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देश के अनेक स्थानों पर बाढ़ की विभीषिकाराहत में आगे स्वयंसेवक-गोलोक बिहारी रायबाढ़ पीड़ितों के लिए स्वयंसेवकों द्वारा संचालित एक चिकित्सा शिविरराहत कार्य के दौरान एक गांव में बाढ़ पीड़ितों के साथ स्वयंसेवकबिहार में इस वर्ष भारी वर्षा हुई। लगातार वर्षा के कारण बाढ़ से राज्य के 20 जिले प्रभावित हुए और लगभग 3 हजार लोगों की मृत्यु हो गई। करीब चौदह लाख हेक्टेयर जमीन पर लगी फसलें नष्ट हो गर्इं। 8 लाख, 58 हजार, 789 मकान बाढ़ में ध्वस्त हुए। हजारों पशु मारे गए। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 288 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अन्य सड़कें टूट-फूट गर्इं। 625 पुल-पुलिया भी ध्वस्त हो गए। लगभग 80 स्थानों पर तटबंध टूटे। साढ़े तीन सौ स्थानों पर सौ से ढाई सौ मीटर की लम्बाई में रेल पटरियां बह चुकी हैं। लगभग सवा सौ गांव अपनी पहचान खो चुके हैं।4 जुलाई से ही गंडक, कमला बलान, अघवारा समूह, बागमती, कोशी, महानन्दा सहित ललबगिया, सिकरहना, खेरई, जीबघ, भुतही, लखनदेई, करेह, परवान आदि नदियां भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही थीं। इन नदियों पर बने हजारों किलोमीटर लम्बे तटबंध स्थान-स्थान पर जर्जर स्थिति में थे, जिनकी मरम्मत एवं रखरखाव राज्य सरकार 10 वर्षों से नहीं कर पायी थी। इस कारण बाढ़ की विभीषिका कुछ अधिक ही रही।शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर, खगड़िया, सुपौल एवं सहरसा जिलों की स्थिति अभी भी चिन्ताजनक है। 25 जुलाई के बाद पानी उतरने के साथ ही इन जिलों में हैजा ने महामारी का रूप लेना शुरू कर दिया है। लाखों परिवार आज भी खुले आकाश के नीचे रह रहे हैं।प्रशासन की उदासीनता और उसकी सीमित पहुंच के कारण बाढ़ पीड़ितों को राहत नहीं मिल पा रही थी। यह देखकर अपने परिवार एवं घर-द्वार की चिन्ता छोड़ रा.स्व. संघ के स्वयंसेवक बाढ़-पीड़ितों की जीवन-रक्षा में लग गए हैं। पहले स्वयंसेवकों ने लोगों को जलमग्न क्षेत्रों से निकालकर सुरक्षित स्थानों तथा बांधों पर पहंुचाने का काम किया। इसी क्रम में अन्य स्वयंसेवकों के साथ बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहे। सिंघवाड़ा (दरभंगा) निवासी श्री रणधीर बाढ़ की चपेट में आ गए और तेज धारा उन्हें बहा ले गई। वह बाल्यकाल से स्वयंसेवक थे और अपनी सैन्य सेवा से छुट्टी लेकर एक महीना पहले ही घर आए थे। उन्होंने अकेले 59 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया था।सीमा जागरण मंच के दरभंगा जिला प्रमुख श्री ईश्वरचन्द्र भयानक बाढ़ के बीच रेलवे पटरी के सहारे पैदल ही 40 कि.मी. दूर सीतामढ़ी पहुंचे और पीड़ितों की सेवा में लग गए। इसी तरह विभाग प्रचारक श्री भागवत ने रबड़ के पहिए में हवा भरकर नाव बनाई और लगातार चार दिनों तक पानी में फंसे लोगों को खाना पहुंचाया। इनके अतिरिक्त अन्य स्वयंसेवकों ने केले के पेड़ों की नाव बनाकर सैकड़ों लोगों की जान बचाई। जबकि सैकड़ों स्वयंसेवकों ने फुलबरिया बरगिनियां, सीतामढ़ी, सैदपुर, मुजफ्फरपुर, दामोदरपुर, पुरुषोत्तमपुर, जयनगर, मधुबनी, राजनगर, बेनीपुर, दरभंगा, लहेरियासराय, कल्याणपुर आदि नगरों में 76 केन्द्र बनाकर राहत कार्य शुरू किए। प्रतिदिन प्रत्येक केन्द्र से दो से पांच हजार भोजन पैकेट, मोमबत्ती, कपड़े तथा दवा आदि वस्तुएं भाड़े की नाव एवं केले के पेड़ के तने के सहारे सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंचाई गर्इं। इन सभी केन्द्रों से स्वयंसेवकों ने समाज के सहयोग से कुल 1 लाख 8 हजार भोजन पैकेट, 281 Ïक्वटल अन्न तथा मोमबत्ती, माचिस एवं 27 हजार धोती एवं साड़ियों का वितरण किया। साथ ही लगभग 17 हजार लोगों को दवा दी गई।