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20 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर में बारामूला के गांव शीरी में मतदान के लिए कतार में खड़े कश्मीरी युवक। पहले चरण में प्रदेश में लगभग 40 प्रतिशत मतदान हुआभाई वाह, इस तलवार की धार तो पैनी है- कर्नाटक में एक चुनाव रैली में पारंपरिक पगड़ी पहने हुए केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराजहम सब नेता-सुतचुनाव प्रचार के दौरान राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह… केन्द्रीय वित्त मंत्री जसवंत सिंह के पुत्र मानवेन्द्र सिंह… और कांग्रेसी नेता स्व. राजेश पायलट के पुत्र सचिन पायलट2-विशेष प्रतिनिधिराजीव प्रताप रूडी26 अप्रैल का दिन बिहार में व्याप्त जंगलराज की एक बार फिर पुष्टि कर गया। उस दिन दूसरे चरण के मतदान के दौरान खिसियाए लालू यादव के कथित इशारे पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के कार्यकर्ताओं ने अपराधी तत्वों के साथ मिलकर सैकड़ों मतदान केन्द्रों पर हिंसा का नंगा नाच किया। सबसे अधिक प्रभावित रहा छपरा लोकसभा क्षेत्र, जहां से स्वयं लालू यादव चुनाव लड़ रहे हैं। उनके मुकाबले में हैं भाजपा प्रत्याशी केन्द्रीय नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री राजीव प्रताप रूडी। मतदान के दिन हथियारों से लैस उपद्रवी तत्वों ने मतदान केन्द्रों में घुसकर न केवल कागजात फाड़ डाले, मतदान मशीनें तोड़ दीं, कर्मचारियों से हाथापाई की बल्कि निरीह मतदाताओं की हत्या तक कर दी। राबड़ी सरकार में एक मंत्री सहित लालू यादव के साले सुभाष यादव की अगुवाई में गुण्डों ने खुलेआम पिस्तौल निकालकर मतदाताओं को खदेड़ दिया और भाजपा कार्यकर्ताओं को बुरी तरह घायल किया। यह सब पत्रकारों, चुनाव पर्यवेक्षकों और मतदान कर्मचारियों की आंखों के सामने घटा। अगले दिन के सभी अखबार और टीवी चैनलों पर हिंसा के उस नंगे नाच का सचित्र ब्यौरा मौजूद था। लेकिन अपनी आदत के अनुसार शासन के मद में चूर लालू यादव ने इन सबको अनदेखा करते हुए बयान दिए कि मतदान शांतिपूर्ण रहा, कहीं कोई अप्रिय घटना नहीं घटी। जबकि राजीव प्रताप रूडी के पास पूरा विवरण सचित्र मौजूद था जो उन्होंने 28 अप्रैल को नई दिल्ली स्थित भाजपा मुख्यालय में पत्रकारों के सामने प्रस्तुत किया। श्री रूडी उसी दिन निर्वाचन आयोग भी गए और सभी साक्ष्य आयोग के सामने रखकर उन्होंने छपरा में पुनर्मतदान कराए जाने की मांग की। आयोग ने उनकी मांग पर गौर करने का निर्णय लिया है। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक आयोग के दो पर्यवेक्षकों द्वारा निकट भविष्य में छपरा जाकर पूरी घटना का विवरण लेने सम्बंधी जानकारी प्राप्त हुई है।छपरा के एक मतदान केन्द्र के बाहर मतदाताओं को खदेड़ता हुआ एक पुलिसकर्मीभाजपा मुख्यालय में राजद समर्थित गुण्डों के उपद्रव औरहिंसाचार को दर्शाने वाली सी.डी. पत्रकारों को दिखाते हुएराजीव प्रताप रूडीप्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार छपरा शहर (जहां आयुक्त सहित अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के दफ्तर हैं) के अलावा परसा, गरखा, नवाजी टोला व मढौरा विधानसभा क्षेत्रों सहित अनेक ग्रामीण मतदान केन्द्रों पर राजद कार्यकर्ताओं ने 26 अप्रैल को मतदान प्रक्रिया को हथियारों के बल पर बाधित किया। छपरा शहर में, जहां टी.