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पहले शीला जी कहती थींदिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दो,अब केन्द्र में कांग्रेस सरकार आई तो मुकर गईंदिल्ली सरकार के तानाशाहीपूर्ण रवैये तथा जनता के हितों की अनदेखी के विरुद्ध भारतीय जनता पार्टी लगातार आंदोलन छेड़े हुए है। दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डा. हर्षवर्धन ने गत 20 जुलाई को दिल्ली सरकार के विरुद्ध एक आरोपपत्र जारी किया था, जिसमें बिजली, पानी, सफाई, चिकित्सालय, शिक्षा, परिवहन, नई आबकारी नीति तथा बूचड़खाने सहित जनहित से जुड़े अनेक मुद्दों पर श्रीमती शीला दीक्षित सरकार की नाकामी उजागर करते हुए जवाब मांगा गया था। परन्तु इन आरोपों का कोई उत्तर तो मिला नहीं, बल्कि आरोपपत्र देने जा रहे भाजपा विधायकों, पार्टी के पदाधिकारियों तथा कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने पानी की तेज बौछारें डालकर उन्हें घायल कर दिया। गत 19 अगस्त को डा. हर्षवर्धन ने दिल्ली नगर निगम के विरुद्ध भी एक विस्तृत आरोपपत्र जारी किया। इसमें दिल्ली नगर निगम के कार्यालय को भ्रष्टाचार का मुख्यालय” बताया गया है। “आरोपपत्रों और दिल्ली सरकार के जनविरोधी फैसलों पर डा. हर्षवर्धन द्वारा व्यक्त विचारों के मुख्य अंश प्रस्तुत हैं।प्रस्तुति: जितेन्द्र तिवारीमुख्यमंत्री शीला दीक्षितश्रीमती शीला दीक्षित की सरकार पूरी तरह से निरंकुश हो गयी है। उसने जनता को पूरी तरह भुला दिया है। दिल्लीवासियों की सबसे बड़ी परेशानी इन दिनों बिजली और पानी को लेकर है। पिछले डेढ़-दो वर्षों में अलग-अलग श्रेणियों में बिजली के दाम 16 से 30 प्रतिशत तक बढ़ाए गए लेकिन आज भी अनेक क्षेत्रों में लोगों को 8 से लेकर 16-16 घण्टे तक बिजली नहीं मिल रही है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सी.ए.जी.) की रपट ने कहा है कि बिजली के निजीकरण में दिल्ली सरकार को कई हजार करोड़ रुपए का घाटा हुआ है।प्रयोगशाला में जांच के बाद यह घोषित किया गया था कि दिल्ली का जल पीने योग्य नहीं है। दिल्ली के सबसे बड़े जल संयंत्र, सोनिया विहार में भी जांच के दौरान क्षयरोग के विषाणु पाए गए। दिल्ली सरकार पिछले दरवाजे से पानी का भी निजीकरण करने का प्रयास कर रही है। इसी क्रम में उसने विश्व की सबसे बदनाम फ्रांस की कम्पनी डेग्रीमोन्ट को सोनिया विहार में जल शोधन का काम 10 वर्ष के लिए दे दिया है।परिवहन के क्षेत्र में भी एक तरफ मेट्रो रेल का किराया बढ़ाया गया तो दूसरी तरफ बसोंे के भी भाड़े बढ़ाने की बात चल रही है। नई नीति के कारण दिल्लीवासियों को 20-30 गुना अधिक सम्पत्ति कर देना पड़ रहा है। लोकसभा चुनाव से पूर्व सम्पत्ति कर को लेकर दिल्ली सरकार ने जितने वायदे किए थे, वह सब भुला दिए।जब तक केन्द्र में भाजपानीत सरकार रही तब तक श्रीमती शीला दीक्षित दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग करती रहीं। 50 वर्ष में पहली बार श्री लालकृष्ण आडवाणी ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने सम्बंधी प्रस्ताव बनाया, संसद में लाए, तब इन्होंने उसमें कमियां निकालीं और आज जब केन्द्र में भी उनकी सरकार है तो वे कह रही हैं कि दिल्ली को तो पूर्ण राज्य का दर्जा दिया ही नहीं जा सकता। विधानसभा में उन्होंने कह दिया कि दिल्ली में अति विशिष्ट लोगों की सुरक्षा का भार नहीं उठा सकतीं। पिछली केन्द्र सरकार ने दो-दो बार अवैध कालोनियों को नियमित किया, तब ये लोग राजनीति करते रहे और उसे लागू नहीं होने दिया। अब तो प्रदेश और केन्द्र में इन्हीं की सरकार है, क्यों नहीं इन्हें नियमित करते हैं? इधर दिल्ली नगर निगम निवासियों को लूट रहा है। निगम के कर्मचारी तो भ्रष्टाचार में डूबे ही थे, कांग्रेसी पार्षद भी रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े गए हैं। गाजीपुर में बन रहा बूचड़खाना भी दिल्ली सरकार की निरंकुश नीतियों का ही परिणाम है। लोकसभा चुनाव में पूर्वी दिल्ली से कांग्रेस के प्रत्याशी श्री संदीप दीक्षित और उनकी माता जी मुख्यमंत्री श्रीमती शीला दीक्षित ने स्वयं कहा था कि वे यहां बूचड़खाना नही बनने देंगे। पर चुनाव जीतने के बाद वे वादे से पीछे हट गए।