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वे ईसाई बना लिए गए होते, अगर…..”दीक्षान्त” कार्यक्रम के विरोध में प्रदर्शन करते लोगघटना पुरानी है, लगभग दो महीने पहले की। लेकिन सेकुलरों ने इसके सम्बंध में इतना शोर और कुहासा फैलाया कि मूल बात सामने ही न आ सकी। मूल बात यह थी कि शांतिप्रिय लेकिन दृढ़प्रतिज्ञ लोगों ने अपने धर्म की रक्षा के लिए अभूतपूर्व एकजुटता दिखाई। यहां प्रस्तुत है उस घटनाक्रम का दस्तावेजी और रोचक विवरण-भारत सरकार इन्हें पद्म-भूषण से सम्मानित कर चुकी है। इनका नाम है बिशप डा. सेमुएल थामस। बिशप डा.थामस कोटा (राजस्थान) के चर्चित इमेनुएल बाइबिल इंस्टीटूट सोसायटी के अध्यक्ष हैं। वे हर वर्ष संस्थान में “दीक्षान्त” समारोह का आयोजन करते हैं। गत फरवरी मास की 23 तारीख से इनके संस्थान में प्रारम्भ होने वाला पांच दिवसीय पांथिक “दीक्षा” कार्यक्रम राजस्थान में आरम्भ के पूर्व से ही चर्चा का विषय बन गया। डा. थामस ने प्रशासन के समक्ष दावा किया था कि उनके संस्थान द्वारा देशभर में चलाए जा रहे बाइबिल प्रशिक्षण कार्यक्रम में शिक्षण लेने वाले ईसाइयों को ही इस कार्यक्रम में “दीक्षा” दी जाएगी। लेकिन हिन्दू संगठनों व स्थानीय नागरिकों ने उनके दीक्षान्त कार्यक्रम की पोल उस समय खोल दी जब मतान्तरण के लिए आंध्र प्रदेश से लाए गए लगभग 300 कथित ईसाइयों को कोटा स्टेशन पर रोक लिया गया। प्रशासन की उपस्थिति में जब पूछताछ हुई तब पता चला कि इनमें से मात्र पांच लोगों को छोड़कर न तो कोई ईसाई था और न ही बाइबिल का शिक्षण ही इन्होंने लिया था। सभी आंध्र प्रदेश के ग्रामीण इलाकों के रहने वाले पिछड़ी जातियों के हिन्दू थे। इनको राजस्थान घूमने, बाइबिल की कथा सुनने, एक साइकिल व 250 रुपए देने जैसे अनेक लोभ व लालच के तरीकों से बहला-फुसला कर ईसाई मिशनरी के लोगों द्वारा कोटा लाया गया था। “दीक्षान्त” समारोह में उन्हें क्या सिखाया जाता है, इसका पता डा. सेमुएल थामस के इस वक्तव्य से चल जाता है कि “हम मन परिवर्तन के मिशन में लगे हैं, मत परिवर्तन करना हमारा उद्देश्य नहीं है।”डा. थामस के इस मन-परिवर्तन अभियान का का मामला जब तूल पकड़ने लगा तो उन्होंने मीडिया, प्रशासन व हिन्दू संगठनों को यह कहते हुए संस्थान में आने का निमंत्रण भी दे डाला कि “हमारे दीक्षान्त कार्यक्रम में कोई गैर ईसाई सम्मिलित नहीं हो रहा है।” लेकिन स्टेशन पर पकड़े गए लोगों ने जब यह असलियत उजागर की कि वे ईसाई नहीं हैं और उन्हें अनेक प्रलोभन देकर इस बाइबिल संस्थान में बुलाया गया है तो बिशप का स्वर बदल गया। उन्हें इसके पीछे षड्यन्त्र की बू आने लगी। हालांकि बिशप थामस कार्यक्रम में किसी गैर ईसाई को सम्मिलित न किए जाने की सार्वजनिक एवं लिखित रूप से घोषणा करते हैं, इसके विपरीत पकड़े गए लोगों की मानें तो बिशप का दावा स्वत: