुआ, इस बारे में अभी बहुत काम किया जाना बाकी है।(जितेन्द्र तिवारी से बातचीत पर आधारित)NEWS

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