वी. चैनलों के कैमरे, पत्रकार आदि मौजूद थे, लालू यादव के साले सुभाष यादव ने नीले रंग की एक स्कारपियो गाड़ी में बैठकर मतदान केन्द्रों पर धावा बोल दिया। उनके साथ ही एक अन्य जिप्सी में उनके सुरक्षाकर्मी हथियार सहित पहुंच गए। मशीनें तोड़ डाली गईं, मतदान केन्द्रों से लोगों को लाठियां भांजकर भगा दिया गया। इतना ही नहीं, खुद सुभाष यादव अपने सचल दूरभाष पर संभवत: लालू यादव को अपने किए की सिलसिलेवार ढंग से जानकारी दे रहे थे। ये दृश्य कैमरे में कैद किए गए थे। जब भाजपा कार्यकर्ताओं ने जिला दण्डाधिकारी से इसकी शिकायत की तो उस समय दोपहर के 2 बज रहे थे। दण्डाधिकारी ने सुभाष यादव को गिरफ्तार करने की बजाय शहर से चले जाने को कहा, यह जानते हुए भी कि 2 से 5 बजे के बीच 80 कि.मी. दूर पटना के रास्ते में सुभाष यादव कितने ही अन्य मतदान केन्द्रों पर उपद्रव कराएंगे, उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया।छपरा से विधायक और राबड़ी सरकार में मंत्री उदित राय भी अपने हथियारबंद अंगरक्षकों के साथ छपरा के विभिन्न मतदान केन्द्रों पर अफरातफरी करने में लगे थे। उधर परसा विधानसभा क्षेत्र में राबड़ी सरकार में विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्री चंद्रिका राय के अलावा कुख्यात अपराधी सुनील राय खुलेआम पिस्तौल लेकर घूम रहा था। उसने 5 मतदाताओं को सबके सामने गोली मार दी और चिल्लाकर बोला- वोट देना है तो सामने आओ। अभी ठिकाने लगा देंगे। इतना ही नहीं सुनील राय ने वहां घूम रहीं निरीह भेड़-बकरियों को गोली मारकर ढेर कर दिया ताकि उनका रिसता हुआ रक्त लोगों में दहशत पैदा कर दे। यह सर्वविदित था कि बिना प्रशासनिक अधिकारियों की परोक्ष शह के हिंसा का ऐसा तांडव वहां होना संभव नहीं था। खुलेआम हथगोले फोड़े गए। एक अनुमान के अनुसार राजद के तत्वों ने उस दिन 5 हजार बम फोड़े। हिंसा का ऐसा वीभत्स माहौल तो शायद कश्मीर में भी न दिखा हो। राजद सरकार का मंत्री जनता की आंखों के सामने लोकतांत्रिक मर्यादाओं की धज्जियां उड़ा रहा था।रूडी का कहना है कि लालू यादव इस सब उपद्रव की तैयारी पिछले छह माह से कर रहे थे क्योंकि उनकी अपनी रपट बता चुकी थी कि छपरा में वे चुनाव नहीं जीत पाएंगे। इसीलिए लालू यादव ने छपरा शहर में अपने चुनिंदा 40 प्रशासनिक अधिकारी तैनात किए हुए थे। वे जानते थे कि छपरा में भाजपा के पक्ष में वोटों का ध्रुवीकरण हो चुका था। मीडिया में भी इस बारे में अनेक रपटें प्रकाशित हुई थीं।बहरहाल लालू यादव के कथित इशारे पर छपरा में जिस प्रकार मतदान केन्द्रों पर हिंसक उपद्रव हुए वे सब चित्र सहित साक्ष्य के रूप में चुनाव आयोग के सामने प्रस्तुत किए जा चुके हैं। यह जानकर लालू समर्थक खुलेआम धमकियां देते घूमने लगे कि चुनाव आयोग से जो भी यहां आएगा, उसे देख लिया जाएगा। रूडी ने बताया कि भयभीत लालू यादव अब खिसियाए से घूम रहे हैं और जब कोई अखबार वाला साक्ष्यों को परत दर परत खोलने वाली सी.डी. की चर्चा करता है लालू यादव चुप्पी साध लेते हैं और बस यही कहते हैं, मतदान शांतिपूर्ण हुआ। 5 लोगों की हत्या, अनेकों घायल और मतदान केन्द्रों को तहस नहस करने के बाद यह बिहार में ही सम्भव है कि लालू यादव इस सबके बावजूद शांतिपूर्ण की रट लगाते रहें। रूडी का कहना था कि छपरा में कुल 1100 मतदान केन्द्रों में से 500 को संवेदनशील और 300 केन्द्रों को अति संवेदनशील चिन्हित किया गया था। इनमें से केवल 200 केन्द्रों पर ही अद्र्धसैनिक बल तैनात किए गए थे। स्थानीय प्रशासन ने राजद कार्यकर्ताओं की भूमिका अपनाई हुई थी। रूडी ने चुनाव आयोग को 15 सूत्रीय एक ज्ञापन भी सौंपा है जिसमें छह विधानसभा क्षेत्रों के तहत सैकड़ों ऐसे केन्द्रों की क्रमांक सहित सूची दी गई है जहां मतदान केन्द्र लूटने और हिंसा का आरोप लगाया गया है।3
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