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लोकसभा चुनावों में जीत के लिए कमर कसेंगे
गत दिनों दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में काफी परिवर्तन हुए। विधानसभा चुनावों में पार्टी की करारी हार के बाद भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने दिल्ली प्रदेश भाजपा की कमान युवा व मृदुभाषी नेता डा. हर्षवद्र्धन को सौंपी। डा. हर्षवद्र्धन इससे पूर्व दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य, शिक्षा एवं विधि मंत्री का दायित्व निभा चुके हैं और अभी तक वे भाजपा के अखिल भारतीय उपाध्यक्ष थे। चुनावों में हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर उनके सामने क्या चुनौतियां हैं, उनसे निबटने के लिए वे क्या योजनाएं बनाने वाले हैं, कुछ ऐसे ही प्रश्ननों को लेकर पाञ्चजन्य ने उनसे बातचीत की। यहां प्रस्तुत हैं, उस बातचीत के संपादित अंश। दरवि शंकर
थ्आपको प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व दिया गया है। एक प्रकार से दूसरी पीढ़ी आगे आई है। आप कैसा अनुभव कर रहे हैं?
दृ खुराना जी ने प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और कहा कि वे कुछ दिनों तक सक्रिय राजनीति से दूर रहना चाहते हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री वेंकैया नायडू ने मुझे यह जिम्मेदारी संभालने के लिए कहा। मैंने संगठन के आदेश को स्वीकार करते हुए इस दायित्व स्वीकार किया। मुझे नहीं लगता कि इसमें पहली-दूसरी पीढ़ी की कोई बात है।
थ् मदनलाल खुराना दिल्ली की राजनीति में पिछले 40 वर्ष से सक्रिय रहे हैं। उनके जैसे कद्दावर नेता के सक्रिय राजनीति से दूर हो जाने से भाजपा को क्या कोई नुकसान होगा? इस कमी को कैसे दूर करेंगे?
दृ इसमें कोई शक नहीं है कि संगठन का इतना पुराना कोई जमीनी कार्यकत्र्ता सक्रिय राजनीति से अलग होता है तो हमारा एक महत्वपूर्ण हाथ कम होता है। संगठन को कुछ हानि अवश्य होती है। उस कमी को पूरा कर पाना कठिन होगा। लेकिन हमारी कार्यपद्धति और चिंतन व्यक्ति पर आधारित नहीं है। हमारा संगठन व्यक्ति पर आधारित नहीं है। संगठन के कार्यकत्र्ताओं की सामूहिक शक्ति पर यह कार्य चल रहा है।
थ् आपको ऐसे समय में पार्टी का दायित्व सौंपा गया है जब वह दिल्ली में विधानसभा चुनाव हार चुकी है। इन परिस्थितियों में आपकी प्राथमिकताएं क्या हैं?
दृ मुझे चुनौती पसंद है। जिस काम में कोई चुनौती न हो, उसे करने में आनन्द नहीं है। पार्टी की दृष्टि से ये चुनाव काफी महत्वपूर्ण थे, क्योंकि इसके बाद 2004 में आम चुनाव होने हैं। इस चुनाव में कुल मिलाकर भाजपा को काफी सफलता मिली है। पांच में से तीन राज्यों में हमारी और एक में राजग समर्थक गठबंधन की सरकार बनी है। दिल्ली में भी भाजपा पिछले चुनावों की तुलना में बढ़ी ही है। कांग्रेस की सीटें घटी हैं। इन चुनावों से यह स्पष्ट हुआ है कि देश की जनता 2004 में भी श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व को स्वीकारने का मन बना चुकी है। ऐसे समय में दिल्ली में अपनी सरकार न बनने से कार्यकत्र्ता थोड़े निराश और हतोत्साहित हो सकते हैं। वैसे हमारा कार्यकर्ता निराश नहीं होता। 1998 में भी हमारी सरकार नहीं बनी थी लेकिन छह महीने बाद ही 1999 में हमारे कार्यकर्ताओं ने लोकसभा चुनावों में परिणामों को बदलकर दिखाया था। हमने सातों सीटें जीतीं थीं। इसलिए मेरी प्राथमिकता कार्यकत्र्ताओं से मिलकर उनका उत्साह बढ़ाना, उनका मनोबल बढ़ाना और 1999 के इतिहास को 2004 में दोहराने के लिए उन्हें तैयार करना है। इसके लिए योजनाबद्ध तरीके से मंडल स्तर तक जाने का कार्यक्रम बनाया है। सभी से व्यक्तिगत रूप से मिलकर, उनसे चर्चा करके मैं एक ऐसा वातावरण बनाना चाहता हूं जिसमें सभी 2004 के चुनाव हेतु कमर कसकर लग जाएं। संगठन की व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने के लिए जो-जो करने की आवश्यकता है, वह सब हम करेंगे।
थ् 2004 के चुनावों पर ही आपका इतना जोर क्यों है?
