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राजनगर में बंगलादेशी!उड़ीसा का धामरा से पाराद्वीप तक का करीब 87 किलोमीटर का विस्तृत क्षेत्र बंगलादेशी घुसपैठियों की शरणस्थली बन गया है। राजनगर विधानसभा क्षेत्र की 44 पंचायतें लगभग इनके कब्जे में हैं।सर्वोच्च न्यायालय का आदेश है कि किसी भी अभ्यारण्य की सीमा से एक किलोमीटर की परिधि में आबादी क्षेत्र नहीं होना चाहिए।। लेकिन बंगलादेशी घुसपैठिए इसका खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं। राज्य के कनिका अभ्यारण्य के निकट बंगलादेशी मुस्लिमों के 43 नए गांव बस गए हैं। हेन्ताल वन क्षेत्र में घुसपैठियों ने सैकड़ों एकड़ जंगल काटकर स्थायी निवास बना लिया है, जिससे इसके अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है। ये जंगलों में अवैध शिकार करते हैं तथा समुद्र तट से मछली पकड़कर बंगलादेश एवं म्यांमार भेजते हैं। साथ ही साथ चोरी-छुपे मादक एवं नशीले पदार्थों की तस्करी में संलिप्त हैं।यहां तक कि बंगलादेशी मुस्लिम घुसपैठियों ने राजस्व अधिकारियों को रिश्वत देकर जमीन के पट्टे भी हासिल कर लिए हैं। कई परिवारों ने राशन कार्ड, गरीबी की रेखा से नीचे होने के दस्तावेज समेत अनेक प्रकार की सरकारी सुविधाएं भी प्राप्त कर ली हैं। फरवरी, 2002 में तत्कालीन चुनाव अधिकारी ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर मतदाता सूची से फर्जी नाम हटाने का आग्रह किया था। पर कई परिवार तो इंदिरा आवास योजना के अन्तर्गत मकान तक पाने में सफल हो गए है।अफगानिस्तान पर तालिबानी परछांईअल कायदा और तालिबान की समाप्ति के लिए पाकिस्तान जहां करोड़ों डालर प्राप्त कर चुका है वहीं दिखावे के लिए वह आतंकवाद विरोधी अभियान में सक्रिय भी नजर आ रहा है। लेकिन तीन वर्ष पूरे हो जाने के बावजूद न केवल अल कायदा और तालिबान के लोग अब भी मौजूद हैं बल्कि वह अपने विरोधियों के खिलाफ बड़े-बड़े दावे भी कर रहे हैं। हाल ही में अल कायदा नेता अल जवाहिरी ने कहा है कि अगर इराक और अफगानिस्तान से अमरीकी फौज नहीं हटाई गईं तो उसे वहीं दफन होना पड़ेगा। अल जवाहिरी का यह वक्तव्य अल जजीरा टीवी चैनल ने प्रसारित किया है। जबकि तालिबान के इरादे मुल्ला दादुल्ला अखन्द, जो 10 संगठन सदस्यीय तालिबान परिषद के सदस्य है, ने व्यक्त किये हैं।करजई के पिछले पाकिस्तान भ्रमण के दौरान ही अमरीकी अधिकारियों के हवाले से न्यूयार्क टाइम्स में एक दु:खद रपट यह प्रकाशित हुई थी कि पाकिस्तान में तालिबान के आतंकवादियों का प्रशिक्षण अब भी जारी है। पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों में ये प्रशिक्षण शिविर धड़ल्ले से चल रहे हैं और जिनकी आतंकवाद बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका है।पाकिस्तानी अधिकारियों ने अमरीकी अधिकारियों को यह कहकर सन्तुष्ट करने का प्रयास किया है कि अफगानिस्तान के सम्बन्ध में वह सब कुछ कर सकते हैं सिवाय इसके कि वह अपनी सीमाएं सील कर दे। अफगानिस्तान में जब तालिबान की सरकार थी तब भी अफगानिस्तान और पाकिस्तान के सम्बन्ध अच्छे थे और अब देश में तालिबान विरोधी सरकार होने पर भी सम्बन्ध वैसे ही हैं।पाकिस्तान-अफगानिस्तान सम्बन्धों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि करजई सत्ता सम्भालने के बाद पाकिस्तान के चार दौरे कर चुके हैं। उपराष्ट्रपति हिदायत अमीन अरसलान और कई मंत्री, जिनमें अब्दुल्ला अब्दुल्ला, अशरफ गनी और अली अहमद जलाली शामिल हैं, पाकिस्तान आते-जाते रहे। हालांकि जिन उद्देश्यों को लेकर यह पाकिस्तान के राष्ट्रपति से मिलते रहे, वे अब भी पूरे नहीं हुए हैं और तालिबान के लोग अब भी परछांइयों की तरह मौजूद हैं।आगे के काम या पिछला अंजाम?मनमोहन सिंह सरकार में रेलमंत्री लालू यादव काम पर कम दुर्भावनापूर्ण राजनीतिक हथकंडों पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। श्री यादव ने कुर्सी पर बैठते ही गोधरा की नई जांच और “संभावित निष्कर्षों” के बारे में टेलीविजन चैनलों पर खूब बयान दिए थे। यही श्री यादव आजकल पूर्ववर्ती सरकार के कामकाजों की बारीकी से जांच कराए जाने के मुखर पक्षधर बने हैं। अलग-अलग नेताओं से मिलने पर वे उनके मंत्रालय के पहले के कामों की देखभाल करने की सलाह देते घूम रहे हैं। उन्होंने ही अपने पार्टी सहयोगी रघुवंश प्रसाद सिंह को कहला भेजा है कि ग्रामीण मंत्रालय में भी पिछली सरकार के कामों की जानकारी लो। मंत्रालय के अफसर परेशान हैं कि आगे का काम देखें या पिछले को उघाड़ते रहें। सरकार भविष्य की चिंता कब करेगी? योजनाएं क्रियान्वयन के इंतजार में लम्बित हैं।31
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