आरोपपत्र की कहानीन बिजली, न पानीबिजलीदिल्ली की बिजली व्यवस्था तीन निजी कम्पनियों को सौंपी गई, हस्तांतरण में 7000 करोड़ रुपए से अधिक का भ्रष्टाचार।निजीकरण के बाद लोगों के घरों में तेज चलने वाले मीटर लगा दिए गए, बिजली सस्ती नहीं हुई बल्कि 16 प्रतिशत से अधिक महंगी हुई।पानीदिल्ली की 90 प्रतिशत आबादी को उसकी जरूरत के अनुरूप पानी नहीं मिल रहा।पानी इतना प्रदूषित है कि लोग इसे पीकर अनेक प्रकार की बीमारियों के शिकार हुए।सोनिया विहार जल संयंत्र अभी तक चालू नहीं हुआ।दिल्ली में जल की कीमतों में भी भारी वृद्धि की योजनाजलापूर्ति व्यवस्था का भी निजीकरण करने की योजना बनीसंक्रामक रोगदूषित पानी से अब तक दिल्ली में 5 हजार से अधिक लोग हैजा, आंत्रशोथ, पीलिया, अपच, गैस आदि के शिकारशिक्षाशिक्षा व्यवस्था का राजनीतिकरण हुआ। मध्य सत्र के दौरान पुस्तकें बदलने से बच्चों पर मानसिक बोझ और अभिभावकों पर भारी आर्थिक बोझदिल्ली के विद्यालयों में कांग्रेस के साढ़े पांच वर्ष के शासन के बाद भी 10 हजार से अधिक शिक्षकों के स्थान खालीपरिवहनसार्वजनिक परिवहन महंगा हुआ। ईंधन पर नये कर लगाने से किराया और बढ़ेगा।पार्किंगदिल्ली की नयी पार्किंग नीति ने यहां के 40 लाख वाहन चालकों की नींद उड़ा दी।सम्पत्ति करलोगों को 15 से 20 गुना तक सम्पत्ति कर चुकता करने के लिए बाध्य किया गया, सम्पत्ति कर निर्धारण करने के लिए नागरिकों को वास्तुविदों का सहारा लेना पड़ा।उद्योगजन-विरोधी नीतियों के कारण दिल्ली से उद्योगों का पलायन। लाखों उद्यमी अन्य राज्यों में गये, दिल्ली को करोड़ों रुपए की आर्थिक हानि।प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर उद्योगों का भविष्य चौपट।वाहन मिस्त्रीदिल्ली के आटो मैकेनिक, स्पयेर पाटर््स डीलर्स, आटो डीलर्स के यहां दिल्ली नगर निगम के लोग जबरिया तालाबंदी, अदालत में इनका पक्ष जोरदार ढंग से सरकार नहीं रख रही।नयी आबकारी नीति8 करोड़ रुपए के राजस्व के नाम पर नयी आबकारी नीति से दिल्ली की संस्कृति नष्ट होगी। दिल्ली नगर निगम मेंआर्थिक भ्रष्टाचारदिल्ली नगर निगम बना भ्रष्टाचार का मुख्यालय।पार्किंग घोटाला, ट्रक खरीद घोटाला, मलेरिया घोटाला, टोल टैक्स घोटाला, सामुदायिक शौचालय घोटाला, विज्ञापन घोटाला।निगम के खिलाफ कुल 295 मामले दिल्लीवासियों ने दर्ज कराये।भ्रष्ट पार्षदफर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर दलित बनकर चुनाव लड़ने और चुनाव जीतकर पार्षद बनने वाली कांग्रेसी निगम पार्षद सुनीता भारती की सदस्यता न्यायालय ने गत 17 अगस्त को रद्द की।एक और कांग्रेसी निगम पार्षद कान्ता रानी पार्षद बनने के बाद भी निगम कोष से वेतन लेती रहीं।पूर्वी दिल्ली के कांग्रेसी निगम पार्षद को शराब के नशे में धुत होकर एक महिला के साथ अश्लील हरकतें करते हुए उनकी गाड़ी में ही पकड़ा गया।कांग्रेस के ही निगम पार्षदों हीरेन टोकस, खजान सिंह और अभी हाल में स्थायी समिति के उपाध्यक्ष अशोक जैन को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया।निगम की शिक्षादिल्ली नगर निगम के विद्यालयों में लगभग 1500 शिक्षक अनुबंध के आधार पर। निगम के 60 प्रतिशत अध्यापकों को गत तीन मास से वेतन नहीं।बूचड़खानाजनता के भारी विरोध के बावजूद दिल्ली नगर निगम पूर्वी दिल्ली के गाजीपुर क्षेत्र में अत्याधुनिक बूचड़खाना का निर्माण करने जा रहा है।ईदगाह स्थित पुराने बूचड़खाने को हटाने के उच्च न्यायालय के फैसले के बाद हड़बड़ी में निगम ने यह कदम उठाया।यह पशुवधशाला राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में किसी निर्जन स्थान पर स्थापित की जाए।15
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