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-तृप्ति विजय तिवारीकलि: शयानो भवति संजिहानस्तु द्वापर:।उत्तिष्ठंस्त्रेता भवति कृतं संपद्यते चरन्।।चरैवेति। चरैवेति।।ऐतरेय ब्राह्मण के इस श्लोक का अर्थ है- जो सो रहा है वह कलि है, निद्रा से उठ बैठने वाला द्वापर है, उठकर खड़ा हो जाने वाला त्रेता है लेकिन जो
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