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सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने जारी किया न्यूनतम साझा कार्यक्रमनई सरकार की रीति-नीतिसंयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का न्यूनतम साझा कार्यक्रम प्रस्तुत करते हुए (बाएं से) सर्वश्री ए.बी. बद्र्धन, हरकिशन सिंह सुरजीत, रामविलास पासवान, दयानिधि मारन, श्रीमती सोनिया गांधी एवं प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंहकेन्द्र में सत्तारूढ़ संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन (संप्रग) ने गत 27 मई को अपना न्यूनतम साझा कार्यक्रम घोषित कर दिया। इस संबंध में 26 मई को प्रधानमंत्री निवास, 7 रेसकोर्स रोड में गठबंधन के घटक दलों की लम्बी बैठक चली, जिसमें न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर आम सहमति बनाने का प्रयास किया गया। इसी बैठक में सभी घटक दलों ने श्रीमती सोनिया गांधी को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्षा भी चुना। साथ ही यह भी तय किया गया कि श्रीमती सोनिया गांधी संप्रग के घटक दलों की समन्वय समिति की भी अध्यक्षा होंगी। इस बैठक में प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी, रक्षा मंत्री श्री प्रणव मुखर्जी तथा कांग्रेस की ही ओर से श्रीमती अम्बिका सोनी तथा श्री जयराम रमेश उपस्थित थे। जबकि राजद की ओर से रेलमंत्री श्री लालू प्रसाद यादव एवं ग्रामीण विकास मंत्री डा. रघुवंश प्रसाद सिंह, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की ओर से कृषि मंत्री श्री शरद पवार एवं नागरिक उड्डयन मंत्री श्री प्रफुल्ल पटेल, भावी लोकसभाध्यक्ष श्री सोमनाथ चटर्जी, भाकपा के श्री ए.बी. बद्र्धन और डी. राजा, माकपा के महासचिव श्री हरकिशन सिंह सुरजीत एवं सचिव श्री सीताराम येचुरी, लोजपा से इस्पात एवं उवर्रक मंत्री श्री रामविलास पासवान, द्रमुक से सूचना तकनीकी एवं संचार मंत्री श्री दयानिधि मारन एवं पीडीपी की सुश्री महबूबा मुफ्ती उपस्थित थीं। इन सभी की उपस्थिति में 27 मई को न्यूनतम साझा कार्यक्रम का प्रारूप प्रस्तुत किया गया।गठबंधन सरकार के छह सिद्धान्तप्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने न्यूनतम साझा कार्यक्रम घोषित करते हुए कहा कि कांग्रेस गठबंधन और उसे समर्थन दे रहे वामपंथी दलों ने शासन चलाने के लिए इस साझा कार्यक्रम में छह आधारभूत सिद्धान्त तय किए हैं। एक, साम्प्रदायिक सौहार्द स्थापित करने के लिए बिना भय और भेदभाव से कानून को लागू करना। दो, आर्थिक विकास की दर अगले एक दशक तक छह से सात फीसदी प्रतिवर्ष इस प्रकार सुनिश्चित करना जिससे रोजगार के अवसर उत्पन्न हो सकें। तीन, किसानों और मजदूरों के कल्याण की योजनाएं चलाना, विशेषकर जो असंगठित क्षेत्र के तहत आते हैं। चार, महिलाओं को राजनीतिक, शैक्षिक, आर्थिक और कानूनी रूप से सशक्त बनाना। पांच, अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़े और पांथिक अल्पसंख्यकों को शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में समान अवसर और समानता सुनिश्चित करना। और छठा, उद्यमियों, व्यापारियों, वैज्ञानिकों और दूसरे उद्यमी लोगों की ऊर्जा को उचित दिशा देना।मुख्य बिन्दुलोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण।पोटा कानून समाप्त किया जाएगा।साम्प्रदायिक हिंसा से निपटने के लिए एक व्यापक आदर्श कानून बनाने पर विचार।आर्थिक विकास की दर सात से आठ प्रतिशत पहुंचाने का लक्ष्य।राजस्व घाटा सन् 2009 तक समाप्त करेंगे।श्रम कानून में “अनुबंध पर रखो और निकाल दो” नीति नहीं।विनिवेश मंत्रालय समाप्त होगा, लाभ में चल रहे सार्वजनिक उपक्रम नहीं बिकेंगे।अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों हेतु निजी क्षेत्रों में आरक्षण के लिए देशव्यापी विचार-विमर्श किया जाएगा।”शिक्षा के भगवाकरण” की समीक्षा हेतु उच्चस्तरीय समीक्षा समिति का गठन होगा।शिक्षा क्षेत्र में सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत खर्च किया जाएगा।शहरी हो या ग्रामीण, निचले मध्यमवर्गीय परिवार को न्यूनतम 100 दिनों की मजदूरी पर आधारित रोजगार की गारंटी, राष्ट्रीय रोजगार कानून को समर्थन।रोजगार बढ़ाने हेतु खादी ग्रामोद्योग आयोग का पुनर्गठन।कृषि क्षेत्र में सरकारी निवेश बढ़ेगा।ग्रामीण ऋण को दोगुना किया जाएगा।सिंचाई योजनाओं पर सबसे ज्यादा निवेश।विदेश नीति में एकपक्षीय सम्बंध के प्रयासों का विरोध और बहुपक्षीय सम्बंधों को बढ़ाने पर जोर दिया गया है।मूल्य संवर्धित कर प्रणाली (वैट) लागू होगी।-प्रतिनिधि7
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