झूठा साबित हो जाता है। यह स्पष्ट हो जाने पर कि पकड़े गए हिन्दुओं को छल-कपट व लोभ-लालच देकर “दीक्षान्त” कार्यक्रम में ईसाई बनाया जाना था, कोटा पुलिस प्रशासन ने बिशप थामस सहित पांच अन्य लोगों के विरुद्ध भीमगंज मंडी थाने में गैर कानूनी तरीके से हिन्दुओं को मतान्तरित कराने का मुकदमा दर्ज किया। पकड़े गए लोगों को पुन: आंध्र प्रदेश वापस भेज दिया गया। पुलिस की सूचना के अनुसार, 13 राज्यों से लगभग 12,000 लोगों को इस कार्यक्रम में भाग लेना था। लेकिन विश्व हिन्दू परिषद् के नेतृत्व में स्थानीय हिन्दुओं के विरोध प्रदर्शनों के कारण यह संख्या नियमित आने वालों तक ही सिमट गयी। राजस्थान राज्य सरकार ने भी मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए सम्पूर्ण प्रकरण की जांच के आदेश दे दिए हैं। राज्य के गृहमंत्री गुलाब चन्द कटारिया ने विधानसभा में घोषणा की है कि किसी गरीब का लोभ-लालच के आधार पर मतान्तरण नहीं होने दिया जाएगा और शीघ्र ही सरकार प्रलोभन से मतान्तरण की रोकथाम के लिए कानून बनाएगी।कोटा में मतान्तरण के प्रयास को लेकर हुए इस विवाद ने और भी कई सवालों से पर्दा उठाया है। इमेनुएल संस्थान प्रति वर्ष अपना “दीक्षान्त” समारोह उसी समय आयोजित करता है जब जैसलमेर में “डेजर्ट फेस्टिवल” का आयोजन प्रारम्भ हो जाता है। इस मेले का आयोजन प्रति वर्ष फरवरी में ही किया जाता है जिसमें विश्व भर के पर्यटक शामिल होते हैं। अधिकांश यूरोपीय ईसाई पर्यटक इस “डेजर्ट फेस्टीवल” का आनन्द लेकर इमेनुएल संस्थान के “दीक्षान्त” समारोह में भी सम्मिलित होते हैं। इस बार सौ से भी अधिक अमरीकियों ने “दीक्षान्त” समारोह में भाग लिया। भारत सरकार द्वारा दिए जाने वाले पर्यटक वीसा शर्तों का यह खुला उल्लंघन है। गृह मंत्रालय द्वारा स्थानीय प्रशासन को स्पष्ट आदेश है कि विदेशी पर्यटक अधिनियम-1946 का उल्लंघन होने पर कड़ी कार्रवाई की जाए। इस अधिनियम के अनुसार, पर्यटक वीसा पर आने वाला प्रत्येक विदेशी किसी भी प्रकार के मत प्रचार कार्यों में भाग नहीं ले सकता तथा मंचों से पांथिक सभाओं में उपदेश नहीं दे सकता। लेकिन इमेनुएल संस्थान के “दीक्षान्त” समारोह में खुले आम विदेशी ईसाई पर्यटकों ने पंथोपदेश कर विदेश पर्यटक कानून की धज्जियां उड़ा दीं।दूसरे इन विदेश सैलानियों को अपने “दीक्षान्त” समारोह में आमंत्रित कर न केवल उनसे करोड़ों रुपए लिए जाते हैं वरन् उनसे जुड़ी अन्य विदेशी संस्थाओं को भी आर्थिक सहयोग देने हेतु प्रेरित किया जाता है। इमेनुएल मिशन द्वारा आय का ब्यौरा प्रशासन को सौंपे जाने पर संस्थान को विदेशों से मिलने वाली भारी भरकम आर्थिक सहायता का पता चलता है। सन् 2002 में जहां संस्थान को 44 करोड़, 60 लाख, 5 हजार, 7 सौ 84 रुपए मिले वहीं सन् 2003 की 31 मार्च तक संस्थान को 40 करोड़, 71 लाख, 9 हजार 5 सौ 92 