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संगठन में असीम सामथ्र्य है। परन्तु उसकी अनुभूति प्रत्येक स्वयंसेवक के मन में होनी चाहिए। हम संगठन करते हैं, क्योंकि हम जानते हैं कि अन्य सब कामों की अपेक्षा, संगठन ही श्रेष्ठ है।-डा. हेडगेवारभाजपा का परीक्षा-पर्वभारतीय जनता पार्टी के नवनिर्वाचित अध्यक्ष श्री लालकृष्ण आडवाणी के वक्तव्य और राष्ट्रीय परिषद् के अधिवेशन में दिखे बदले हुए वातावरण ने आशा जगायी है। परन्तु सबसे पहला काम ही सबसे कठिन है और वह है भाजपा की कमजोर होती साख को पुन: स्थापित करना। आम जनता से बढ़कर कार्यकर्ताओं में भाजपा और उसके कुछ नेताओं के व्यवहार के प्रति जो क्षोभ और चिढ़ पैदा हुई, उसने भाजपा के वैचारिक अधिष्ठान एवं समर्थक मतदाताओं को चोट पहुंचाई। श्री लालकृष्ण आडवाणी द्वारा इस बात को स्पष्ट रूप से स्वीकार किया जाना अच्छा कदम है और इससे कार्यकर्ताओं को यह संदेश मिला है कि यदि उनके मन में संगठन के प्रति कुछ आशंकाएं और चिंताएं थीं तो उन्हें भाजपा का नेतृत्व पहचानता है, स्वीकार करता है।कम्युनिस्टों की मदद से दिल्ली में एक प्रतिशोधी सरकार स्थापित हुई है, उसे देखते हुए आने वाला समय भाजपा जैसी राष्ट्रीयता केन्द्रित पार्टी के लिए सरल नहीं होगा। यह समय पांच सितारा होटलों में बैठकें करके या मर्सीडीस में जन सम्पर्क में निकलने से नहीं कटेगा। जिस भावना और गंभीरता से श्री आडवाणी ने कार्यकर्ताओं के मन की थाह ली है और उन्हें सम्बोधित किया है वह भावना छोटी-से छोटी इकाई तक पहुंचनी जरूरी होगी। आम कार्यकर्ता यदि यह शिकायत करता है कि आज कोई सुनने वाला नहीं है और जो उनसे बड़े पदाधिकारी या नेता हैं, उन्हें सिर्फ अपनी बात कहकर अगले शहर की ओर चल पड़ने की जल्दी होती है, तो ऐसी शिकायतों पर ध्यान देना होगा। अपना व्यवहार बदले बिना कार्यकर्ताओं से भी बदले हुए व्यवहार की अपेक्षा नहीं की जा सकती। हिन्दुत्व के मुद्दे पर भाजपा को स्पष्ट निर्भीकता से बोलना ही होगा। अगर वह ऐसा नहीं करेगी तो यह अपने उदय के उद्देश्यों को नकारना होगा। उसके समर्थक स्वाभाविक रूप से पूछ रहे हैं कि जब सरकार में नहीं रहे तो फिर मन्दिर याद आया? यह ठीक है कि यह एक ऐसा वर्ग है जो हिन्दुत्व का संकीर्ण अर्थ लेता है और उसका समर्थक होने के लिए भाजपा को कोसता है। परन्तु भाजपा नेताओं को समझना होगा कि ऐसे तत्व तो उसके जन्म के समय से ही सक्रिय रहे हैं। अगर वह उनकी चिन्ता में दुबली होती रहती तो आगे बढ़ ही नहीं सकती थी। श्री आडवाणी ने ठीक ही कहा कि हिन्दुत्व की विचारधारा का अनुगामी होने का अर्थ है राष्ट्र का सम्पूर्ण विकास। अब भाजपा पर यह जिम्मेदारी है कि वह जिन प्रांतों में सरकार चला रही है वहां प्रशासनिक सुधार एवं विकास के आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करे। यह उसका परीक्षा-पर्व है। आसन्न विधानसभा चुनावों में भाजपा कितना अच्छा करेगी, अभी कहा नहीं जा सकता। परन्तु श्री आडवाणी को इन चुनावों से आगे के बारे में सोचना होगा और चुनाव केन्द्रित राजनीति के बजाय संगठन केन्द्रित रणनीति अपनानी होगी।पूर्वी एशिया में इस्लामीमंगलवार, 26 अक्तूबर को दक्षिणी थाईलैण्ड के मुस्लिमबहुल इलाके में हुए दंगों में सेना को हस्तक्षेप करना पड़ा और जब वह 1300 लोगों को गिरफ्तार कर ट्रकों में ले जा रही थी तो 78 लोग घुटन के कारण मर गए। इससे पहले 6 लोग दंगों में मारे गए थे। दक्षिण इस्लामी अलगाववादी संगठन थाईलैण्ड के चार मुस्लिमबहुल प्रांतों को देश से अलग करने के लिए आन्दोलन कर रहे हैं। ये चारों प्रान्त मलेशिया से सटे हुए हैं। इससे पहले अप्रैल में थाई पुलिस द्वारा इस्लामी आतंकवादियों पर किए गए हमलों में 107 लोग मारे गए थे, जिनमें से 32 पट्टनी प्रान्त की ऐतिहासिक 16वीं सदी की मस्जिद में मारे गए थे।उधर जकार्ता में इण्डोनेशिया को अमरीका के दबाव में 66 वर्षीय इस्लामी मजहबी नेता अबू बकर बशीर पर फिर से मुकदमा चलाना पड़ा है। बशीर पर आरोप है कि वह पिछले वर्ष जकार्ता में और सन् 2002 में बाली के नाईट क्लबों में हुए बम विस्फोटों के लिए जिम्मेदार है और उसका सम्बंध अलकायदा से है। एक वर्ष पहले जकार्ता की अदालत ने बशीर को आरोप मुक्त कर दिया था। परन्तु अमरीका के दबाव में बशीर को जेल से रिहा नहीं किया गया। ऐसी स्थिति में हाल ही में चुने गए इण्डोनेशिया के राष्ट्रपति सुशील बंबांग युद्धोयूनो के सामने दुविधा पैदा हो गई है। अमरीका का कहना है कि बशीर का सम्बंध अलकायदा से जुड़े आतंकवादी संगठन जमा इस्लामिया से है। जबकि युद्धोयूनो का कहना है कि इण्डोनेशिया में इस नाम का कोई संगठन ही नहीं है।7
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