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डा. रवीन्द्र अग्रवाल
बाढ़ और सूखे का “उत्सव”
बिहार में बाढ़ आने पर लालू प्रसाद यादव प्रतिवर्ष केन्द्र सरकार को दोषी ठहराते रहे हैं। परन्तु बिहार के गांव वालों और गरीब-गुरबा को बाढ़ से बचाने के लिए उनकी सरकार ने अभी तक कोई प्रयास क्यों नहीं किए? इसका रहस्योद्घाटन इस वर्ष केन्द्र में पहली बार मंत्री बने लालू प्रसाद यादव की उलटबांसियों से हुआ।
परम्परा के अनुसार हर साल की तरह बाढ़ इस बार भी आई। परन्तु इस बार लालू प्रसाद यादव हर बार की तरह केन्द्र को कैसे दोषी बताएं? इस समस्या का समाधान निकाला स्वयं लालू प्रसाद यादव ने और उन्होंने बाढ़ को समस्या मानने से ही इनकार कर दिया। बिहार के पांच सौ से ज्यादा लोगों की जान लेने और अरबों रुपए की फसल चौपट कर देने वाली बाढ़ को लोग भले ही विभीषिका मानें परन्तु यदि लालू प्रसाद यादव की नवीनतम उलटबांसी पर विश्वास करें तो बिहार के लोगों को तो “बाढ़ का उत्सव मनाना चाहिए”।
लालू जी की मानें तो यह तो बिहार के गरीब-गुरबा का सौभाग्य है कि बाढ़ की बदौलत उसे ऐसी-ऐसी मछलियां खाने का दुर्लभ अवसर मिला है जो पांच सितारा होटलों में ही परोसी जाती हैं। ऐसे में भी यदि बिहार के गरीब-गुरबा “बाढ़ का उत्सव” मनाने में कोताही बरतते हैं तो उनसे ज्यादा भाग्यहीन इस धरती पर कोई दूसरा नहीं होगा।
जो मछली नहीं खाते उन्हें भी निराश होने की जरूरत नहीं। बाढ़ से खरीफ की फसल भले ही बरबाद हो गई हो परन्तु बाढ़ का पानी उतरने के बाद रबी की फसल में गेहूं की जो बालें प्राप्त होंगी वे “लोमड़ी की दुम की तरह लम्बी व मोटी होंगी”। लालू जी की मानें तो खरीफ की फसल बरबाद होने से दु:खी किसान के सारे कष्ट लोमड़ी की दुम जैसी लम्बी व मोटी बालियों के प्राप्त होने से धुल जाएंगे।
लालू जी नहीं चाहते कि बिहार के गांव वाले “बाढ़ के उत्सव” से वंचित हों, इसी कारण उन्होंने राजग सरकार के उस प्रस्ताव का पूरे दमखम के साथ विरोध किया था जिसमें नदियों को आपस में जोड़ने की बात कही गई थी। तब सरकार का कहना था कि नदियों को आपस में जोड़ने से अधिक जल वाली नदियों का पानी कम जल वाली नदियों में डाला जाएगा और इसे सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचाया जाएगा। इससे देश को बाढ़ के साथ-साथ सूखे से भी मुक्ति मिल सकेगी।
परन्तु लालू जी नहीं चाहते कि बिहार के लोग प्रतिवर्ष बाढ़-उत्सव मनाने से वचित हों, इसीलिए लालू यादव के समर्थन पर टिकी संप्रग सरकार ने नदियों को जोड़ने की राजग सरकार की योजना ठंडे बस्ते में डाल दी। इसका एक पहलू और भी है। यदि देश को सूखे और बाढ़ से मुक्ति मिल गयी तो बाढ़ और सूखा राहत के नाम पर प्रतिवर्ष “उत्सव” मनाने वालों का क्या होगा?
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