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हर पखवाड़े स्त्रियों का अपना स्तम्भहेमलता ताम्हणेचलना ही जिन्दगी है- दीपक नाईकहेमलता ताम्हणे”स्त्री” स्तम्भ के लिए सामग्री, टिप्पणियांइस पते पर भेजें-“स्त्री” स्तम्भ द्वारा,सम्पादक, पाञ्चजन्य,संस्कृति भवन, देशबन्धु गुप्ता मार्ग, झण्डेवाला, नई दिल्ली-55सन् 1992 में अचानक पति की मृत्यु से एक बारगी तो उनको लगा कि मानो सब कुछ उजड़ गया। परन्तु “चलने का ही नाम तो जिन्दगी है”, अपने पति द्वारा कहे गए इस वाक्य को हेमलता ताम्हणे ने अपने जीवन का मंत्र बना लिया। इंदौर के सांवेर रोड औद्योगिक क्षेत्र में अपने पति द्वारा स्थापित विद्युत इलेक्ट्रोप्लेट्स कारखाने का सारा काम-काज उन्होंने बड़ी कुशलता के साथ संभाला। यद्यपि वे संस्कृत विषय की विद्यार्थी रहीं थीं और इसी विषय में शिक्षण करना उनकी रुचि भी थी, लेकिन अब उन्हें तकनीकी ज्ञान, उसकी बारीकियों, मजदूर, काम और काम के घंटों, श्रम कार्यालय की हां-ना और बाजार की परिस्थितियों को समझना था, जिसका उन्हें कोई अनुभव नहीं था, प्रशिक्षण भी नहीं लिया था।तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री श्रीमती सुमित्रा महाजन से सम्मान ग्रहण करती हुईंश्रीमती हेमलता ताम्हणेउनके सामने सवाल अपने तीन छोटे-छोटे बच्चों और परिवार की आजीविका का भी था। उ न्होंनेे एक अनुभवहीन, अपरिपक्व उद्यमी के रूप में बिल्कुल नए सिरे से अपने नए जीवन की शुरूआत की। मार्ग के कील-कांटों से निपटते, उन्हें दुरुस्त करते हुए धीरे-धीरे उन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर वे सारे कार्य सहज रूप से संभाल लिए जो कभी उनके पतिदेव संभालते थे। अपने कारखाने के एक-एक काम को उन्होंने समझा। अन्य कारखानों में जाकर प्रबंधन के गुर सीखे। परिणाम यह निकला कि आज वे इन्दौर में एक समर्थ व सक्षम महिला उद्यमी के रूप में प्रतिष्ठित हुई हैं। उनके प्रयासों से न केवल एक छोटे से कारखाने का उत्पादन बढ़ा वरन् देवास तथा पीथमपुर में उन्होंने दो नई सहयोगी इकाइयां भी स्थापित कीं। ये इकाइयां बजाज, काइनेटिक, आयशर व हिन्दुस्थान मोटर्स जैसे नामी-गिरामी उद्योगों को इलेक्ट्रोप्लेट्स की आपूर्ति कर रही हैं। उनके इस परिश्रम और साहस को सम्मानित करने में इन्दौरवासी भी पीछे नहीं रहे। पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्रीमती सुमित्रा महाजन के हाथों जहां उन्हें मालती देशपाण्डे स्मृति सम्मान मिला, वहीं मराठी व्यवसायी समूह, उज्जैन द्वारा उन्हें उत्कृष्ट महिला उद्यमी के रूप में सम्मानित किया गया। वे आकाशवाणी, इन्दौर की कार्यक्रम सलाहकार समिति में सदस्य भी नामित हुईं।तेजस्विनीकितनी ही तेज समय की आंधी आई, लेकिन न उनका संकल्प डगमगाया, न उनके कदम रुके। आपके आसपास भी ऐसी महिलाएं होंगी, जिन्होंने अपने दृढ़ संकल्प, साहस, बुद्धि कौशल तथा प्रतिभा के बल पर समाज में एक उदाहरण प्रस्तुत किया और लोगों के लिए प्रेरणा बन गईं। क्या आपका परिचय ऐसी किसी महिला से हुआ है? यदि हां, तो उनके और उनके कार्य के बारे में 250 शब्दों में सचित्र जानकारी हमें लिख भेजें। प्रकाशन हेतु चुनी गईंश्रेष्ठ प्रविष्टि पर 500 रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा।इन्दौर के विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों में उनकी सहभागिता हमेशा से रही है। इतना होने पर भी उनका व्यक्तिगत जीवन तड़क-भड़क से दूर ही रहता है। उनके बच्चे भी अपनी मां से प्रेरणा लेकर निरन्तर आगे बढ़ रहे हैं। जहां उनकी दो बेटियों में एक कीर्ति इंजीनियर है वहीं दूसरी श्रुति वास्तुविद् बन चुकी है। बेटा प्रतीक भी इंजीनियरिंग में प्रवेश पाने के लिए तैयारी में जुटा है। अपने जीवन और कार्य को ईश्वर का आशीर्वाद और अपने स्वर्गीय पति की प्रेरणा बताती हुई हेमलता कहती हैं, “अपने संस्कार और मजदूरों के अधिकार मुझे हमेशा याद रहते हैं।”NEWS
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