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शिक्षा पर माओवादी शिकंजामाओवादियों ने नेपाल की शिक्षा व्यवस्था को तहस-नहस कर डाला है। विद्यार्थियों और शिक्षकों के अपहरण और स्कूलों पर माओवादियों के कब्जे की घटनाओं से शिक्षा व्यवस्था को सुचारू रूप से जारी रखने में पहले ही काफी कठिनाइयां आ रही थीं। अब माओवादी विद्यार्थी संगठनों द्वारा अनिश्चितकालीन बंद की घोषणा से नेपाल की पूरी शिक्षा प्रणाली चरमरा जाने की आशंका है।उल्लेखनीय है कि नेपाल के माओवादी विद्यार्थी संगठन “आल नेपाली नेशनल इंडिपेंडेंट यूनियन रिवोल्यूशनरी (ए.एन.एन.आई.यू.-आर) ने आगामी छह जून से सभी शैक्षणिक संस्थानों में अनिश्चितकालीन देशव्यापी बंद की घोषणा की है। संगठन की मांग है कि उनके, सरकार और शैक्षणिक संगठनों के बीच हुए त्रिपक्षीय समझौते को तत्काल लागू किया जाए। 29 जून, 2003 को इस समझौते के तहत सरकार और शैक्षणिक संस्थान इस बात पर सहमत हुए थे कि उच्चतर-माध्यमिक स्तरीय शिक्षण शुल्क में 25 प्रतिशत की कटौती की जाएगी। सरकार इस बात पर भी सहमत हुई थी कि माध्यमिक स्तर तक नि:शुल्क शिक्षा दी जाएगी। लेकिन अब सरकार का कहना है कि वह नि:शुल्क स्कूली शिक्षा का बोझ बर्दाश्त नहीं कर सकती।नेपाल में माध्यमिक स्तर के कुल 25,194 विद्यालय तथा उच्चतर-माध्यमिक स्तर के कुल 854 विद्यालय हैं। माध्यमिक स्तर तक नि:शुल्क स्कूली शिक्षा से नेपाल सरकार पर प्रतिवर्ष 26 अरब रुपए का बोझ पड़ेगा। सरकार का कहना है कि सभी बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने से बेहतर है कि जनजातियों, दलितों और विकलांगों के बच्चों को नि:शुल्क स्कूली शिक्षा दी जाए। अभिभावकों का भी यह मानना है कि शुल्क में कटौती से समस्याओं का हल नहीं होगा। इसके लिए एक प्रणाली विकसित करनी होगी और निजी स्कूलों का शुल्क निर्धारित करने के लिए एक कार्यदल पहले से बना हुआ है, इसलिए बंद जैसे कदम इस प्रक्रिया में बाधा पहुंचा सकते हैं। निजी स्कूलों के प्रबंधक भी इससे काफी चिंतित हैं और उनका मानना है कि यदि शिक्षण संस्थाओं पर हमले इसी तरह जारी रहे तो उन्हें अपना संस्थान बंद करना पड़ेगा।इससे अधिक चिंतित करने वाला पहलू यह है कि एक ओर तो माओवादी नि:शुल्क शिक्षा का लोक-लुभावन नारा लगा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अपने शिविरों में विद्रोहियों की भर्ती के लिए अध्यापकों और छात्रों का अपहरण कर रहे हैं, स्कूल भवनों का अपने शिविरों के रूप में दुरुपयोग कर रहे हैं। गत 24 मई को माओवादियों ने दाइलेख जिले के एक उच्चतर माध्यमिक -विद्यालय से 700 विद्यार्थियों का अपहरण कर लिया था। इसी प्रकार पिछले सप्ताह भेरी-कर्नाली और सेती-कर्नाली क्षेत्र से कई हजार स्कूली बच्चों और शिक्षकों का अपहरण कर लिया गया था। माओवादी शिक्षकों और बच्चों का अपहरण कर उन्हें जबरन अपने अभियान में शामिल करते हैं। हाल ही में माओवादियों के शिविरों से भागकर आने वाले कई बच्चों ने सुरक्षा बलों को यह जानकारी दी है कि माओवादी अपने विभिन्न कार्यों में बच्चों का उपयोग करते हैं। हमलों के दौरान इन बच्चों से गोला-बारूद की ढुलाई तो करवाई ही जाती है, सुरक्षाकर्मियों से अपनी जान बचाने के लिए माओवादी उन्हें अपनी ढाल के रूप में इस्तेमाल करते हैं। पुष्ट सूत्रों के अनुसार नेपाल के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों के बहुत से स्कूलों पर माओवादियों ने कब्जा कर लिया है और वे वहां अपने प्रशिक्षण शिविर चलाते हैं। (हिन्दुस्थान समाचार)8
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