रुपए की सहायता प्राप्त हुई। विगत वर्ष 2004 की 31 मार्च को अंतिम हिसाब किताब तक संस्थान 66 करोड़ 26 लाख रुपए सहायता प्राप्त कर चुका था। सहायता देने वाली संस्थाओं व व्यक्तियों में पचास प्रतिशत से ज्यादा अमरीकी हैं। भारत में चेन्नै व सिकन्दराबाद के “इन्टरमिशन”, इण्डिया मिशन व “आपरेशन मोबालाइजेशन आफ इण्डिया” नामक संस्थाओं से भी संस्थान को नियमित सहायता प्राप्त होती है।विश्व हिन्दू परिषद् ने इमेनुएल मिशन को मिलने वाली विदेशी सहायता की जांच की मांग करते हुए कहा है विदेशों से अवैध रूप से प्राप्त धन का प्रयोग संस्थान हिन्दुओं के मतान्तरण पर कर रहा है। मतान्तरण के अतिरिक्त इमेनुएल मिशन पर गरीब हिन्दुओं की जमीन हड़पने का भी आरोप है। उदयपुर जिले की झाड़ोल तहसील के पीपलवाड़ा ग्राम निवासी हुरमालाल ने डा. सेमुअल थामस पर आरोप लगाया है कि उन्होंने गांव में अस्पताल व अनाथाश्रम खोलने के नाम पर 11 फरवरी, 2002 को मुझसे जमीन ले ली, सादे “स्टाम्प पेपर” पर हस्ताक्षर कराये और आज तक एक भी पैसा नहीं दिया, और न मुझे अपनी जमीन का इस्तेमाल ही करने दे रहे हैं। हुरमा लाल ने बिशप पर पड़ोस के टिंडोल ग्राम में भी लोभ-लालच देकर मतान्तरण करने का आरोप लगाया।पद्मभूषण से सम्मानित पादरी थामस के कारनामे और भी हैं। प्रशासन की रपट के अनुसार फादर थामस पर अलग-अलग मामलों में नौ केस पहले से ही चल रहे हैं। इनमें धोखाधड़ी, जमीन पर अवैध कब्जे, वन्य प्राणी सुरक्षा के उल्लंघन सहित बच्चों को अपहृत कर जबरदस्ती अनाथालय में रखने के मामले भी शामिल है। इन प्रकरणों में डा. थामस की पुलिस द्वारा गिरफ्तारी भी की जा चुकी है। विश्व हिन्दू परिषद्, बजरंग दल और हिन्दू जागरण मंच ने सैन्य क्षेत्र में स्थित इमेनुएल मिशन के कार्यालय पर भी घोर आपत्ति व्यक्त की है और कहा है कि नियमानुसार सैन्य क्षेत्र से ऐसे कार्यालय हटा दिए जाने चाहिए।इन सब विवादों के बावजूद विगत् 27 फरवरी तक इमेनुएल संस्थान में आयोजित “दीक्षान्त” कार्यक्रम कड़ी पुलिस सुरक्षा और हिन्दू संगठनों के विरोध प्रदर्शनों के बीच चलता रहा। यहीं नहीं तो इमेनुएल मिशन सोसायटी की ओर से राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मानवाधिकार आयोग को भी ज्ञापन भेजकर अल्पसंख्यकों पर किए जा रहे हमलों के जिम्मेदार लोगों को प्रतिबंधित करने की मांग की गयी है। कोटा वासियों की शान्त जिन्दगी में अशांति का कारण बन गए इमेनुएल मिशन के इस रवैये ने जता दिया है कि वह सम्पूर्ण घटना के संदर्भ में आत्मविश्लेषण करने के बजाय, निकट भविष्य में भी इसका पुनरावर्तन करने से बाज नहीं आएगी। वस्तुत: वेटिकन से लेकर दिल्ली तक जिनके तार सत्ता के साथ गहराई से जुड़े हैं, भला वह इतनी जल्दी हार मानेंगे भी तो क्यों?प्रतिनिधिNEWS
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