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आकाश छू लेते मगर…-अशोक “अंजुम”करे कोशिश अगर इंसान तो क्या-क्या नहीं मिलतावह उठकर चलके तो देखे जिसे रस्ता नहीं मिलता।भले ही धूप हो, कांटे हों पर चलना ही पड़ता हैकिसी प्यासे को घर बैठे कभी दरिया नहीं मिलता।कमी कुछ चाल में होगी, कमी होगी इरादों मेंजो कहते कामयाबी का हमें नक्शा नहीं मिलता!हम अपने आप पर यारों भरोसा करके तो देखेंकभी भी गिड़गिड़ाने से कोई रूतबा नहीं मिलता!कहें क्या ऐसे लोगों से जो कहकर लड़खड़ाते हैंकि हम आकाश छू लेते मगर मौका नहीं मिलता!NEWS
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