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संस्कार भारती के युवा कर्मनिष्ठ योगी श्री देवमणि त्रिपाठीबहुआयामी प्रतिभा का अवसानप्रख्यात रंगकर्मी और संस्कार भारती के युवा कर्मनिष्ठ योगी श्री देवमणि त्रिपाठी नहीं रहे। इस समाचार पर विश्वास नहीं होता। लेकिन सच यही है कि काल के क्रूर हाथों ने गत 19 सितम्बर, रविवार के दिन श्री देवमणि त्रिपाठी को हम सबसे छीन लिया। धारावाहिक “वीर सावरकर” में बलवंतराव फड़के की भूमिका में कोई और नहीं, देवमणि ही थे। हाल ही में उन्होंने एक और महत्वपूर्ण फिल्म “देवयानी” में शुक्राचार्य की यादगार भूमिका निभायी थी। आजकल वह नाटक “मगध” की तैयारी कर रहे थे।अभिनय हो, पटकथा लेखन हो या गायन-श्री त्रिपाठी के बहुआयामी व्यक्तित्व से तीनों कलाएं निर्झर झरने सी झरती थीं। 150 से ज्यादा नाटकों में अभिनय करने वाले श्री देवमणि त्रिपाठी का मात्र 40 वर्ष की आयु में निधन एक शून्य पैदा कर गया है। देवमणि अब एक याद बनकर रह गए। गत 15 सितम्बर को मस्तिष्क की नस फट जाने से उन्हें बेहोशी की स्थिति में नोएडा के मेट्रो अस्पताल में भर्ती कराया गया। अगले दिन ही वह 40 वर्ष के होने वाले थे। तीन दिन तक उपकरणों के जरिए उन्हें कृत्रिम जीवन देने के चिकित्सकों के प्रयास अंतत: 19 सितम्बर को विफल हो गए।संस्कार भारती, उत्तरी क्षेत्र के संगठन मंत्री के नाते उन्होंने संगठन को मजबूती से खड़ा किया। 1982 में काशी में वह संस्कार भारती के संरक्षक श्री योगेन्द्र जी के सम्पर्क में आए और संस्कार भारती से जुड़ गए। वह शिक्षक संघ के प्रेस प्रवक्ता, भोजपुरी सम्मेलन की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी थे। उनके शोक संतप्त परिवार में उनकी माताजी, पिताजी एक छोटा भाई तथा बहन है।उत्तर-प्रदेश के महाराजगंज जनपद के गांव धानी के निवासी श्री देवमणि त्रिपाठी के पार्थिव शरीर को उनके वृद्ध पिता श्री विश्वनाथ मणि त्रिपाठी ने मुखाग्नि दी। उनकी शव यात्रा में दिल्ली और गाजियाबाद के अनेक प्रबुद्ध जन, कलाकार, साहित्यकार, पत्रकार एवं संस्कार भारती के अधिकारी उपस्थित थे। प्रख्यात साहित्यकार श्री नरेन्द्र कोहली, दीनदयाल शोध संस्थान के श्री यादवराव देशमुख, संस्कार भारती के संगठन मंत्री श्री बांकेलाल गौड़, उपाध्यक्ष श्री जगदीश पाल, सहसंगठन मंत्री श्री अमीर चन्द्र आदि उपस्थित थे। उनके निधन पर श्री नानाजी देशमुख ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि देवमणि ऐसे युवा कार्यकर्ता थे जिन्होंने अपना जीवन समाज कार्य हेतु समर्पित किया था। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी देवमणि के निधन से न केवल संस्कार भारती, अपितु अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक एवं शैक्षणिक संस्थाओं की अपूरणीय क्षति हुई है। फिल्म निर्देशक श्री राजदत्त एवं विख्यात रंगकर्मी श्री विमल लाठ ने भी उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया।तलपटउच्च शिक्षा के क्षेत्र में पांच भारतीय प्रबंधन संस्थानों के 255 विद्यार्थियों को 1,79,69,757 रुपए की वित्तीय सहायता स्वीकृत की गई है। वर्तमान शैक्षणिक सत्र 2004-05 में अमदाबाद के 79 छात्रों को 69,78,44 रुपए, बंगलौर के 56 छात्रों को 53,83,500 रुपए, लखनऊ के 101 छात्रों को 48,68,013 रुपए, इंदौर के 10 छात्रों को 5,00,000 रुपए, कोझीकोड के 9 छात्रों को 2,40,000 रुपए की सहायता राशि स्वीकृत की गई है।28
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