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कितने गांव पहुंचेगी बिजली?प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने अपनी जम्मू-कश्मीर यात्रा के दौरान प्रदेश के विकास कार्यों के लिए 24 हजार करोड़ रु. के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। लेकिन इसमें कई ऐसी बातें हैं, जिनसे इस पैकेज के बारे में सन्देह पैदा होता है। घोषणा के अनुसार सन् 2007 तक प्रदेश के सभी गांवों का विद्युतीकरण कर दिया जाएगा और सन् 2009 तक सभी घरों में बिजली पहुंचा दी जाएगी। किन्तु छह साल पहले जम्मू-कश्मीर सरकार ने विधानसभा में घोषणा की थी कि प्रदेश के 96.61 प्रतिशत गांवों का विद्युतीकरण किया जा चुका है। अब प्रश्न उठता है कि जिस प्रदेश के 96.61 प्रतिशत गांवों में छह साल पहले ही बिजली पहुंच गई थी और जहां विद्युतीकरण का काम निरन्तर जारी है, वहां शेष बचे 3.39 प्रतिशत गांवों में छह वर्ष के लम्बे समय में भी बिजली क्यों नहीं पहुंच पाई?ऐसे ही इस घोषणा में कहा गया है कि लद्दाख क्षेत्र के सभी 6817 गांवों में बालवाड़ी केन्द्र खोले जाएंगे, जबकि सरकारी आंकड़ों के ही अनुसार पूरे जम्मू-कश्मीर राज्य में 6652 गांव हैं और लद्दाख क्षेत्र में तो सिर्फ 400। इन विसंगतियों के बावजूद जहां मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने इस घोषणा का स्वागत किया है और इसे संतोषजनक बताया है। वहीं उनकी ही पार्टी के कुछ अन्य नेता और विपक्ष ने इसे लोगों को धोखे में रखने का एक षड्यंत्र बताया है। असलियत क्या है, यह तो प्रधानमंत्री की घोषणा का प्रारूप बनाने वाले जानते हैं या मुख्यमंत्री सईद। पर प्रदेश के लोग यह कहते पाए गए कि चलो, जो होगा सो होगा, घोषणा तो हुई।पहाड़ से निकाला तो घाटी में छुपेम्यांमार की सीमा से सटे मणिपुर के चूड़ाचांदपुर और चंदेल जिलों में सेना, अद्र्धसैनिक बलों और राज्य पुलिस ने पिछले एक महीने से सघन तलाशी अभियान छेड़ रखा है जिसके कारण विभिन्न आतंकवादी गुटों के आतंकवादी मारे और पकड़े गए हैं। किन्तु बड़ी संख्या में आतंकवादी भागकर मणिपुर घाटी में छुपने में सफल हो गए हैं। इम्फाल पूर्व जिले में हाल ही में स्थापित सीमा सुरक्षा बल की एक चौकी पर 10 नवम्बर को आक्रमण कर आतंकवादियों ने अपनी मौजूदगी की सूचना दे दी थी। इस आक्रमण में तीन सुरक्षाकर्मी घायल हुए थे। सरकारी सूत्रों ने बताया कि जब सुरक्षा बल के जवान पहाड़ की चोटी पर स्थित चौकी से नीचे उतर रहे थे, तब उन पर आक्रमण हुआ। यद्यपि कोई जवान मारा नहीं गया, किन्तु सुरक्षा संस्थाओं को खतरे का अंदेशा हो गया है। पहाड़ी क्षेत्रों में सघन तलाशी और “पकड़ो या मारो” अभियान शुरू होने के बाद आतंकवादियों को अपने सुरक्षित ठिकानों से भागने पर मजबूर होना पड़ा था। यद्यपि म्यांमार ने अपनी ओर से कोई आतंकवाद विरोधी शुरू नहीं किया है, किन्तु सीमा पर चौकसी के कारण वे म्यांमार में पहले की तरह घुसने में असमर्थ हैं।ऐसा तो नहीं लगताखुद को मानवाधिकार की पैरोकार ठहराने वालीं तीस्ता सीतलवाड़ इन दिनों अदालतों के चक्कर लगा रही हैं। जाहिरा शेख के ताजा बयानों के बाद उनकी नींद उड़ी हुईं है। उन्हें तरह-तरह की शंकाएं भी घेरे हैं। शायद इसीलिए पिछले दिनों वह मुम्बई उच्च न्यायालय पहुंचीं। वहां उन्होंने न्यायालय से निवेदन किया कि गुजरात और महाराष्ट्र सरकार उन्हें कभी भी गिरफ्तार करवा सकती हैं, अत: कुछ करिए। न्यायालय ने भी उनके इस निवेदन पर तुरंत सुनवाई की और दोनों सरकारों को निर्देश दिए कि तीस्ता को गिरफ्तार करने से तीन दिन पूर्व उन्हें इसकी सूचना दी जाए। यह नौबत आई कैसे? वडोदरा के उपायुक्त के यहां दाखिल एक हलफनामे में जाहिरा ने तीस्ता पर कई तरह के गम्भीर आरोप भी लगाए हैं। उसने कहा था कि तीस्ता सीतलवाड़ ने जबर्दस्ती उसे मुम्बई में अपने कब्जे में रखकर गुजरात सरकार के विरुद्ध बयान दिलवाया था। इतना ही नहीं, जाहिरा ने तीस्ता पर मार-पीट किए जाने के भी आरोप लगाए हैं। हालांकि तीस्ता कितना भी कहें कि जाहिरा के उन बयानों से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। परन्तु जिस तरह वह न्यायालयों के चक्कर काट रही हैं, उससे तो ऐसा नहीं लगता।32
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