3 अगस्त से सीतामढ़ी, मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर, खगड़िया एवं बेगूसराय जिले के 48 स्थानों पर चिकित्सा केन्द्र प्रारम्भ किए गए। शुरूआत में एक-एक चिकित्सा केन्द्र पर 400 से 500 लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया और उन्हें दवा दी गई।2पूज्य शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती जी की गिरफ्तारी पर आक्रोशप्रमुख संगठनों ने किया विरोध प्रदर्शन-काठमाण्डू से राकेश मिश्रपूज्य शंकराचार्य जी की गिरफ्तारी के विरुद्ध काठमाण्डू कीसड़कों पर हुए विरोध प्रदर्शन का एक दृश्यकांची कामकोटि पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती जी की गिरफ्तारी के विरोध में नेपाल के अनेक संगठनों ने गत 19 नवम्बर को राजधानी काठमाण्डू की सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किया। इन संगठनों का कहना था कि “पूज्य शंकराचार्य पूर्णत: निर्दोष हैं। लगता है भारत की वर्तमान केन्द्र सरकार उनको गिरफ्तार करवाकर अपना संकुचित राजनीतिक स्वार्थ पूरा करना चाहती है।”19 नवम्बर की सुबह हिन्दू जागरण मंच (नेपाल) के नेतृत्व में हिन्दू समन्वय परिषद्, प्राज्ञिक विद्यार्थी परिषद् (नेपाल), जनजाति कल्याण आश्रम, जनकल्याण प्रतिष्ठान, शिव सेना (नेपाल), धर्म यात्रा महासंघ, आर्य समाज, प्रणवानन्द आश्रम, गोरक्ष पीठ, नेपाल धर्म संसद सहित दो दर्जन से अधिक संगठनों ने संयुक्त रूप से भगवान पशुपतिनाथ मंदिर परिसर में एकत्रित होकर पूज्य शंकराचार्य जी की रिहाई के लिए पूजा की। वहां से एक जुलूस की शक्ल में बड़ी संख्या में श्रद्धालु काठमाण्डू के मुख्य मार्ग से गुजरते हुए भारतीय दूतावास पहुंचे और वहां के अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। जुलूस में साधारण जन एवं साधु-सन्त काले कपड़े के बैनर लिए हुए थे, जिन पर लिखा था- “हिन्दू-हिन्दू एक हों,” “बन्द करो हिन्दुओं का अपमान” आदि। लोगों का कहना था कि पोप के इशारे पर हिन्दुओं का अपमान किया जा रहा है। भारत की वामपंथी पार्टियां शुरू से ही हिन्दू विरोधी गतिविधियां चलाती आ रही हैं। आज शासन सत्ता हाथ में आते ही उन्होंने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया है।पूज्य शंकराचार्य जी की शीघ्र रिहाई की मांग करते हुएउपवास पर बैठे नेपाल के संतगणप्रदर्शनकारियों के आक्रोश को देखते हुए नेपाल के सशस्त्र पुलिस बल ने भारतीय राजदूतावास के आस-पास के क्षेत्र को निषेधित क्षेत्र घोषित किया हुआ था अत: जुलूस आगे नहीं बढ़ने दिया गया। तब पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमण्डल ने दूतावास के अधिकारी अनिल कुमार को ज्ञापन सौंप दिया।पूज्य शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती नेपाल के हिन्दू समाज के अत्यंत आदरणीय संत हैं। शंकराचार्य जी की गिरफ्तारी का समाचार सुनते ही नेपालवासियों में तीखा आक्रोश झलकने लगा था। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक नेपाल के वीरगंज, जनकपुर, धनगढ़ी, विराटनगर, पोखरा, काठमाण्डू जैसे प्रमुख शहरों में प्रदर्शन जारी थे।