दृ मैं 2004 के चुनावों को इसलिए अधिक महत्वपूर्ण मानता हूं क्योंकि नास्ट्रेदमस की भविष्यवाणी है कि भारत इक्कीसवीं शताब्दी में वि·श्वगुरु के स्थान पर प्रतिष्ठित होगा। यह काम पहले दशक में प्रारंभ होगा और 2011 तक पूरा होगा। आज भाजपा का विरोधी भी यदि निष्पक्षरूप से विचार करेगा तो वह भी यही कहेगा कि अटल जी जैसे महानायक का नेतृत्व ही देश को वि·श्वगुरु के पद पर प्रतिष्ठित कर सकता है। 2004 के चुनाव यह निश्चित करेंगे कि अगले पांच वर्ष तक केन्द्र में कौन रहेगा। इसलिए ये चुनाव भारत के लिए और भाजपा के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।
थ् कहा जा रहा है कि दिल्ली में भाजपा आपसी गुटबाजी के कारण हारी। इसके लिए आप क्या करने वाले हैं?
दृ मुझे ऐसा नहीं लगता कि भाजपा में बहुत गुटबाजी है। भाजपा का कार्यकत्र्ता अत्यंत ईमानदार, समर्पित, कर्तव्यनिष्ठ और अपनी जेब से पैसे लगाकर भाजपा और देश के लिए कार्य करने वाला व्यक्ति है। अधिकांश कार्यकत्र्ताओं को अपने लिए कुछ नहीं चाहिए। वे समाज और राष्ट्र के हित में हर काम करते हैं। जहां ऐसे कार्यकत्र्ता हों वहां कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। यदि कुछ कार्यकत्र्ताओं में ऐसी सोच नहीं भी है तो हम उससे मिल-जुलकर, अपने व्यवहार से उसे ठीक करेंगे। यह सुनिश्चित करेंगे कि दिल्ली भाजपा एक परिवार के रूप में कार्य करे।
थ् आप अपनी टीम कब तक घोषित करने वाले हैं? क्या आपकी टीम में आपकी भांति ही युवा और दूसरी पीढ़ी के कार्यकर्ता होंगे?
दृ मैं अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष और राष्ट्रीय नेताओं से चर्चा करके ही टीम की घोषणा करूंगा लेकिन टीम बनाने का मापदंड केवल योग्यता, कर्मठता और समय देने की तैयारी होगी। ऐसा कोई सामान्य नियम नहीं है कि किस आयु-वर्ग के लोगों को लिया जाएगा। सब प्रकार के लोग होंगे। अधिक आयु वाले लोगों के अनुभव का लाभ लिया जाएगा और कम आयु के लोगों की ऊर्जा का।
थ् योग्यता से आपका क्या अभिप्राय है?
दृ योग्यता से मेरा मतलब संगठन कुशलता है। हालांकि इसका कोई मापदंड नहीं है लेकिन जिन्होंने पहले संगठन कौशल दिखाया है, काम किया है, ऐसे योग्य लोगों को ही प्राथमिकता दी जाएगी।
थ् योग्यता है, संगठन कौशल भी है लेकिन यदि वे विवादित हैं तो उनका क्या करेंगे?
दृ यदि कोई विवाद सामने आएगा तो पार्टी नेतृत्व से परामर्श किया जाएगा। मुझे विश्वास है कि जो भी निर्णय लिया जाएगा, उस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी। मूल बात केवल इतनी है कि योग्य लोग आगे आएं।
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