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छात्रावास में हथियार20 अगस्त की देर रात मणिपुर पुलिस ने मणिपुर विश्वविद्यालय के एक पुरुष छात्रावास से बड़ी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया और एक प्रतिबंधित संगठन के सदस्य को धर दबोचा। इम्फाल पूर्वी जिला पुलिस द्वारा पकड़े गये 22 वर्षीय हीकम चिंग्लेंबा नामक इस युवक का संबंध पी.आर.ई.पी.ए.के. गुट से है। चिंग्लेंबा ने बताया कि वह इस गुट में बाक्षीखोंग के राजन बाबू के जरिए भर्ती हुअा था। उसके पास से अमरीका में निर्मित 32 रिवाल्वरें और चार चक्र गोलियां बरामद की गईं। गहन पूछताछ में चिंग्लेंबा ने जानकारी दी कि उक्त पुरुष छात्रावास में हथियार और गोला बारूद के अलावा संदिग्ध दस्तावेज भी रखे हुए हैं। यह जानकारी मिलते ही पुलिस दल ने मणिपुर विश्वविद्यालय के पुरुष छात्रावास के कक्ष क्रमांक 18 पर छापा मारा। खोजबीन करने पर ए.के. 56 रायफल, एक हथगोला और एक पुस्तिका- “ए ब्राफ एकाउंट फार डिमांडिंग सोवेरेनिटी आफ मणिपुर” (मणिपुर की संप्रभुता की मांग के कारणों की संक्षिप्त जानकारी), जो किसी आर.पी.एफ-द्वारा लिखी गई है, बरामद हुई। उस कक्ष में खुराई कोंसम लैकाई का 22 वर्षीय चांदम जितेन सिंह रह रहा था। पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया है।अब महिलाएं करेंगी अपनी सुरक्षाजम्मू – कश्मीर में जारी सीमा आतंकवाद के कारण महिलाओं को सबसे अधिक कष्ट उठाने पड़ रहे हैं। मरियम की कहानी अभी ताजा ही है। किन्तु सर पर मुसीबत देखकर महिलाओं ने भी अपने बचाव के लिए आतंकवाद के विरुद्ध शस्त्र उठाने शुरू कर दिए हैं। उन्होंने अपनी सुरक्षा स्वयं करने की ठान ली है। पुलिस और दूसरे सुरक्षा बलों में महिलाओं की भारी संख्या में भर्ती यही संकेत देती है।महिलाओं ने आतंकवाद के कारण न केवल अपने पति, बच्चे, भाई और अन्य सम्बंधी खोए हैं बल्कि इज्जत की गंवाई और जान भी दी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य में 2025 महिलाएं आतंकवादियों के हाथों मारी जा चुकी हैं, 247 का अपहरण हुआ है, 110 को फांसी पर लटकाया गया है, 60 से अधिक की गला रेतकर हत्या की गई है। अनेक महिलाओं के नाक-कान काटे गए और न जाने कितनी महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ है।एक सूचना के अनुसार सिर्फ इसी वर्ष के पहले 7 महीनों के दौरान 53 महिलाओं की हत्या की गई है। एक दर्जन से अधिक का अपहरण किया गया है।गत दिनों जिन महिलाओं को मारा गया है, उनमें 22 वर्षीय युवती खुर्शीदा भी शामिल थी। उसे अपने दो भाइयों के साथ मौत के घाट उतारा गया था, क्योंकि उसका एक भाई सहायक पुलिस अधिकारी था। पुंछ के एक गांव मघना में शमशाद बेगम नामक महिला का गला काटकर इसलिए हत्या कर दी गई, क्योंकि उसका एक सम्बंधी सुरक्षा बलों के साथ काम करता है। सैन्य प्रवक्ता के अनुसार हिलकाका और कुछ अन्य दूर-दराज के क्षेत्रों में न केवल पुरुषों ने बल्कि कई महिलाओं ने भी प्रशिक्षण पूरा करके शस्त्र प्राप्त कर लिए हैं ताकि आतंकवादियों के आक्रमणों का डटकर मुकाबला किया जा सके। इन महिलाओं के विशेष बल भी तैयार किए गए हैं जो पुरुषों की अनुपस्थिति में अपने गांवों की रक्षा करने में सक्षम हैं। उन्हें आधुनिक दूरसंचार यंत्र सहित अन्य आवश्यक सामग्री भी उपलब्ध कराई गई है।सरकारी हाथीभारत ही नहीं विश्व के कई देशों में जहां सरकारी व गैर सरकारी कर्मचारी वेतन, महंगाई भत्ते में बढ़ातरी व उचित पेंशन व्यवस्था की मांग पर आए दिन आंदोलन कर रहे हैं, वहीं अंदमान-निकोबार प्रशासन के वन विभाग में बतौर सरकारी कर्मचारी कार्यरत हाथियों को ये सारी सुविधाएं पहले से प्राप्त हैं। उन्हें अपनी सेवा से अवकाश प्राप्त करने के बाद न केवल पेंशन, बल्कि चिकित्सा सेवा भी प्रदान की जाती है।अण्डमान-निकोबार प्रशासन के वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी एस.आर.रेड्डी के अनुसार इस समय वन विभाग में 80 हाथी कार्यरत हैं, उन्हें भी सरकारी कर्मचारी की तरह हर प्रकार की छुट्टियां व वे सभी सुविधाएं प्राप्त हैं जो कि समान्य सरकारी कर्मचारी को प्राप्त हैं। इस समय 20 हाथी अवकाश प्राप्त कर चुके हैं। उन्हें भारत-सरकार के कानून के अन्तर्गत पेंशन के रूप में राशन दिया जाता है। प्रति हाथी प्रतिदिन 15 किलोग्राम चावल, गेहूं, फल, नमक तथा गुड़ दिया जाता है। गर्भवती हथिनी को अतिरिक्त भोजन तो दिया ही जाता है, इसके अलावा उससे बहुत कम काम लिया जाता है। सरकारी सेवा में कार्यरत सभी हाथियों की प्रतिदिन उनके नाम पर हाजिरी ली जाती है। इस द्वीप समूह में अंग्रेजों के समय से ही जंगलों के काम-काज के लिए काफी संख्या में म्यांमार तथा मलेशिया से हाथियों को लाया जाता था। उस समय उनके लिए अलग से एक अस्पताल की व्यवस्था थी।22
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