विश्व हिन्दू महासंघ के अध्यक्ष जनरल भरत केसर सिंह ने कहा-विश्व हिन्दू महासंघ, अन्तरराष्ट्रीय समिति के अध्यक्ष जनरल भरत केसर सिंह के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने काठमाण्डू स्थित भारतीय राजदूतावास जाकर पूज्य शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती जी की गिरफ्तारी के विरोध में ज्ञापन सौंपा। बाद में पत्रकारों से बातचीत करते हुए श्री सिंह ने बताया कि शंकराचार्य जी को गिरफ्तार किए जाने से विश्व का हिन्दू समाज दु:खी है। उन्हें गिरफ्तार करके तमिलनाडु सरकार ने संसार भर के हिन्दू समाज को अपमानित किया है। शंकराचार्य जी को दीपावली की पूर्व सन्ध्या पर एक आम नागरिक की तरह बिना ठोस प्रमाण जुटाए मात्र शंका के आधार पर गिरफ्तार करने से ऐसा लगता है जैसे वहां की वर्तमान सरकार धृष्टता की सारी सीमाएं पार कर चुकी है। हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि शंकराचार्य जी को अविलम्ब रिहा किया जाए।पूज्य शंकराचार्य जी की गिरफ्तारी पर कुछ प्रतिक्रियाएंपूज्य शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती जी की गिरफ्तारी एक सोची-समझी साजिश है। हम उन्हें पूर्णत: निर्दोष मानते हैं। उनकी गिरफ्तारी हिन्दुओं के आस्था-केन्द्र पर अप्रत्यक्ष आक्रमण है। यह हिन्दुओं का मनोबल घटाने का प्रयास है। शंकराचार्य जी किसी एक देश के ही नहीं, बल्कि विश्वभर के हिन्दुओं के पूज्य संत हैं।-मनवीर सिंह पंथी, अध्यक्ष, हिन्दू जागरण मंचयह राजनीतिक महत्वाकांक्षा का परिणाम है। शंकराचार्य को कानूनी दावपेंच के तहत फंसाया जा रहा है। जिस व्यक्ति ने अपना सब कुछ त्याग कर अपने आपको समाज के लिए समर्पित कर दिया हो, ऐसे व्यक्ति पर हत्या का आरोप लगाना सरासर गलत है। नेपाल का हिन्दू समाज शंकराचार्य जी को निर्दोष मानता है।-अरुण सुवेदी, अध्यक्ष, शिव सेना (नेपाल)हिन्दुत्व की बढ़ती गरिमा और शक्ति पर आघात करने के उद्देश्य से हिन्दुओं के धर्मगुरु शंकराचार्य जी पर हत्या का आरोप लगाकर उन्हें गिरफ्तार किया गया है। किसी बड़ी शक्ति ने हिन्दुओं को अपमानित करने के लिए ऐसी घृणित साजिश रची है। हम इसका विरोध करने के साथ ही उनकी अविलम्ब रिहाई करने की मांग करते हैं। भारत सरकार को हम हिन्दुओं की भावना और हिन्दू शक्ति की अनुभूति हो, इसलिए हमने उसे विरोध पत्र भी भेजा है।-गोकुल प्रसाद पोखरेल, अध्यक्ष, आर्य समाजदुनिया भर में हिन्दुओं के बढ़ते प्रभाव और शक्ति को देखकर हिन्दू विरोधी ताकतों ने हिन्दुओं का मनोबल भंग करने के लिए पूज्य शंकराचार्य जयेन्द्र सरस्वती जी को गिरफ्तार करवाया है। इस घटना से हिन्दू समाज मर्माहत और दु:खी है। लगता है जैसे भारत सरकार अपनी नैतिक जिम्मेदारी भूल गई है। तमिलनाडु पुलिस के पास भी शंकराचार्य जी के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं है, इसलिए न्यायालय को गुमराह करके शंकराचार्य जैसे गरिमामय पद को वहां की पुलिस विवादित बनाने पर तुली दिखती है। परन्तु हम साधु-सन्त और यहां के नागरिक शंकराचार्य जी के प्रति पूरी श्रद्धा और आस्था रखते हैं।-संजय स्वामी , महंत, प्रणवानन्द आश्रमतमिलनाडु सरकार ने शंकराचार्य को गिरफ्तार करके धार्मिक सहिष्णुता पर कुठाराघात किया है। हमने पूज्य शंकराचार्य जी की गिरफ्तारी के विरोध में नेपाल के कैलाली, बर्दिया आदि जिलों में क्रमिक अनशन का आयोजन किया है।-प्रकाश गुरुंग, अध्यक्ष, नेपाल देशभक्त संघ3
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