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वाजपेयी के घर …और आडवाणी से भेंटजनरल परवेज मुशर्रफ के बारे में आलोचक चाहे जितनी बातें कहें, लेकिन दिल्ली में उनका व्यवहार विरोधियों को भी अपना बनाने वाला था। वे चाहते तो अटल जी को फोन कर सकते थे। उनके हाल- चाल पूछ सकते थे। और उतने भर से भी उनके बारे में अच्छी खबरें बनतीं। लेकिन वह उनसे मिलने राजकीय शिष्टाचार से परे हटकर घर गए और आशाभरी बातें कीं। आडवाणी जी भी जब उनसे मिले तो जनरल खाली हाथ नहीं थे। हालांकि वे अच्छी तरह जानते थे कि ये वही आडवाणी हैं जिनके बारे में अब तक वे कटु और निन्दक बयान देते आ रहे थे। इस्लामाबाद से लेकर लाहौर तक जनरल परवेज मुशर्रफ ने आडवाणी जी के बारे में कहा था कि ये वही व्यक्ति हैं जिन्होंने आगरा वार्ता को असफल किया वरना सब कुछ तो ठीक-ठाक ही चल रहा था। पर अब इस बार परवेज मुशर्रफ ने इस बात की बेहद सावधानी बरती कि उनसे ऐसी एक भी बात न निकली जो आडवाणी जी को आहत करने वाली हो। वह अपने साथ आडवाणी जी के कराची वाले स्कूल की एलबम भी लेकर आए थे और इस एलबम में था 1936 में कक्षा तीन में प्रवेश का पंजीकरण विवरण, तत्कालीन प्रधानाचार्य और उस समय की इमारत के छायाचित्र। जनरल मुशर्रफ भी इसी सेंट पैट्रिक स्कूल में पढ़े हैं। जब बातें चलीं तो परवेज मुशर्रफ ने पूछा कि आपको अपने स्कूल की कुछ रोचक बातें याद हैं? आडवाणी जी ने कहा कि उन्हें तो इतना याद है कि कराची में बादल बहुत आ भी जाएं भी बरसात बहुत कम होती थी। और इसलिए जब कभी थोड़ी बहुत भी बरसात हुई तो झट से स्कूल में रेनी डे की छुट्टी हो जाती थी। हल्की बरसात में छुट्टी के बावजूद वे शौक से स्कूल में नोटिस बोर्ड पर यह देखने के लिए जाते थे- “बरसात की वजह से आज स्कूल बंद रहेगा”। यह सुनकर परवेज मुशर्रफ भी हंसे। जब आडवाणी जी ने पूछा कि आपको भी अपने स्कूल की कुछ याद है तो जनरल मुशर्रफ ने कहा कि उन्हें तो इतना याद है कि एक बार शरारत से उन्होंने किसी दूसरे बच्चे पर चाक फेंकी थी तो उन्हें हाथ पर 6 छड़ियां पड़ी थीं। ऐसे हल्के-फुल्के माहौल में जब बातचीत हो तो मौसम खुशगवार क्यों नहीं होगा! आडवाणी जी ने कहा कि उन्हें इस बात का अहसास है कि भारत और पाकिस्तान के बीच सम्बंध मजबूत करने की जिम्मेदारी भाजपा पर बड़ी है, क्योंकि जो कदम वह उठा सकती है बाकी पार्टियां नहीं। उन्होंने जनरल मुशर्रफ से कहा कि 1990 में पाकिस्तान में सर बेरिंग्टन ब्रिटेन के उच्चायुक्त थे। वे दिल्ली में आडवाणी जी से खासतौर पर मिलने आए। तब तक लोकसभा में भाजपा की संख्या 2 से 86 पहुंच चुकी थी। सर बेरिंग्टन ने कहा कि उन्हें इस बात का पक्का विश्वास है कि जब भाजपा सत्ता में आएगी उसी समय पाकिस्तान के साथ सम्बंध सुधरने शुरू होंगे। यह सुनकर जनरल भी मुस्कुराए और कहा कि बिल्कुल ठीक कहा था उन्होंने, सम्बंधों में बदलाव की शुरुआत आपके वक्त ही हुई थी।NEWS
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