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सोनिया बनीं कम्युनिस्टों का मुखौटासोनिया गांधी अब कम्युनिस्ट पार्टियों के लिए मुखौटा बन गईं हैं। चंडीगढ़ में कम्युनिस्ट पार्टियां अपने कार्यकर्ताओं को उत्साहित कर काम में लगाने के लिए अत्यंत निर्लज्जतापूर्वक सोनिया गांधी के चित्रों और वक्तव्यों का उपयोग कर रही हैं। चुनावी “पोस्टरों” में सोनिया गांधी के इतने बड़े-बड़े चित्र छापे गए हैं कि उन चित्रों से पार्टी का चिन्ह तक छिप गया है। इन चित्रों के साथ सोनिया का यह वक्तव्य छपा है- “मतभेदों को भुलाकर देश को मजबूत बनाएं।” इससे पंजाब और चंडीगढ़ में देश की दो प्रमुख कम्युनिस्ट पार्टियों की स्थिति का पता चलता है। इनके नेता भी अब इसे स्वीकारने लगे हैं। माकपा के चंडीगढ़ क्षेत्र के सचिव मो. शहनाज गोरसी स्वीकार करते हैं कि कम्युनिस्ट आंदोलन अत्यंत दुर्बल हो चुका है और अब उनके पास कांग्रेस का सहयोग करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। भाकपा की स्थिति भी कमोबेश ऐसी ही है। उसकी दृष्टि में भाजपा को रोक पाने का और कोई रास्ता नहीं बचा है।बातचीत की शर्तेंनेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी लेनिनवादी एकीकृत) ने गत दिनों अपनी स्थायी समिति की बैठक के बाद नेपाल नरेश से वार्ता की शुरूआत से पहले कुछ शर्तें रखकर राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर दी है। पार्टी के महासचिव माधव नेपाल ने एक वक्तव्य जारी करके कहा कि भविष्य की सरकार के बारे में कोई भी बातचीत शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री सूर्य बहादुर थापा को बर्खास्त किया जाना चाहिए। यह भी मांग की गई है कि गैरराजनीतिक व्यक्ति के नेतृत्व में भी कोई सरकार न बनाई जाए बल्कि भंग संसद में रहे राजनीतिक दलों के बीच हुई सहमति और सुझावों के अनुसार एक सर्वदलीय सरकार गठित की जानी चाहिए। यह भी कहा गया है कि इससे पूर्व नेपाल नरेश सभी आंदोलनरत दलों को सार्वजनिक रूप से बातचीत के लिए आमंत्रित करें।पार्टी के वक्तव्य में कहा गया है कि सरकार के गठन के बारे में कोई भी बातचीत उपरोक्त शर्तों को माने बिना सार्थक नहीं हो सकती। उल्लेखनीय है कि एक मास की उथल-पुथल के बाद नेपाल नरेश ने हाल ही में सभी राजनीतिक दलों से बातचीत का दौर शुरू किया था।बंगलादेशी मतदाता, कामरेडों के भाग्य विधाता!पश्चिम बंगाल में बंगलादेशी घुसपैठ काफी समय से ही एक गंभीर समस्या रही है। घुसपैठ के कारण राज्य का जनसांख्यिक संतुलन बिगड़ने लगा है। सूत्रों के अनुसार लगभग एक करोड़ घुसपैठिए राज्य के मुर्शिदाबाद, मालदा, उत्तर और दक्षिण दिनाजपुर, कूचबिहार और अन्य जिलों में बस गए हैं। प्रदेश की वाम मोर्चा सरकार इस समस्या से निपटने की कोई रणनीति बनाने की बजाय इन्हें बसाने में ही सहयोग कर रही है। वामपंथियों और कांग्रेसियों के सहयोग से इन घुसपैठियों को राशन कार्ड मिल गए हैं और इनके नाम मतदाता सूचियों तक में दर्ज हो गए हैं। इन चुनावों में ये बंगलादेशी घुसपैठिए अनेक क्षेत्रों में जीत-हार को प्रभावित करेंगे, इसकी भी पूरी आशंका है।सीमा सुरक्षा बल के सूत्रों के अनुसार इन घुसपैठियों की मदद से बंगलादेश की कट्टरवादी शक्तियां सीमावर्ती क्षेत्रों में अशान्ति पैदा करने की कोशिशें कर रही हैं। राज्य के गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार एक नया इस्लामी कट्टरपंथी संगठन “इस्लामी स्वतंत्रता आंदोलन” बंगलादेश में अपनी जड़ें मजबूत करने में जुटा है। कार्य करने में सुविधा की दृष्टि से इसने इस्लामी मोर्चा नामक एक फर्जी संगठन भी बना रखा है। एक भारतीय संगठन “मुस्लिम यूनाइटेड टाइगर्स आफ असम” (मुल्टा) भी इसके साथ जुड़ा हुआ है। इन सभी गतिविधियों में पाकिस्तानी गुप्तचर संस्था आई.एस.आई. का हाथ होने की आशंका व्यक्त की जा रही है।घुसपैठ और उसके कारण देश के सीमा क्षेत्रों पर बढ़ते खतरे के बावजूद राज्य की वाममोर्चा सरकार और कांग्रेस की खामोशी आश्चर्यजनक है। वाममोर्चा सरकार ने तो इस समस्या की प्रारंभ से ही उपेक्षा की है। उसने हमेशा इन घुसपैठियों को एक वोट बैंक के रूप में ही देखा है। भाजपा एकमात्र राजनीतिक पार्टी है जो इस मुद्दे को उठाती रही है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष तथागत राय के अनुसार राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों की जनसांख्यिक स्थिति बिगड़ती जा रही है। और यह राष्ट्र का एकता और संप्रभुता के लिए खतरा है।34
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