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उत्तर प्रदेश में
नक्सली आतंक
-सर्वेश कुमार सिंह
शहीद हुए पुलिस जवानों को श्रद्धाञ्जलि देते हुए पुलिस अधिकारी
याद है 14, 15 व 16 अक्तूबर?
14 अक्तूबर, 2004 को देश के दो बड़े नक्सली संगठनों-पीपुल्स वार ग्रुप (पी.डब्लू.जी.) और माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एम.सी.सी.) ने आपस में विलय कर लिया। दल का नाम रखा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी)। नए दल का गठन होते ही इसके नवनियुक्त महासचिव ने तीन बातें कहीं। एक- हमारा सशस्त्र संघर्ष अब तेज होगा। दो- हम नेपाल के माओवादियों के साथ सक्रिय सहयोग करेंगे। तीन- गांवों के साथ-साथ अब शहरों पर ध्यान केन्द्रित करेंगे। इन दलों ने अपने सशस्त्र गुटों का भी विधिवत विलय किया। इस विलय के बाद नक्सलवादी आतंकवादियों की ताकत में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। इन्होंने अपने संगठन को हथियार और रणनीति की दृष्टि से मजबूत किया। इस विलय के बाद उत्तर प्रदेश के नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में इनकी गतिविधियां जितनी तेजी से बढ़ीं उतनी तेजी से प्रदेश सरकार ने कोई रणनीति नहीं बनाई।
15 अक्तूबर, 2004 को पीपुल्स वार ग्रुप और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माक्र्सवादी लेनिनवादी) के नेता बंगलादेश की राजधानी ढाका में उल्फा के नेताओं से मिले। इन नेताओं की उल्फा प्रमुख परेश बरुआ से कई दौर की लम्बी बातचीत हुई। इस बातचीत में उल्फा नेताओं ने नक्सलियों को यह भरोसा दिलाया कि उन्हें अत्याधुनिकतम हथियार व विस्फोटक सामग्री उपलब्ध कराने में मदद की जाएगी। यह बैठक पाकिस्तान की खुफिया संस्था आई.एस.आई. की रणनीति के तहत हुई। वह उल्फा के माध्यम से अब नक्सलवादियों को भी अपने भारत विरोधी अभियान में शामिल करने के लिए प्रयासरत है। उल्फा के आई.एस.आई. के साथ सम्बन्ध उजागर हो चुके हैं। अब आई.एस.आई. नेपाल के माओवादियों, भारत के नक्सलवादियों और पूर्वोत्तर के अलगावादी संगठनों का एक गठजोड़ बनाकर एक साथ भारत में बड़े पैमाने पर हिंसा फैलाना चाहती है। यह संयुक्त आतंकवादी खतरा जम्मू-कश्मीर से भी बड़ा हो सकता है।
16 अक्तूबर, 2004 को आन्ध्र प्रदेश सरकार और नक्सलवादियों के बीच शान्ति वार्ता हुई। इस वार्ता में आन्ध्र के गृहमंत्री जना रेड्डी नौ सदस्यीय दल के साथ शामिल हुए। दूसरी ओर 12 लाख का ईनामी नक्सलवादी नेता रामकृष्ण अपने अन्य साथियों के साथ वार्ता में शामिल था। इस वार्ता में कोई ठोस निर्णय नहीं हो सका और नक्सलवादी अपनी मांगों पर अड़े रहे। उन्होंने हथियार त्यागने या हिंसा का रास्ता छोड़ने की प्रदेश सरकार की बात को अस्वीकार कर दिया। बाद में वार्ता बिना किसी निष्कर्ष के समाप्त हो गई। हां, इस वार्ता का इतना असर जरूर हुआ कि नक्सली नेता खुलेआम मीडिया से मिले एवं अपना पक्ष प्रमुखता से रखा। इससे नक्सलियों का साहस बढ़ा तथा प्रदेश सरकार का उनके सामने झुकने का संकेत गया।
इन तीनों घटनाओं से नक्सलवादियों का दु:साहस इतना बढ़ा कि उत्तर प्रदेश में वह भयावह रूप में सामने आ गया। यदि केन्द्र सरकार की यही ढुलमुल नीति रही तो उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल से लेकर देश के पूर्वोत्तर तक का सम्पूर्ण क्षेत्र अशांत हो सकता है।
आन्ध्र प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और झारखण्ड के बाद अब उत्तर प्रदेश भी नक्सलवादियों के निशाने पर आ गया है। यूं तो प्रदेश में बीते लगभग एक दशक से जन संघर्ष के नाम पर आतंक का सहारा लेने वाले नक्सलवादी गुट सक्रिय हैं तथा समय-समय पर छोटी-मोटी हिंसक घटनाओं को अंजाम देकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं। लेकिन गत अक्तूबर माह में केन्द्र सरकार के इशारे पर जब आन्ध्र प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने नक्सलवादियों को शान्ति वार्ता का खुला निमंत्रण दिया और एकतरफा पुलिस कार्रवाई रोक दी तो इनके हौंसले और अधिक बुलंद