|
परमाणु हथियारों के प्रसार का दोषी?- सेसिल विक्टरहालैंड के पूर्व प्रधानमंत्री रूड लूबर्स द्वारा हाल ही में किए गए रहस्योद्घाटन ने अमरीका के राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू बुश के पिता पूर्व राष्ट्रपति जार्ज बुश को लेकर तीखी बहस छेड़ दी है। लूबर्स ने कहा कि पाकिस्तानी परमाणु बम के जनक डा. अब्दुल कादिर खान को परमाणु तकनीक की चोरी के आरोप में हालैंड की पुलिस के हाथों गिरफ्तारी से बचाने में जार्ज बुश ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ऐसा करके क्या वह विश्व में परमाणु हथियारों के प्रसार के लिए जिम्मेदार नहीं कहलाए जाएंगे?लूबर्स के अनुसार हालैंड के अधिकारियों ने पाकिस्तान के परमाणु बम जनक को जेल में इसलिए नहीं भेजा, क्योंकि उन्हें बचाने के लिए अमरीकी गुप्तचर एजेंसी सी.आई.ए. ने हस्तक्षेप किया था। सी.आई.ए. ने उनके समक्ष यह प्रस्ताव रखा था कि अगर उन्हें स्वतंत्र रहने दिया जाए तो उन पर कड़ी नजर रखी जा सकेगी और परमाणु हथियारों के व्यापार से संबंधित उसकी कार्रवाइयों और सम्बंधों की जानकारी प्राप्त की जा सकेगी। यह “70 के दशक के अंत की बात थी। अब 21वीं सदी में बुश परिवार को इस गलती की कीमत चुकानी पड़ सकती है।हुआ यूं था कि कादिर खान जनवरी 1976 में युरेनको नाम की कंपनी से एल्यूमिनियम और विशेष प्रकार के धातु से बनी सेन्टीफ्यूगल मशीनों के चुराए हुए प्रारूपों को वहां से उड़ा ले गए थे। ये मशीनें यूरेनियम का संवद्र्धन कर बम बनाने के काम आती हैं। उस समय जॉर्ज हार्वर्ड वॉकर बुश ने सी.आई.ए. के अध्यक्ष का पदभार संभाला हुआ था। इसलिए यह शक और पुख्ता होता है कि उन्होंने ही कादिर खान को हालैंड की कम्पनी से चुराई गई परमाणु तकनीक विश्व भर में फैलाने की छूट देने की सिफारिश की थी।बुश के चार साल के सी.आई.ए.अध्यक्ष के कार्यकाल में डा. कादिर खान पाकिस्तान में भूमिगत होकर बम बनाने में व्यस्त रहे। इस काम में उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फीकार अली भुट्टो का समर्थन प्राप्त था। यहां भुट्टो का वह वक्तव्य भी याद आता है जिसमें उन्होंने कहा था कि “हम घास खाकर गुजारा कर लेंगे, लेकिन परमाणु बम जरूर बनाएंगे।”कई साल बाद जब “बुश सीनियर” ने अमरीका के राष्ट्रपति का पदभार संभाला तो अमरीकी कांग्रेस के सामने बड़ी दिलेरी से कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में वह यह प्रमाण पत्र जारी नहीं कर सकते कि पाकिस्तान परमाणु बम बनाने के कार्यक्रम में सक्रिय नहीं है। उनके कहने का अंदाज था कि जिस आदमी पर सी.आई.ए. ने निगरानी रखी थी उसकी बदौलत पाकिस्तान परमाणु हथियार प्राप्त कर चुका था। उस समय से ही सी.आई.ए. को यह मालूम था कि कादिर खान ने परमाणु जानकारी प्राप्त करने के लिए चीन से और 2000 किमी. तक परमाणु बमों से सुसज्जित होकर मार करने वाले प्रक्षेपास्त्रों की तकनीक के लिए उत्तरी कोरिया से संपर्क बना लिए थे। फिर उन्होंने यह तकनीक लीबिया और ईरान को मुहैया कराई और यह भी एक बहुत बड़ा चिंताजनक प्रश्न है कि कहीं अफगानिस्तान में अपने सम्बंधों द्वारा तालिबान और अल कायदा को भी यह जानकारी तो नहीं पहुंचा दी?ये सभी क्षेत्र तभी से परमाणु गलियारों के रूप में सामने आने लगे थे जब अन्तरराष्ट्रीय खोजी पत्रकारों ने अमरीकी गुप्तचर एजेंसियों की ओर से 11 सितम्बर की घटना के बाद सूचनाएं देनी शुरू कर दीं। यहां तक कि लीबिया ने स्वीकार भी कर लिया है कि उसे कादिर खान से परमाणु तकनीक प्राप्त हुई थी और फिर अपने परमाणु हथियार के कार्यक्रम को समाप्त करने पर भी तैयार हो गया। अन्तरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने भी इस बात की पुष्टि की कि जो तकनीक डा. खान द्वारा मुहैया कराई गई वह पाकिस्तानी थी और उसका ईरान के परमाणु कार्यक्रम से कोई संबंध नहीं था, जिसके बहाने अमरीका ईरान पर भी ईराक की तरह के हमले की योजना बना रहा है।विश्व में परमाणु हथियार प्रसार में कादिर खान के शामिल होने के ठोस साक्ष्यों के बावजूद अमरीका और उसकी गुप्तचर एजेंसियां पाकिस्तान की भूमिका से जानबूझ कर ध्यान हटाए हुए हैं।(अडनी)NEWS
टिप्पणियाँ