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भारतीय मीडिया की चुनौतियांपुस्तक का नाम – भूमण्डलीकरण और मीडियालेखिका – कुमुद शर्मापृष्ठ – 179मूल्य – 175प्रकाशक – ग्रंथ अकादमी, 1659 पुराना दरियागंज,नई दिल्ली – 110002आज जहां भूमण्डलीकरण को नए-नए अर्थों में, नए-नए स्वरूपों में गढ़कर व्याख्यायित किया जा रहा है, वहीं भूमण्डलीकरण से सम्बंधित कई प्रश्न और आशंकाएं हमें घेर रही हैं। विशेष रूप से मीडिया के भूमण्डलीकरण पर। हिन्दी मीडिया की सम्पूर्ण स्थिति भिन्न-भिन्न रूपों में, कई-कई स्तरों पर आज भूमण्डलीय मीडिया की चुनौतियों से टकरा रही है। विशेष रूप से इधर भूमण्डलीय इलेक्ट्रोनिक मीडिया के सर्वग्रासी अतिक्रमण पर बहस चल पड़ी है। भूमण्डलीकरण की आंधी के प्रभाव से हिन्दी प्रिन्ट मीडिया भी नहीं बचा है। भूमण्डलीकरण ने हिन्दी मीडिया के समूचे परिदृश्य को बदलकर रख दिया है। भारत में विदेशी प्रिन्ट मीडिया के प्रवेश को अनुमति दी जाए अथवा नहीं, यह मुद्दा भी गहरे वाद-विवाद का विषय बना हुआ है।भूमण्डलीय चरित्र वाले मीडिया के माध्यम से शक्तिशाली राष्ट्रों के आर्थिक और सांस्कृतिक वर्चस्व का अभियान शुरू हो गया है। इस स्थिति में भारत और भूमण्डलीय मीडिया के सन्दर्भ में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। जैसे- भारतीय समाज में भूमण्डलीय मीडिया विस्तार के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक दबाव क्या हैं? भारतीय समाज में भूमण्डलीय मीडिया के बुनियादी अंतर्विरोध क्या हैं? हम भूमण्डलीय मीडिया के आक्रमण का सामना कैसे कर सकते हैं? इन्हीं प्रश्नों से जुड़े पहलुओं को टटोलने और खोजने का प्रयास डा. कुमुद शर्मा की सद्य:प्रकाशित पुस्तक “भूमण्डलीकरण और मीडिया” में किया गया है। भारत में भूमण्डलीय मीडिया प्रणाली का आगमन अप्रत्याशित नहीं है, अपितु भारतीय परिप्रेक्ष्य में इसके पीछे भूमण्डलीकरण के वाहकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। पुस्तक में पहले इन्हीं पहलुओं को दृष्टि में रखकर भूमण्डलीकरण की अवधारणा तथा इसके विविध सन्दर्भों को विश्लेषित करते हुए भूमण्डलीकरण के चरित्र, उसकी प्रक्रिया तथा उसके अंतर्विरोधों पर प्रकाश डाला गया है। भूमण्डलीकरण की प्रक्रिया के कारण इलेक्ट्रानिक मीडिया और प्रिन्ट मीडिया में आए बदलावों के साथ मनोरंजन, शिक्षा और सूचना संसार आज किस मोड़ पर पहुंच गया है तथा हमारे सामने किस तरह की चुनौतियां आ रही हैं- इन सबको जानने के लिए यह पुस्तक काफी उपयोगी है। समीक्षक22
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