हो गए। सरकार से बातचीत के बावजूद उन्होंने आन्ध्र प्रदेश में सशस्त्र संघर्ष को विराम नहीं दिया, बल्कि उनके नेता जंगलों से बाहर आकर सरकारी अतिथि गृहों में तीन दिन विश्राम करके चले गए। आन्ध्र प्रदेश की कांग्रेस सरकार के झुकने का दुष्परिणाम अब उत्तर प्रदेश को भुगतना पड़ा है। अब तक नक्सलवादी प्रदेश में छिटपुट हिंसा ही कर पाते थे। उन्होंने मात्र 72 घंटे में तीन बड़ी घटनाओं को अंजाम देकर प्रदेश में 21 निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया। नक्सलवादियों द्वारा प्रदेश में आज तक की सबसे बड़ी घटना गत 20 नवम्बर की सुबह की गई। चन्दौली जनपद के नौगढ़ थानान्तर्गत चन्द्रप्रभा पुलिस चौकी क्षेत्र में नरकटी के जंगल में नवगठित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) से जुड़े नक्सलवादियों ने सशस्त्र पुलिस बल (पी.ए.सी.) का ट्रक उड़ा दिया। इस घटना में पी.ए.सी. के 12 तथा पुलिस के 5 जवान शहीद हो गए। घटना के बाद नक्सलवादी छह स्वचालित रायफलें (एस.एल.आर), चार ए.के. 47, दो साधारण रायफलें तथा एक ग्रेनेड लांचर लूटकर ले गए।
घटनाक्रम के अनुसार चन्द्रप्रभा चौकी के पुलिस दल ने 20 नवम्बर की सुबह 7 बजे उपनिरीक्षक उमाशंकर सिंह के नेतृत्व में क्षेत्र में नक्सलवादियों की तलाश शुरू की थी। उनके साथ पी.ए.सी. की 36वीं बटालियन की एक टुकड़ी भी थी, जोकि वाहन संख्या यू.पी. 65-5763 पर सवार थी। इसमें चन्द्रप्रभा चौकी के पुलिस जवान भी सवार थे। पुलिस वाहन जब नरकटी जंगल में एक पुलिया के पास पहुंचा तभी मार्ग में बिछायी गई बारुदी सुरंग फट गई। विस्फोट इतना भीषण था कि पी.ए.सी. के ट्रक के परखचे उड़ गए। ट्रक में सवार पी.ए.सी. के नौ जवानों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। विस्फोट होते ही आसपास छिपे नक्सलवादी क्षतिग्रस्त वाहन के पास पहुंच गए तथा पांच घायल जवानों को निकट से गोली मार दी। बाद में नक्सलवादी हथियार लूटकर जंगल में भाग गए। घायल तीन जवानों की अस्पताल पहुंचने पर मृत्यु हो गई। घटनास्थल से माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एम.सी.सी.) के पर्चे भी मिले जिन पर लिखा था- पुलिस शिविरों पर हमले करो। उल्लेखनीय है कि एम.सी.सी. का अब नवगठित दल भाकपा (माओवादी) में विलय हो गया है।
माओवादियों ने इसी क्षेत्र में 19 नवम्बर की रात में भी एक वन अधिकारी के बंगले और एक वन चौकी को विस्फोट करके उड़ा दिया था। इन घटनाओं में भी चार लोगों की जानें गई थीं। इसके बाद ही पुलिस ने पी.ए.सी. लेकर क्षेत्र में सघन जांच शुरू की थी। इससे पूर्व 17 सितम्बर को चन्दौली जनपद के ही मझगवां थाना क्षेत्र में आतंकवादियों ने एक युवक की हत्या कर दी थी। इसी क्षेत्र में सन् 2001 में भी पुलिस और नक्सलवादियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। तब बड़ी संख्या में पुलिस बल के मौके पर पहुंच जाने पर नक्सली जंगलों में फरार हो गए थे।
हालांकि प्रदेश सरकार ने नक्सलवादियों से निपटने के लिए क्षेत्र में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (नक्सलवाद आपरेशन) का पद सृजित करके उस पर एक पुलिस अधिकारी को तैनात कर रखा है। प्रदेश के खुफिया विभाग में नक्सलवादी सूचनाओं के लिए एक अलग से प्रकोष्ठ भी बना है। लेकिन नक्सलवादी गतिविधियां कम होने की बजाय लगातार बढ़ रही हैं। नक्सलवादियों का दु:साहस इतना बढ़ गया है कि वे दूरदराज के गांवों में खुलेआम पंचायत करते हैं। गत जुलाई माह में इसी क्षेत्र में नक्सलवादी एरिया कमाण्डर द्वारा ग्रामीणों की पंचायत करने की सूचना मिली थी। नक्सलवादियों द्वारा पी.ए.सी. का ट्रक उड़ाए जाने की सूचना पर घटनास्थल पर पहुंचे प्रदेश के पुलिस महानिदेशक वी.के.वी. नायर ने कहा कि हमें नक्सलवादियों की चुनौती स्वीकार है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही रणनीति बनाकर कार्रवाई की जाएगी। उधर केन्द्र सरकार ने भी घटना की जांच के लिए केन्द्रीय दल भेजने का फैसला किया है।
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