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बिहार
लालू प्रसाद यादव
बिहार में सेकुलर
घमासान
गली की गन्दी भाषा में लालू पासवान से भिड़े
लालू का अहंकार टूटे तो बिहार बचने की आशा
रामविलास पासवान
बिहार में सेकुलर घमासान मचा हुआ है। कभी दोस्त रहे दो सेकुलर नेता लालू यादव और राम-विलास पासवान एक-दूसरे के ऊपर कीचड़ उछाल रहे हैं। लालू ने पहले पासवान को “गुण्डों का सरदार” कहा और उन पर रेल मंत्री रहते हुए आठ अरब रुपए का घोटाला करने का आरोप लगाया। एक साक्षात्कार में लालू ने पासवान पर निशाना साधते हुए कहा, “आने वाले चुनाव में इन खटमलों को अपनी औकात पता चल जाएगी।” दूसरी ओर रामविलास पासवान ने लालू को “चारा चोर” और “बिहार को विनाश के दरवाजे पर ले जाने वाला” बताया। इन दो केन्द्रीय मंत्रियों के बीच मचे घमासान को लेकर कांग्रेस के तमाम नेता धृतराष्ट्र बने हुए हैं। पिछले दिनों जब बिहार कांग्रेस की पटना में जब बैठक हुई तो लालू द्वारा कांग्रेस को 30 सीट दिए जाने के शर्मनाक प्रस्ताव से चिढ़े कांग्रेसियों ने खुलकर “लालू यादव मुर्दाबाद” के नारे लगाए। यह सब वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और बिहार के प्रभारी सत्यव्रत चतुर्वेदी के सामने हुआ। बिहार के कांग्रेसी नेता पूछ रहे हैं कि सेकुलरवाद के नाम पर लालू की जूतियां कब तक खाते रहेंगे? इस महौल में कांग्रेस अपनी दुर्दशा का नजारा देख रही है। अगर पासवान और नीतीश का गठजोड़ हो जाए तो भले ही जार्ज को झटका लगे लेकिन लालू का अहंकार टूट सकता है। उधर पटना में भाजपा की रैली ने एक नए उत्साह का संचार किया है। इस स्थिति में लालू और पासवान के बीच सुलह की संभावना नहीं दिखती है। शायद यही कारण है कि जद (ए.) नेता नीतिश कुमार ने रामविलास के प्रति नरम रवैया अपनाते हुए उन्हें राजग के साथ आने का न्योता दिया है। पर पासवान ने भाजपा से नाता तोड़ने की स्थिति में ही नीतिश के साथ होने की बात कही है। इसलिए भाजपा नेता भी पासवान को लेकर दुविधा में हैं। उधर बिहार की जनता लालू के जंगलराज से मुक्ति चाहती है। इसके संकेत लोजपा और भाजपा की रैलियों में मिल चुके हैं। अलग-अलग हुई इन रैलियों में सरकारी बाधाओं के बावजूद लाखों लोगों ने भाग लेकर लालू-राबड़ी को उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया है। लोगों की यही कामना है लालू विरोधी सभी नेता एकजुट होकर आने वाले विधानसभा चुनाव लड़ें ताकि गत 15 वर्षों से चले आ रहे आतंक राज का सफाया हो सके।
प्रतिनिधि
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