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दर्द बांटा, स्नेह से सींचा-प्रतिनिधिमाता अमृतानन्दमयीश्रीलंका में सुनामी कहर से पीड़ित लाखों लोगों की सेवा के लिए जहां अनेक हिन्दू और बौद्ध संगठन आए, वहीं करुणा की प्रतिमूर्ति मां अमृतानन्दमयी ने भी पीड़ितों के मध्य पहंुचकर उनकी आंखों के आंसू पोंछे। हिन्दू सेवा संगम, श्रीलंका द्वारा लगाए गए राहत शिविरों का अम्मा ने 16 से 19 फरवरी तक दौरा किया और हजारों पीड़ितों को अपने आश्रम की तरफ से वस्त्र वितरित किए। उन्होंने एक-एक पीड़ित का दर्द सुना, दु:ख की घड़ी में उनका हाथ थामा और भाव-विह्वल होकर सभी से उनकी तात्कालिक जरूरतें पूछीं तथा अपने मठ की ओर से हर सम्भव सहायता करने का आश्वासन दिया। अम्मा के श्रीलंका दौरे के समय जहां श्रीलंका सरकार के प्रतिनिधि उनके साथ थे वहीं उनसे मिलने के लिए प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन “लिट्टे” के कुछ प्रमुख नेता भी आए, उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। पिछले 20 वर्षों से लगातार गृह-युद्ध की आग में झुलस रहे श्रीलंका के इतिहास में यह पहला अवसर था जब किसी भारतीय आध्यात्मिक शक्ति से श्रीलंका में संघर्षरत समूहों ने समान रूप से आशीर्वाद प्राप्त किया। माता अमृतानन्दमयी ने अपने भक्तों द्वारा दी गयी निधि से श्रीलंका के सुनामी पीड़ितों के लिए तीन सौ घर बनवाने और तीन करोड़ रुपए की सहायता देने की घोषणा भी की।श्रीलंका में अम्मा के अवतरण को लोग श्रीलंका में संघर्षरत तमिल और सरकारी पक्ष के बीच शांति की देवी के रूप में देख रहे हैं। विश्लेषकों का मानना है कि अम्मा के श्रीलंका दौरे ने भारत-श्रीलंका के साथ-साथ लिट्टे और श्रीलंका सरकार के बीच सम्बंधों का भी नया अध्याय प्रारम्भ किया है। वापसी में 19 फरवरी को तिरुअन्तपुरम में अम्मा ने केरल के कोल्लम जिले में सुनामी पीड़ितों के पुनर्वास का कार्य अपने हाथों में लेने की भी घोषणा की।NEWS
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